Meerut : क्रिकेट में अप एंड डाउन चलता रहता है. एक समय जो बल्लेबाज तमिलनाडु की टीम में जगह ही नहीं बना पा रहा था. आज वो टीम का सबसे प्रोमेसिंग बैट्समैन बनकर उभरा है. मेरठ में चल रहे रणजी मुकाबले में तमिलनाडु की ओर से शतक ठोकने वाले प्रसन्ना ने एक समय क्रिकेट से नाता भी तोड़ लिया था.


वो मुश्किलों भरा समय अपने शुरुआती करियर में प्रसन्ना अपने शुरुआती समय से ही प्रोमेसिंग बैट्समैन रहे हैं, लेकिन चेन्नई में जन्मे रामास्वामी प्रसन्ना को तमिलनाडु की टीम में मौका ही नहीं मिल पाया। तमाम कोशिशों के बावजूद तमिल रणजी टीम में उसका स्थान बन पाना ही नामुमकिन लग रहा था। जब थामा त्रिपुरा का साथ थक हारकर रामास्वामी प्रसन्ना ने त्रिपुरा से खेलने का फैसला किया। जब मौका मिला तो प्रसन्ना परफॉर्मेंस में भी पीछे नहीं रहे। हरियाणा के खिलाफ 2003 में अपने पहले ही मैच में 98 रन बना डाले। इसके बाद तीन साल तक प्रसन्ना त्रिपुरा के लिए खेले। त्रिपुरा की ओर से प्रसन्ना ने दो शतक भी ठोक डाले। अपने आखिरी मैच में उन्होंने गोवा के खिलाफ 65 रन की शानदार पारी भी खेली। छोड़ दिया क्रिकेट
शानदार प्रदर्शन के बावजूद जब बाएं हाथ के बल्लेबाज रामास्वामी को चांस नहीं मिले। तो उन्होंने क्रिकेट छोडऩे का फैसला कर लिया। त्रिपुरा का साथ छोड़कर वह एक साल तक क्रिकेट से दूर बने रहे, लेकिन इसी बीच टीम में जगह बनी तो प्रसन्ना ने गजब का प्रदर्शन दिखाया। इसके बाद उनका तमिलनाडु में सेलेक्शन हो गया और आज 6 साल बाद वो टीम की एक मजबूत कड़ी बने हुए हैं।  टीम की जिम्मेदारी थी


तमिलनाडु की ओर से खेलकर मेरठ में यूपी के खिलाफ अपना दूसरा शतक बनाने वाले प्रसन्ना ने कहा कि जब 4 विकेट टीम के गिर गए थे तो उन पर अधिक जिम्मेदारी आ गई थी। उन्होंने अपराजित के साथ बेहद संभलकर बल्लेबाजी करना शुरू किया। धीरे-धीरे विकेट बल्लेबाजी के लिए मुफीद होता चला गया। प्रसन्ना ने कहा कि ये उनकी फेवरेट इनिंग नहीं है, अभी सिर्फ उनका लक्ष्य स्कोर को 300 पार ले जाना है। उन्होंने कहा कि यूपी के गेंदबाजों ने शुरुआती सेशन में काफी अच्छी स्विंग गेंदबाजी की, लेकिन बाद में संभलकर बल्लेबाजी करना फायदेमंद रहा।

Posted By: Inextlive