बसों की मेंटीनेंस करेंगे नहीं. अनट्रेंड और ऐसे चालकों को बस का स्टेयरिंग दे देंगे जिनकी आंखें खराब हैं. जिन बसों को रोडवेज के बस बेड़े से बाहर होना चाहिए उन्हें रोड पर दौड़ाया जा रहा है और ऊपर से वालों से यह फरियाद की जा रही है कि वह रोडवेज बसों का सारथी बन जाए जिससे बसें दुर्घटनाओं से बच सकें.

रोडवेज बसों को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए सोमवार को आयोजित किया गया हवन
lucknow@inext.co.inबसों की मेंटीनेंस करेंगे नहीं। अनट्रेंड और ऐसे चालकों को बस का स्टेयरिंग दे देंगे जिनकी आंखें खराब हैं। जिन बसों को रोडवेज के बस बेड़े से बाहर होना चाहिए, उन्हें रोड पर दौड़ाया जा रहा है और ऊपर से वालों से यह फरियाद की जा रही है कि वह रोडवेज बसों का सारथी बन जाए जिससे बसें दुर्घटनाओं से बच सकें। कुछ इसी तरह का मामला सोमवार को परिवहन निगम में देखने को मिला। यहां रोडवेज बसों को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए हवन किया गया। कैसरबाग डिपो में हुए इस हवन में ड्राइवर, कंडक्टर, बसों की मेंटीनेंस करने वाले कर्मचारी और रोडवेज के अधिकारी शामिल रहे।

क्0भ् वर्कशॉप में होती है मरम्मत
परिवहन निगम में रोडवेज और अनुबंधित मिलाकर कुल क्ख्भ्00 बसें हैं। इन बसों के संचालन के लिए ख्0 क्षेत्रीय कार्यालय और सौ से अधिक डिपो हैं। बसों की मेंटीनेंस के लिए परिवहन निगम के पास कुल क्0भ् कार्यशालाएं हैं। रोडवेज की बसों का मेंटीनेंस दस हजार, ख्0 हजार और ब्0 हजार किमी पर किया जाता है। रोडवेज की ही अधिकारी बताते हैं एक कार्यशाला में बसों की मेंटीनेंस के लिए एक बस पर क्.ब्भ् लोगों की व्यवस्था है। लेकिन कर्मचारियों की कमी के चलते 0.ब्भ् भी नहीं है। क्989 के बाद से मेंटीनेंस के लिए कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई है।

धुलाई तक नहीं होती हैं बसों की
रोडवेज ड्राइवरों ने बताया कि बस हैंडओवर करने से पहले उन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं दिया जाता है। वर्कशॉप से निकलने से पहले बसों की धुलाई तक नहीं हो पाती है। एक दिन में फ्0 बसों को धुलकर निकालना होता है। लेकिन कहीं ख्0 तो कहीं क्भ् बसों की ही सफाई हो पाती है। चालकों ने बताया कि वर्कशॉप में फोर मैन चाहे तो ही सुबह बस मिल पाती है। कई बार तो बस में छोटे-मोटे नुकसान होने पर चालकों से धनराशि की वसूली शुरू हो जाती है। ऐसे में बस पंक्चर होने की सूचना तो चालक निगम को देते ही नहीं हैं और अपनी जेब से उसे ठीक कराने को मजबूर हैं।

बस दुर्घटनाओं को रोकने की कोशिश की जा रही है। वर्कशॉप में कर्मचारियों की कमी है लेकिन इसका असर मेंटीनेंस पर नहीं पड़ता। खटारा बसों को समय-समय पर बाहर किया जाता है।
जयदीप वर्मा
मुख्य प्रधान प्रबंधक तकनीकी
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम

हवन करना तो कोई गुनाह नहीं है। फिर यदि कर्मचारी मिलकर पूजन करते हैं और अपने कल्याण की दुआ मांगते हैं तो इसमें कोई नुकसान नहीं है।

एचएस गाबा

मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम

 

इन हादसों के बाद भी नहीं लिया सबक

- बरेली में गोंडा डिपो की बस एक खंभे से टकराई जिसके बाद उसमें आग लगी और फ्ख् लोग जिंदा जल गए।

- जौनपुर के सिकरारा में बस पुल से नदी में जा गिरी। एक यात्री की मौत हो गई जबकि ख्भ् घायल हो गए।

- दिल्ली से आ रही बस बाराबंकी के निकट पलट गई जिसमें चालक के साथ ही एक यात्री की मौत हो गई।

 

मेंटीनेंस के लिए 9 हजार कर्मियों की जरूरत

इस समय केवल फ्879 कर्मचारी ही मौजूद

कम से कम भ् हजार कर्मचारियों की और जरूरत

 

 

 

हादसों की संख्या (अप्रैल से मार्च)

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Posted By: Inextlive