दिल्ली के चर्चित 'बाबा का ढाबा' के बाद अब यूपी की रोटी वाली अम्मा काफी चर्चा में हैं। हालांकि आगरा में 80 साल की रोटी वाली अम्मा अभी भी ग्राहकों का इंतजार रही हैं। बता दें कि हाल ही में 'बाबा का ढाबा' की तरह इनका भी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। यहां पढ़ें रोटी वाली अम्मा की कहानी...

आगरा (एएनआई)। देश की राजधानी दिल्ली में बाबा का ढाबा हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद काफी फेमस हो गया है। यहां ग्राहकों की काफी भीड़ हो रही है। वहीं अब यूपी के आगरा की रोटी वाली अम्मा वीडियो वायरल हो रहा है। रोटी वाली अम्मा का सड़क किनारे स्टाल अभी भी ग्राहकों की प्रतीक्षा कर रहा है और वह ग्राहकों का इंतजार कर रही हैं। 80 साल की अम्मा भगवान देवी 20 रुपये की थाली में रोटी, दाल, सब्जी और चावल परोसती हैं। पिछले 15 वर्षों से आगरा में सेंट जॉन्स कॉलेज के पास वह अपना स्टाल चला रही है। रोटी वाली अम्मा की यह थाली ज्यादातर रिक्शावालों और मजदूरों के लिए पेट भरने का एक बड़ा सहारा रही है।

Agra: One octogenarian woman in Agra, Bhagvan Devi, popular as &roti wali amma&य is selling food at Rs. 20 near St. John College to earn livelihood;
She says, “I have been doing this for over 15 years. But, there&यs hardly any sale these days.” pic.twitter.com/WIJEWW5Hoo

— ANI UP (@ANINewsUP) October 18, 2020


अम्मा जीने के लिए इस छोटे से भोजनालय को चलाती
रोटी वाली अम्मा के स्टाल पर काफी भीड़ होती थी लेकिन अन्य छोटे या बड़े सभी व्यवसायों की तरह यहां भी लॉकडाउन के बाद गिरावट देखी गई।कोरोना वायरस के कारण उनके सामान्य ग्राहक भी अब यहां नहीं आते हैं। इसके अलावा सड़क के किनारे का स्टॉल होने के कारण, उसे हमेशा प्रशासन द्वारा हटाने का खतरा होता है। इस संबंध में रोटी वाली अम्मा कहती है कि उसके दो बेटे उसकी देखभाल नहीं करते हैं और इसीलिए जीने के लिए इस छोटे से भोजनालय को चलाती हैं।
न भाग्य ने साथ दिया और न जनता की सहानुभूति मिली
कोई भी मेरी मदद नहीं कर रहा है। अगर कोई मेरे साथ होता, तो मुझे इस स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता। ज्यादातर समय, मुझे यह जगह छोड़ने के लिए कहा जाता है। वह कहती हैं कि मैं कहां जाऊंगी? मेरी एकमात्र आशा है कि अगर मुझे एक स्थायी दुकान मिल जाए। उनका वीडियो भी बाबा का ढाबा जैसे सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, लेकिन बाबा के ढाबे की तरह न भाग्य ने साथ दिया और न जनता की सहानुभूति मिल सकी है। वह अभी भी ग्राहकों इंतजार कर रही हैं।

Posted By: Shweta Mishra