मिशनरीज ऑफ चैरिटी के निर्मल हृदय में पनाह लेने वाली अविवाहित माताओं से जुड़ी कोई भी जानकारी समाज कल्याण विभाग को नहीं दी जाती थी.

सूचनाओं को पूरी तरह गोपनीय रखा जाता
ranchi@inext.co.in
RANCHI : मिशनरीज ऑफ चैरिटी के निर्मल हृदय में पनाह लेने वाली अविवाहित माताओं से जुड़ी कोई भी जानकारी समाज कल्याण विभाग को नहीं दी जाती थी। सीआईडी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, निर्मल हृदय में रखने वाली 18 वर्ष से कम उम्र की युवतियों से जुड़ी सूचनाओं को पूरी तरह गोपनीय रखा जाता था, जबकि उनके लिए यह अनिवार्य है कि इसकी सूचना विभाग को दें। इतना ही नहीं, महिलाओं-युवतियों से जुड़ी जानकारी संस्था के रजिस्टर में भी दर्ज नहीं किया जाता था। इसके अलावा संस्था के बाहर जाने और जन्म लेने वाले बच्चों का कोई उल्लेख किया जाता था।

कई संस्थाओं को खंगाला
खुफिया शाखा ने वेथल मिशन आश्रम अरसंडे, रांची कार्मेलाइट सोसाइटी, इंस्टीट्यूट ऑफ ऑवलेट सिस्टर्स ऑफ नजारेथ सोसायटी, सेंट विंसेट डे पॉल रांची, साउथ बिहार वेलफेयर फॉर ट्राइबल और सोसायटी ऑफ पीलर बिहार के संबंध में छानबीन की गई। छानबीन के बाद पता चला कि इन एनजीओ को एफसीआरए में भारी भरकम राशि मिली है। इन्हें खर्च करने में एनजीओ के द्वारा अनियमितता भी बरती गई।

बगैर, परमिशन के रखे जाते थे मानसिक रोगी
मिशनरीज ऑफ चैरिटी में बगैर रिपोर्ट के मानसिक रोगी महिलाओं को भी रखा जाता था। अविवाहित गर्भवती महिलाओं को रखा जाता था। उनका देखभाल किया जाता था।

27 बच्चों का अता-पता नहीं
जब मिशन ऑफ चैरिटी निर्मल हृदय का लाइसेंस रदद कर दिया गया तो वहां तब भी बच्चे रखे जाते थे। लाइसेंस रदद होने के बाद उस वक्त शिशु भवन से 27 बच्चों को निकाला गया था। उन बच्चों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। सवाल उठ रहा है कि आखिर वे सारे बच्चे कहां गए?

 

Posted By: Inextlive