-अपने साथियों को छुड़ाने के लिए सेंट्रल जेल पर हमला कर सकते हैं नक्सली, आईबी ने किया अलर्ट

-सेंट्रल जेल में बंद हैं लालव्रत कोल साहित तीन हार्डकोर नक्सली

VARANASI : छत्तीसगढ़ के सुकमा के बाद कांकेर और दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में कई जवानों के शहीद होने की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। थोड़े समय तक शांत रहने के बाद नक्सलियों की गतिविधि तेज हो गयी है। हमलों का सिलसिला और बढ़ेगा ऐसा इनपुट इंटेलिजेंस के पास है। नक्सली अपने साथियों को छुड़ाने के लिए जेलों पर हमला कर सकते हैं। इसके मद्देनजर बनारस की सेंट्रल जेल की सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी है गयी है। यहां बंद हार्डकोर नक्सलियों को तन्हाई में डाल दिया गया है। नक्सल प्रभावित इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है। इन एरिया के गुजरने वाली ट्रेनों की सुरक्षा भी बढ़ा दी गयी है।

रची जा रही है साजिश

नक्सलियों से निबटने के लिए आरपीएफ पूरी तरह से तैयार है। इसमें जीआरपी व लोकल पुलिस की भी हेल्प मिल रही है। सेंसेटिव जोन वाले रेलवे स्टेशंस की सुरक्षा टाइट कर दी गई है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा तंत्र पैनी नजर रखे हुए है।

रमेशचंद्र

कमांडेंट, आरपीएफ

मुगलसराय

नक्सल प्रभावित इलाकों में अलर्ट जारी किया गया है। यहां सिक्योरिटी फोर्सेज की गश्त बढ़ा दी गयी है। इंटेलिजेंस के जरिए लगातार इनपुट कलेक्ट किए जा रहे हैं। हर इनपुट को गंभीरता से लिया जा रहा है।

अमरेन्द्र कुमार सेंगर

आईजी रेंज

इनकी सुरक्षा पहले से बढ़ा दी गयी है। जेलों में हार्ड कोर नक्सली जरूर हैं लेकिन अंदर या बाहर से कोई साजिश नहीं हो सकती है। जेलों की निगरानी इस कदर बढ़ा दी गयी है। सुरक्षा से जुड़े कई उपकरण लगाने की तैयारी तेज कर दी गयी है।

एसके श्रीवास्तव

डीआईजी जेल

लगभग एक दशक पहले तक बनारस के आसपास के जिलों में नक्सलियों को जबरदस्त प्रभाव था। सिक्योरिटी फोर्सेज ने ढेरों नक्सलियों को ढेर कर दिया। कई हार्डकोर सलाखों के पीछे पहुंचा दिये गये। इसके बाद नक्सल मूवमेंट कमजोर पड़ गया। नक्सलियों को उम्मीद है कि जेलों में बंद उनके साथी फिर साथ होंगे तो वह अपनी मौजूदगी को एक बार फिर दमदार तरीके से जाहिर कर सकेंगे। नक्सली अपने प्रभाव को फिर से जमाने के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं। अत्याधुनिक असलहों से खुद को लैस कर लिया है। खुद को और मजबूत करने लिए आतंकी संगठनों से मदद ले रहे हैं। यंगस्टर्स को रुपये आदि का लालच देकर अपनी साजिश का हिस्सा बना रहे हैं। यह इनपुट इंटेलिजेंस के पास है। जेल पर हमला करना उनकी साजिश में शामिल है। नक्सलियों के लिए बनारस सॉफ्ट टारगेट है। उनके तीन साथी लालव्रत कोल, चुनमुन, महेन्द्र खरवार इस वक्त सेंट्रल जेल में हैं। आधा दर्जन आतंकी हमले झेल चुके शहर में दहशत फैलाने की फिराक में दहशतगर्द हैं।

हर तरह से रोकेंगे साजिश

-साजिश की कड़ी में ही सेंट्रल जेल की हाई सिक्योरिटी सेल में रहने वाले नक्सलियों ने मीटिंग की

-इस खेल में सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले भी शामिल थे। वक्त रहे साजिश का पर्दाफाश हो गया

-अलर्ट के बाद एक फिर नक्सलियों को तन्हाई में डाल दिया गया है। इनसे किसी को मिलने की परमीशन नहीं है

-जिस हाई सिक्योरिटी सेल में इन्हें रखा गया है उसके सामने हर वक्त पहरा लगा दिया गया है

-कैम्पस की निगरानी के लिए दो चक्र में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है

-जेल में आने वाले मुलाकातियों का पूरा रिकॉर्ड रखा जा रहा है

-आने-जाने वालों की तलाशी ली जा रही ताकि कोई आपत्तिजनक वस्तु अंदर नहीं जा सके

-जेल में कैमरा और जैमर लगाने की तैयारी को तेज कर दिया गया है

गतिविधियों पर पूरी नजर

-नक्सली मूवमेंट पर पुलिस समेत अन्य सिक्योरिटी फोर्सेज ने नजर जमा रखी है

-नक्सल प्रभावित मिर्जापुर, सोनभद्र, चंदौली बनारस की सीमा से लगे नक्सल प्रभावित जिलों में गश्त बढ़ा दी गयी है

-नक्सलियों का बनारस भी आना-जाना लगा रहता है। कभी इलाज कराने तो कभी पनाह लेने वह शहर में आते-जाते रहते हैं

-पुलिस ने मुखबिरों को अलर्ट कर दिया है। नक्सल प्रभावित जिलों की सीमा से लगे इलाकों पर खास नजर रखी जा रही है

-नक्सलियों की तलाश में पुलिस सर्विलांस जैसी निगरानी की अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है

आरपीएफ ने बढ़ा दी रफ्तार

नक्सली हमले से रेल को बचाने के लिए आरपीएफ जाल बिछा रही है। बिहार झारखंड के रास्ते होकर गुजरने वाली ट्रेनों की सिक्योरिटी टाइट कर दी गई है। मुगलसराय रेल डिवीजन के संवेदनशील रेलवे स्टेशंस पर नजर रखी जा रही है। नक्सलियों की मूवमेंट को भांपने के लिए आरपीएफ को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जबकि जीआरपी सहित लोकल पुलिस स्टेशंस से भी आरपीएफ को हेल्प मिलती रहेगी।

मुगलसराय-गया रेल रूट है सेंसेटिव

नक्सलियों ने रेलवे में बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है। मुगलसराय-गया रेल रूट के रेलवे स्टेशंस के बीच में कई बार नक्सली ट्रेन्स व रेलवे टै्रक को डैमेज कर चुके है। खास करके नक्सली बंदी के दौरान रेलवे को बहुत ही नुकसान पहुंचाते आ रहे हैं। नक्सली जोन वाले रेलवे स्टेशंस में मुगलसराय मंडल के रफीगंज, कास्ता परैया, जपला, नवीनगर, मुहम्मगंज, उतारी रोड, बीडी सेक्शन और गढ़वा रोड के आउटर तक नक्सलियों का मूवमेंट बराबर होता रहता है। इनके निशाने पर खास करके राजधानी सहित वीआईपी ट्रेनें ही रहती है।

स्कॉर्ट को किया गया अलर्ट

मुगलसराय रेलवे स्टेशन से आधा दर्जन से अधिक राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों का बिहार-झारखंड के रास्ते अप-डाउन होता है। रात के साढ़े दस बजे के बाद हर पांच से पंद्रह मिनट के गैप में राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों की आवाजाही लगी रहती है। इसके अलावा गरीब रथ सहित कई प्रमुख ट्रेनें बिहार झारखंड के रास्ते अप-डाउन करती है। इन ट्रेनों में स्कार्ट को अलर्ट रहने के लिए निर्देशित किया गया है।

Posted By: Inextlive