- यूपी चुनाव में कई अहम सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों में टक्कर

- पश्चिम से लेकर पूर्वी उप्र तक पार्टियों ने दिया है टिकट

- लखनऊ पश्चिम और रामपुर की स्वार सबसे ज्यादा चर्चा में

ashok.mishra@inext.co.in

LUCKNOW:

विधानसभा चुनाव में तमाम सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। पश्चिमी उप्र से शुरु हुआ यह सिलसिला पूर्वी उप्र तक बढ़ता जा रहा है। कई सीटें तो ऐसी हैं जिनके नतीजों पर पूरे प्रदेश की जनता की निगाहें टिकी हैं। बसपा ने 99 मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर इस लड़ाई को रोचक बना दिया है। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तिहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएमम) के संस्थापक असउद्दीन ओवैसी ने भी कई सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार कर मुस्लिम वोट बैंक का समीकरण बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अब देखना यह है कि चुनाव में इनमें से किसका पलड़ा भारी रहता है और वह विधानसभा की चौखट तक पहुंचने में कामयाबी हासिल करता है। आई नेक्स्ट ने कुछ ऐसी ही सीटों के दावेदारों को परखने का प्रयास किया है।

2012 में 26 सीटों पर मिली थी मात

मुस्लिम वोट के बंटवारे का असर जानना हो तो 2012 के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करना चाहिए। उस दौरान 26 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों के आमने-सामने आने से 26 सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इनमें से कई सीटें तो ऐसी थी जहां बेहद कम वोट से अन्य दलों के प्रत्याशी जीत हासिल करने में कामयाब हो गये। उदाहरण के तौर पर सहारनपुर की नकुड़ सीट पर भाजपा के धर्म सिंह सैनी जीत गये क्योंकि कांग्रेस के इमरान मसूद और सपा के फिरोज आफताब के बीच मुस्लिम वोट बंट गये। फिरोज ने करीब तीस हजार वोट हासिल कर इमरान को करीब साढे चार हजार वोट से हारने को मजबूर कर दिया। सबसे दिलचस्प लड़ाई थानाभवन सीट पर हुई थी। भाजपा के सुरेश राणा इस सीट पर महज 265 वोट से जीते जबकि दूसरे नंबर पर आए रालोद के अशरफ अली खान को करीब 53 हजार और तीसरे स्थान पर आए बसपा के अब्दुल वारिस खान को करीब 50 हजार वोट मिले थे। ठीक इसी तरह मेरठ शहर में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ। लक्ष्मीकांत बाजपेई ने जीत हासिल की थी। इसी तरह सहारनपुर नगर, गंगोह, कैराना, बिजनौर, नूरपुर, असमौली, मेरठ दक्षिण, सिकंदराबाद, आगरा दक्षिण और फिरोजाबाद में भी यही नौबत आ गयी थी।

स्वार, रामपुर

रामपुर की स्वार सीट हालिया चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा में है। यहां काबीना मंत्री आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम पहली बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं तो उनका मुकाबला कांग्रेस से बसपा में गये सिटिंग विधायक नवाब कासिम अली से है जो आजम खान के कट्टर प्रतिद्धंदी माने जाते हैं। रामपुर घराने के नवाब कासिम अली चार बार विधायक रह चुके हैं। वहीं आजम खान ने भी इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है।

लखनऊ पश्चिम

लखनऊ पश्चिम सीट पर सपा के सिटिंग विधायक मोहम्मद रेहान गठबंधन के प्रत्याशी हैं जबकि उनका मुकाबला बसपा के अरमान खान कर रहे हैं। इस सीट से भाजपा ने अपने पूर्व विधायक सुरेश श्रीवास्तव को टिकट दिया है जिससे दोनों मुस्लिम नेताओं के बीच लड़ाई रोचक हो गयी है। दोनों ही मुस्लिम वोट बैंक पर अपना-अपना दावा कर रहे हैं। रेहान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी हैं तो अरमान बसपा के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खास बताए जाते हैं।

चरथावल

मुजफ्फरनगर दंगे के बाद यहां की चरथावल सीट पर मुकाबला सख्त हो गया है। यहां से बसपा के नूर सलीम राणा दूसरी बार विधायक बनने की कोशिश में हैं तो उनका सीधा मुकाबला रालोद के सलमान जैदी से होने की चर्चा है। दरअसल जाट वोट बैंक के रालोद के पक्ष में जाने की संभावना को देखते हुए सलमान जैदी को मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। उन्हें मुस्लिमों के साथ जाट वोट बैंक भी मिल सकता है जो चुनाव नतीजों में उलटफेर कर सकता है।

मेरठ दक्षिण

मेरठ दक्षिण सीट पर बसपा प्रत्याशी हाजी याकूब कुरैशी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। उनका सीधा मुकाबला सपा-कांग्रेस गठबंधन के आजाद सैफी से बताया जाता है। दरअसल दोनों की मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में करने की सारी जुगत लगा रहे हैं ताकि चुनाव में उनकी जीत सुनिश्चित हो सके। इस लड़ाई में यदि मुस्लिम वोट बैंक बंटा तो इसका सीधा फायदा भाजपा अथवा रालोद के प्रत्याशी को मिल सकता है। मेरठ दक्षिण सीट जाट बाहुल्य होने की वजह से चुनाव नतीजा बदल सकता है।

अलीगढ़ शहर

मुस्लिम बाहुल्य अलीगढ़ शहर सीट पर भी सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा के बीच कड़ा मुकाबला होने जा रहा है। सपा ने अपने सिटिंग विधायक जफर आलम पर भरोसा जताते हुए उन्हें दोबारा टिकट दिया है तो वहीं बसपा ने नये चेहरे आरिफ अब्बासी को टिकट देकर युवा वोटरों को अपने पाले में करते हुए जीत हासिल करने की रणनीति बनाई है। इस सीट पर भाजपा के कट्टर हिंदूवादी नेता संजीव राजा भी मैदान में हैं जिससे वोटों का धु्रवीकरण होना तय माना जा रहा है।

आगरा दक्षिण

आगरा दक्षिण सीट से तीन प्रमुख दलों के मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में हैं जिससे लड़ाई दिलचस्प हो चुकी है। बसपा ने अपने पूर्व विधायक जुल्फिकार अली भुट्टो को टिकट दिया है तो कांग्रेस के नजीर अहमद भी इस सीट पर अपना दावा ठोंक रहे हैं। खास बात यह है कि दोनों के चुनावी समीकरण बिगाड़ने का काम ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रत्याशी इदरीश करने जा रहे हैं। इस चुनावी लड़ाई में अगर यह सीट भाजपा के योगेंद्र उपाध्याय के खाते में चली जाती है तो हैरत की बात नहीं होगी।

फिरोजाबाद

आगरा दक्षिण की तरह फिरोजाबाद में भी मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है। यहां से सपा ने अजीम भाई को चौथी बार टिकट दिया है। वे 2002 में इस सीट से जीते थे। वहंी बसपा ने खालिद नसीर और एआईएमआईएम ने एहतशाम को अपना प्रत्याशी बनाया है। खालिद इस सीट पर पिछला चुनाव बसपा से लड़ चुके हैं। वे दो बार विधायक रहे अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने के लिए प्रयासरत हैं।

लोनी

गाजियाबाद की लोनी सीट पर भी दो मुस्लिम प्रत्याशी आमने-सामने आ गये हैं। बसपा ने अपने सिटिंग विधायक जाकिर अली को दोबारा टिकट दिया है तो सपा-कांग्रेस गठबंधन के राशिद मलिक भी चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। दोनों ही मुस्लिम वोट बैंक पर अपना दावा कर रहे हैं। वहीं चार बार विधायक रहे मदन भैया भी रालोद के टिकट पर इस सीट से अपना भाग्य आजमा रहे हैं। यह सीट किसके खाते मे जाती है, यह देखना दिलचस्प होगा।

खलीलाबाद

खलीलाबाद सीट से पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सिटिंग विधायक डॉ। अय्यूब चुनाव मैदान में हैं जबकि उनका मुकाबला बसपा के मशहूर आलम चौधरी से होगा। वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन ने अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहंी किया है। यदि गठबंधन भी यहां पर मुस्लिम प्रत्याशी को उतारती है तो मुस्लिम वोट बैंक का बंटना तय है। वहीं भाजपा के दिग्विजय नारायण चुनाव मैदान में हैं।

बदायूं सदर

बदायूं सीट पर सपा ने आबिद रजा को टिकट दिया है जिन्हें स्थानीय सांसद धर्मेंद्र यादव का विरोधी माना जाता है। आबिद ने हाल ही में धर्मेद्र यादव पर कई सनसनीखेज आरोप भी लगाए थे। इस सीट से एआईएमआईएम ने बॉलीवुड के एक्टर खालिद परवेज को टिकट दिया है जिन्होंने दमदार तरीके से नामांकन भी दाखिल किया था। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी मुजफ्फर अली खान भी मुस्लिम वोट बैंक को बिखरने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।

कानपुर कैंट

कानपुर कैंट सूबे की एकमात्र ऐसी सीट है जो मुस्लिम बाहुल्य होने के बाद भी कभी मुस्लिम विधायक नहीं दे सकी। सपा ने पहले इस सीट पर बाहुबली अतीक अहमद को टिकट दिया था लेकिन बाद में यह फैसला बदल दिया गया। कांग्रेस ने इस सीट पर परवेज अंसारी तो सपा ने मोहम्मद हसन रुमी को टिकट दिया है। वही बसपा ने डॉ। नसीम अहमद खान को प्रत्याशी घोषित किया है। एक बार फिर इस सीट पर मुस्लिम वोट बैंक का बंटवारा तय है जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।

Posted By: Inextlive