Student life में politics सिखा रही गुंडई, आए दिन student करते हैं हंगामा

सड़क छाप मजनुओं से पूरा शहर है परेशान, public ने खुल कर रखी अपनी बात

ALLAHABAD: जब से कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव शुरू हुआ है, तब से हर पॉलिटिशियन यही कहता है कि छात्र संघ चुनाव राजनीति की पाठशाला है। लेकिन राजनीति में शामिल गंदगी ने राजनीति की पाठशाला को भी गंदा कर दिया है। यहां भी बाहुबल के साथ जमकर गुंडई होने लगी है। सड़क छाप मजनुओं ने भी ग‌र्ल्स का जीना हराम कर रखा है। ऐसे में ग‌र्ल्स न तो कॉलेज में सेफ हैं और न ही बाहर। इनके खिलाफ आवाज तो बहुत उठती है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती है। अब प्रदेश सरकार को कुछ ऐसा कदम उठाना चाहिए, जिससे महिलाएं और ग‌र्ल्स हर जगह खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की मुहिम 'गर्मी लगी क्या' में बुधवार को 'कॉलेजों में बढ़ रही गुंडई और रोड रोमियो' की समस्या पर पब्लिक से बातचीत हुई। इस पर पुराने शहर के सत्ती चौरा, महावीरन गली और बाबा जी का बाग के लोगों के साथ स्टूडेंट्स ने अपनी बात रखी।

स्पॉट-1 सत्ती चौरा

College politics मतलब गुंडई की छूट

चर्चा की शुरुआत सत्ती चौरा से हुई। लोगों ने कहा कि अब तो बच्चों को कॉलेज में पढ़ाई के लिए भेजने से डर लगता है। कॉलेजों का माहौल अब पहले जैसा नहीं रहा। अब गुंडई के साथ पॉलिटिक्स हावी है। स्टूडेंट का ध्यान पढ़ाई पर कम, मौज मस्ती पर अधिक रहता है।

समाज सेवी एवं नगर निगम की नामित पार्षद रेखा उपाध्याय ने कहा कि एक शब्द है 'बाहुबली'। अगर किसी को बाहुबली कहा जाए तो वह खुद को बड़ा गौरवान्वित महसूस करता है। लेकिन आज बाहुबल का मतलब ही बदल गया है। हर कोई बाहुबली बनना चाहता है। इसकी वजह से स्टूडेंट पढ़ाई छोड़ गलत रास्ते पर जा रहे हैं।

विष्णु प्रसाद वर्मा ने कहा कि अगर हम शिकायत करते हैं तो एडमिनिस्ट्रेशन के लोग कहते हैं कि तुम कौन हो? एडमिनिस्ट्रेशन नहीं करेगा और हम नहीं कर पाएंगे? ऐसे में समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा। लोग इकट्ठा होकर शिकायत करते हैं, तब नींद खुलती है पुलिस की। रोड-चौराहे पर लड़कियों के साथ छेड़खानी होती है। पुलिस कुछ नहीं बोलती है। कहा जाता है वह फलां विधायक, फलां मंत्री का रिश्तेदार हैं। क्या मंत्री के रिश्तेदार हैं तो उन्हें कुछ भी करने की छूट है। इसमें सुधार तभी होगा जब संबंधित थानेदार जिम्मेदार माने जाएंगे और उन्हें सजा मिलेगी।

स्पॉट-2 महावीरन गली

पुरुष ही नहीं safe, महिलाओं की बात क्या करें

सत्ती चौरा के बाद दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम महावीरन गली पहुंची। यहां लोगों के बीच बातचीत शुरू हुई। नितिन कुमार ने कहा कि ये हकीकत है कि आज महिलाएं घर से बाहर निकलने में डरती हैं। अभी जो माहौल है, उसमें पुरुष ही सुरक्षित नहीं हैं तो महिलाओं की क्या बात करें। कॉलेज ही क्यों, हर तरफ गुंडई चरम पर है। कोई नेता जी का रिश्तेदार है तो कोई अधिकारी का खास है। ऐसे में उन्हें गुंडई का लाइसेंस मिल गया है।

समाज सेवी सतीश केसरवानी ने कहा कि महिलाओं और छात्राओं के साथ न सिर्फ छेड़खानी की घटनाएं बढ़ी हैं, बल्कि उनके साथ छिनैती की वारदातें भी बढ़ी हैं। आर्यकन्या कॉलेज, ईसीसी कॉलेज के आस-पास बाईकर्स के साथ ही अराजक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। लेकिन डॉयल 100 पुलिस भी कुछ नहीं कर पाती है। कार्तिक मेले में हर साल 10-12 महिलाओं के गले की चेन छीनी जाती है।

आशा किरण सिन्हा ने कहा कि युवाओं के संस्कार और मानसिक सोच में बदलाव की वजह से आज महिलाएं और लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं। छोटी-छोटी बच्चियां गायब हो रही हैं। जयदीप श्रीवास्तव ने कहा कि आज संस्कार की कमी से युवा बिगड़ रहे हैं।

स्पॉट-3 बाबाजी का बाग

विधायक का बेटा हूं, क्या कर लोगे

महावीरन गली से निकली दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम बलुआघाट स्थित बाबा जी का बाग पहुंची। यहां चर्चा शुरू हुई तो राजेश कुमार केसरवानी ने कहा कि भाई अब गुंडई और बाहुबली शब्द स्टेटस सिंबल बन गया है। जिस तरह पहले सफल बनने के लिए स्टूडेंट एमबीबीएस, बीटेक, पीएचडी, बीएससी आदि की डिग्री लेते थे, उसी तरह अब बगैर किसी मेहनत के गुंडई और बाहुबली की ट्रेनिंग ले रहे हैं। कॉलेज और यूनिवर्सिटी ट्रेनिंग सेंटर बन चुके हैं।

अनिल केसरवानी ने कहा कि आज का युवा बिगड़ नहीं रहा है, बल्कि उसे बिगाड़ा जा रहा है। इसके लिए माहौल दोषी है। स्मैक का कारोबार खूब तेजी से फल फुल रहा है। हुक्का-बार भी चल रहे हैं। जीपी जायसवाल ने कहा कि गऊघाट में स्कूल-कॉलेज के आस-पास स्मैक बिकता है।

कॉलेजों में अब पढ़ाई कम गुंडई और छेड़खानी की घटनाएं अधिक हो रही हैं। इसके लिए आज का माहौल दोषी है। ग‌र्ल्स न तो कॉलेज में सेफ हैं और न ही कॉलेज के बाहर। हालांकि वुमेन हेल्पलाइन 1090 से सड़क छाप मजनुओं के खिलाफ कार्रवाई बढ़ी है।

रेखा उपाध्याय, नामित पार्षद

कॉलेजों में गुंडई का आलम ये है कि स्टूडेंट छोटी-छोटी बात पर दुकानदारों पर हमला बोल देते हैं। यूनिवर्सिटी एरिया में आए दिन बम चलते हैं। इस पर रोक के लिए संबंधित कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन को पढ़ाई का माहौल बनाना चाहिए।

सतीश केसरवानी, समाज सेवी

इलाहाबाद में स्मैक का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। यंग जेनरेशन इसका शिकार है। स्मैक के नशेड़ी छेड़खानी की घटनाओं में अधिक शामिल रहते हैं। बस चौराहों व कॉलेजेस के पास अड्डेबाजी करते हैं।

राजेश कुमार, व्यापारी

कॉलेजेस का माहौल काफी खराब हो गया है। जो स्टूडेंट केवल पढ़ना चाहते हैं, वे चाह कर भी नहीं पढ़ पाते हैं। क्योंकि अधिकतर स्टूडेंट्स पढ़ाई छोड़ कर पॉलिटिक्स में शामिल हो रहे हैं। इसके लिए पॉलिटिशियन भी उनका भरपूर सपोर्ट करते हैं।

शोभित वर्मा, स्टूडेंट

सड़क छाप मजनू आज शहर में चारों तरफ मिल जाएंगे। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। अगर कोई इन मजनुओं का विरोध करता है, तो उसके खिलाफ ही कार्रवाई शुरू हो जाती है। इसलिए बोलने से डर लगता है। सिस्टम को सही बनना चाहिए।

कमलेश पांडेय

Posted By: Inextlive