- रेरा ने बॉयर्स को फ्लैट न देने पर अंसल पर की सख्त कार्रवाई

- बॉयर्स के हितों को सुरक्षित रखने के लिए फायनेंशियल आब्जर्वर की तैनाती

- सभी वित्तीय लेन-देन की भी होगी पड़ताल, आवंटियों को मिलेगा हक

फैक्ट फाइल

- 403 आवंटियों की शिकायतों के बाद रेरा की कार्रवाई

- 91 योजनाओं जांच के दिए गये आदेश

- 02 माह में पूरी करनी होगी जांच

LUCKNOW : अंसल की योजनाओं में पैसा लगाने वाले 403 आवंटियों की शिकायतों के बाद उप्र रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने सख्त कार्रवाई करते हुए अंसल की सभी 91 योजनाओं की जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही बॉयर्स के हितों और उनके निवेश को सुरक्षित रखने के लिए फायनेंशियल आब्जर्वर की तैनाती के निर्देश भी दिए है। ये सारी योजनाएं राजधानी के शहीद पथ के पास हैं। रेरा सदस्य बलविंदर कुमार और भानुप्रताप सिंह ने इन शिकायतों की सुनवाई सुनवाई में पाया कि बिल्डर ने रियल स्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट 2016 का खुला उल्लंघन किया। इसके बाद जांच एजेंसी से अपेक्षा की है कि वह यह पता लगाए कि अब तक क्या धांधली बरती गई। इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे।

दो माह में पूरी करनी होगी जांच

रेरा के सदस्यों द्वारा जारी आदेश के मुताबिक अंसल एपीआई और समस्त सहयोगी कंपनियों का फोरेंसिक ऑडिट प्रमोटर के खर्चे पर सुप्रसिद्ध वित्तीय कंसल्टेंट के माध्यम से दो माह में पूरा कराया जाए। ऑडिट में कंसल्टेंट द्वारा अंसल एपीआई, अन्य सहयोगी कंपनियां अथवा कंसोर्सियम के माध्यम के खाते से फण्ड्स का डायवर्जन होने, परियोजना में विलंब होने की गहनता से जांच की जाएगी। साथ ही उत्तरदायित्व भी निर्धारित किया जाएगा। प्रमोटर द्वारा आवंटियों से प्राप्त की गयी धनराशि का कैश फ्लो का ऑडिटर द्वारा गहनता से पड़ताल की जाएगी। अनसोल्ड एसेट्स की इंवेंट्री तैयार की जाएगी। कुल प्राप्ति योग्य फण्ड्स की गणना की जाएगी ताकि आवंटियों को ब्याज सहित धनराशि वापस की जा सके और लंबित परियोजनाओं को पूरा किया जा सके। साथ ही आवंटियों से प्राप्त 70 फीसद धनराशि इस्क्रो अकाउंट में जमा की जाएगी। इसे केवल परियोजना के निर्माण एवं विकास के लिए ही निकाला जा सकेगा। ऑडिटर समस्त लेन-देन पर नजर रखते हुए फायनेंसियल ऑब्जर्वर के रूप में काम करना होगा। साथ ही परियोजना के हस्तांतरण, कंपनी के बिक्री आदि के कारण परियोजना में थर्ड पार्टी के शामिल होने की सूचना ऑडिटर को देनी होगी। प्रमोटर द्वारा 15 दिन के भीतर रेरा को परियोजनावार इस्क्रो अकाउंट के विवरण, अपूर्ण परियोजना की सूची, पूरा करने की टाइमलाइन, फण्ड्स की आवश्यकता का ब्योरा देना होगा। साथ ही ऐसे आवंटियों की सूची जिन्होंने प्रमोटर को भुगतान नहीं किया है अथवा जिन्होंने भुगतान किया है पर उन्हें आवंटन नहीं प्रदान किया गया है, देनी होगी।

ये मिली थी शिकायतें

दरअसल रेरा को शिकायत मिली थी कि अंसल एपीआई ने अपनी योजनाएं लांच की और ग्राहकों को प्रलोभन दिया कि वह तय समय के भीतर उन्हें आवास उपलब्ध करा देंगे। रेरा की जांच में पाया गया कि प्रमोटर ने टाइमलाइन का पालन नहीं किया। प्रमोटर द्वारा परियोजना पूर्ण होने की तिथि 4-5 वर्ष बाद की दी गयी। इसके बावजूद तमाम परियोजनाओं का काम बंद चल रहा है। आवंटियों को डिले पेनाल्टी और रिफंड के बारे में विश्वसनीय एक्शन प्लान नहीं दिया गया। कई प्रकरणों में प्रमोटर के पास परियोजना की भूमि का कब्जा न होने पर भी आवंटन किया जा रहा है। कई परियोजनाओं में फ्लैट का क्रय मूल्य प्राप्त करने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया। प्रमोटर द्वारा आवंटियों से प्राप्त धनराशि अन्य परियोजनाओं में डायवर्ट कर वित्तीय अनियमितताएं भी की गयी। आवंटियों की शिकायतों के बाद भी प्रमोटर द्वारा कोई कंक्रीट एक्शन प्लान रेरा के समक्ष पेश नहीं किया गया।

बॉक्स

भूमि, अनुमति कुछ भी नहीं

रेरा के सदस्यों ने अपने आदेश में अंसल एपीआई को लेकर सख्त टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर विषय है कि प्रमोटर द्वारा फ्लैट एवं भूखंड का आवंटन झूठे तथ्यों के आधार पर किया गया। प्रमोटर लगातार आवंटियों से इंस्टालमेंट्स प्राप्त कर रहा है जबकि उसके पास न तो भूमि का स्वामित्व है और ना ही उसने सक्षम प्राधिकारी से आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त की है। अपने आदेश में सदस्यों ने लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद को जिम्मेदारी सौंपी है कि वे इस पर कार्रवाई करके सूचित करें।

Posted By: Inextlive