योगी सरकार उत्तर प्रदेश में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। पीएफआई पर आरोप है कि उसने राज्य में नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा भड़काई थी।


लखनऊ (एएनआई)। उत्तर प्रदेश सरकार यहां पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है। संगठन पर आरोप लगाया गया है कि उसने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा भड़काई थी। सरकारी सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है। राज्य पुलिस ने पहले 19 दिसंबर को सीएए और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के खिलाफ लखनऊ में हिंसक विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में पीएफआई के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार लोगों में पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद, नदीम और अशफाक शामिल थे।विरोध प्रदर्शन के नाम पर भड़काई गई हिंसा


उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, आर्थिक राजधानी कानपुर, ताजनगरी आगरा, मेरठ व अलीगढ़ समेत कई शहरों में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा भड़काई गई। राज्‍य में हिंसक प्रदर्शनों के मद्देनजर सरकार ने कई दिनों तक मोबाइल इंटरनेट व मैसेजिंग सर्विसेज पर रोक लगा दी थी। जिन शहरों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाई गई, उनमें लखनऊ, कानपुर, आगरा, मथुरा, मेरठ, गाजियाबाद, अलीगढ़, सहारनपुर, बिजनौर, फीरोजाबाद, मुजफ्फरनगर, संभल व बुलंदशहर शामिल थे। यूपी की सातवीं आर्थिक गणना में पहली बार मोबाइल एप का इस्तेमाल, दो लाख लोग लगेंगे इस काम में

नागरिकता (संशोधन) विधेयक अधिनियम से इन लोगों को फायदासंसद द्वारा नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किए जाने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए थे। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विधेयक एक अधिनियम बन गया। इस एक्ट के जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न से भागकर हिंदू, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदायों के शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रयास हो रहा है। इसमें जो लोग 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं उन्हें नागरिकता दी जाए।

Posted By: Mukul Kumar