उर्दू के मशहूर शायर अखलाक मोहम्म्द खान 'शहरयार' अब हमारे बीच नहीं रहे. सोमवार देर शाम उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 'शहरयार' 76 साल के थे और पिछले साल उन्हें 2008 के साहित्य के ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाज़ा गया था.


शहरयार लंबे समय से बीमार चल रहे थे और ब्रेन ट्यूमर के शिकार थे. अलीगढ़ स्थित अपने निवास पर रात आठ बजे उन्होंने अंतिम सांसें लीं. शहरयार को ज्ञानपीठ सम्मान उर्दू साहित्य में उनके योगदान के लिए दिया गया था. हिंदी फ़िल्मों के मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन ने दिल्ली के सिरीफ़ोर्ट ऑडिटोरियम में हुए 44वें ज्ञानपीठ समारोह में उन्हें ये पुरस्कार प्रदान करते हुए कहा था कि  शहरयार सही मायने में आम लोगों के शायर रहे.1936 में उत्तर प्रदेश के बरेली में जन्मे शहरयार उर्दू के चौथे साहित्यकार हैं, जिन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया. शहरयार को 1987 में उनकी रचना ''ख़्वाब के दर बंद हैं'' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला था.

Posted By: Kushal Mishra