यूपी में एक जनवरी से बिजली की दरों में 0.04 पैसा प्रति यूनिट से 0.66 पैसे प्रति यूनिट की कर दी थी वृद्धि। उपभोक्ता परिषद की याचिका पर आयोग ने बढ़ाई गई दरों पर फिलहाल लगाई रोक।

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LUCKNOWनए साल के पहले दिन अपना बिजली बिल देख हजारों उपभोक्ताओं के होश उड़ गए. इसकी वजह थी पॉवर कारपोरेशन की ओर से बिजली दरों में बढ़ोत्तरी का खेल रहा. उसने गुपचुप तरीके से बिजली दरों में बढ़ोत्तरी कर दी. नई दरों के आधार पर आए बिजली बिल ने उपभोक्ताओं को झटका लगा. हालांकि मामला संज्ञान में आते ही उपभोक्ता परिषद हरकत में आया और महज दो घंटे के अंदर नियामक आयोग के माध्यम से दर वृद्धि आदेश पर रोक लगवाई.

आयोग से नहीं ली अनुमति
कोयले और तेल की लागत में बढ़ोत्तरी के चलते पॉवर परचेज कॉस्ट में वृद्धि को देखते हुये इंक्रीमेंटल आईसी कास्ट के नाम पर पावर कारपोरेशन ने एक जनवरी 2020 से गुपचुप तरीके से बिजली दरों में बढ़ोत्तरी कर दी थी. इसकी कोई अनुमति विद्युत नियामक आयोग से नहीं ली गई. जिसके बाद प्रदेश के सभी श्रेणी के बिजली उपभोक्ताओं की दरों में 0.04 पैसा प्रति यूनिट से लेकर 0.66 पैसा प्रति यूनिट तक की वृद्धि कर दी साथ ही तुरंत बिलिंग सॉफ्टवेयर में बदलाव का निर्देश भी जारी कर दिया गया.

हरकत में आया उपभोक्ता परिषद
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने तुरंत एक्शन लेते हुए लोक महत्व जनहित प्रत्यावेदन लेकर नियामक आयोग पहुंच गये और आयोग चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात कर पावर कारपोरेशन द्वारा उपभोक्ताओं की दरों में बढ़ोत्तरी के आदेश पर रोक लगाने की मांग उठाई. इसके बाद आयोग चेयरमैन ने पूरे मामले पर चर्चा के बाद ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुये सभी बिजली कंपनियों के एमडी सहित चेयरमैन पावर कारपोरेशन को तुरंत बढ़ोत्तरी के आदेश पर रोक लगाने का निर्देश जारी कर दिया.

कोई कार्रवाई नहीं करेगा
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि जब तक आयोग इस पूरे मामले पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेता, तब तक पावर कारपोरेशन कोई भी कार्रवाई नहीं करेगा.

उपभोक्ता पर डाला भार
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा आयोग के संज्ञान में लाए कि पावर कारपोरेशन द्वारा इंक्रीमेंटल कॉस्ट एमवाईटी रेग्यूलेशन 2014 के तहत गलत तरीके से आईसी मद में प्रति यूनिट आगणन कर बिजली उपभोक्ताओं के बिलों में जनवरी 2020 से ओवरआल औसत 0.26 पैसा प्रति यूनिट लगाने का आदेश जारी कर दिया गया है. वहीं अगर श्रेणीवार देखा जाये तो 0.04 पैसा प्रति यूनिट से लेकर अधिकतम 0.66 पैसा प्रति यूनिट तक उपभोक्ताओं पर भार डाला गया है.

आयोग में मामला विचाराधीन
पूरे मामले पर विद्युत नियामक आयोग द्वारा 13 दिसंबर 2019 को पावर कारपोरेशन से जवाब तलब किया गया था, जिसका जवाब पॉवर कारपोरेशन ने 20 दिसंबर को नियामक आयोग को भेजा और उसी दिन बिजली उपभोक्ताओं पर बढ़ोत्तरी का आदेश जारी कर दिया गया जबकि अभी पूरा मामला विद्युत नियामक आयोग के विचाराधीन है.

ऊर्जा मंत्री से शिकायत
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का कहना है कि जल्द पूरे मामले को लेकर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात कर शिकायत दर्ज कराई जाएगी साथ ही दोषियों पर कार्रवाई किए जाने की मांग भी रखी जाएगी.

दो घंटे में लगी रोक
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने बताया कि गुरुवार दोपहर 12 बजे उन्होंने आयोग में शिकायत दर्ज कराई और दोपहर दो बजे आयोग ने बिजली दरों की वृद्धि में रोक लगाने संबंधी आदेश जारी कर दिया.

करोड़ों रुपया हो गया जमा
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने बताया कि एक जनवरी को हजारों उपभोक्ताओं के बिल जेनरेट हुए. ये बिल नई बिजली दरों के हिसाब से जेनरेट हुए. जिसकी वजह से करोड़ों रुपये जमा भी हो गए. चूंकि अब दर वृद्धि में रोक लग गई है, ऐसे में जिनउपभोक्ताओं ने पैसा जमा करा दिया है, उनका वापस होगा.

यह हैं बढ़ीं दरें

श्रेणी-बढ़ोतरी (रुपये प्रति यूनिट में)

घरेलू-0.10 से 0.27

वाणिज्यिक-0.24 से 0.66

पब्लिक लैंप-0.27 से 0.42

सार्वजनिक संस्थान-0.35 से 0.42

कृषि-0.04 से 0.21

लघु मध्यम उद्योग-0.27 से 0.37

पब्लिक वाटर वक्र्स-0.32 से 0.40

राजकीय नलकूप-0.33 से 0.34

अस्थायी कनेक्शन-0.31

विभागीय कनेक्शन-0.28

उद्योग-0.26 से 0.37

रेलवे ट्रैक्शन-0.42 से 0.43

बल्क सप्लाई-0.158

Posted By: Chandramohan Mishra