कोराना वायरस से निपटने के लिए इस समय कुछ जगहों पर प्लाज्मा थेरेपी के जरिए पीड़तों का एक्सपेरिमेंट ट्रीटमेंट हो रहा है। इस दाैरान यूपी के केजीएमयू में भी पहले मरीज को यह थेरेपी दी जा रही है। अभी वह वेंटिलेटर पर है।

लखनऊ (पीटीआई)। उत्तर प्रदेश में प्लाज्मा थेरेपी टेस्टिंग मोड में चल रही है। यहां एक 58 वर्षीय मरीज प्लाज्मा थेरेपी से गुजर रहा है। इस व्यक्ति की उम्र करीब 58 साल है। राज्य का यह पहला कोरोना पीड़ित मामला है। यूपी के ओराई का यह मरीज 26 अप्रैल को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में भर्ती हुआ था। इस संबंध में केजीएमयू के वाइस चांसलर एम एल बी भट्ट ने कहा, 13 दिनों के बाद, रोगी की हालत स्थिर है और वह अभी भी वेंटिलेटर पर है। हम यह नहीं कह सकते कि उसे कब छुट्टी दी जाएगी।

डॉक्टरों की एक टीम पीड़ित पर पूरी नजर रख रही

वहीं केजीएमयू के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग की डॉक्टर तूलिका चंद्रा ने कहा, जब मरीज को प्लाज्मा थेरेपी दी गई तो उसकी हालत बहुत खराब थी। अब उसके फेफड़ों में सुधार हुआ है। हालांकि बुजुर्ग और उसे मधुमेह होने से उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है। डॉक्टरों की एक टीम उस पर नजर रख रही है। मरीज को कनाडा के एक डॉक्टर द्वारा दान किया गया प्लाज्मा चढ़ाया गया था, जो पहले कोरोना का मरीज था। उस कनाडाई डाॅक्टर का इलाज केजीएमयू में ही हुआ था और वह ठीक भी हो गया था।

प्लाज्मा दान करने की प्रक्रिया रक्त दान करने के समान

कॉन्वेसेंट प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस के रोगियों के लिए एक एक्सपेरिमेंटल ट्रीटमेंट है। इस उपचार में कोरोना से ठीक हुए रोगी से प्लाज्मा दूसरे कोरोना वायरस रोगी को ट्रांसफ्यूज किया जाता है। कोराना वायरस से उबरने वाले व्यक्ति का रक्त वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित करता है। यह थेरेपी एक और गंभीर रोगी का इलाज करने के लिए एक ठीक कोरोना वायरस रोगी के रक्त से एंटीबॉडी का उपयोग करती है। प्लाज्मा दान करने की प्रक्रिया रक्त दान करने के समान है और इसमें लगभग एक घंटे लगते हैं।

Posted By: Shweta Mishra