अमेरिका एक बार फिर मंदी की चपेट में आ सकता है। ग्‍लूम बूम एंड डूम ने अपनी एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार 2016 में अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट की आशंका है।

 

महंगाई दर शून्य के करीब 

अमेरीका की जीडीपी बढ़ रही है लेकिन महंगाई दर शून्य के करीब है। इस स्थिती पर काबू पाने के लिए अमेरीका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने इस महीने पहली बार अपने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। हालांकि ऐनालिस्टों का मानना है की सेंट्रल बैंक ने यह फैसला बहुत देर से लिया है। इस पर फेडरल बैंक की चेयरमैन जेनेट येलन का कहना है कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों और इंडस्ट्रियल सेक्टरों में हालात अलग-अलग हो सकते है लेकिन अमेरिका की इकोनॉमी सुधार की ओर बढ़ रही है। उन्होंने यह भी कहा की अमेरिकियों को अपनी इकोनॉमी पर भरोसा रखना होगा।

घटती जा रही है इकनॉमिक ग्रोथ

नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च ने यह बताया की पिछले तीन महीने से अमेरिका की इकोनॉमिक ग्रोथ 3.9 फीसदी थी जो पिछली तिमाही में घटकर 2 फीसदी वार्षिक पर आ गई है जो गहन चिंता का विषय है। उनके मुताबिक अमेरीकी इकोनॉमी ने 2007 में आखिरी बार आर्थिक संकट का सामना किया था जो जून 2009 तक बना रहा था। अमेरीका को यह आर्थिक संकट दोबारा ना झेलना पड़े इसलिए ही फेडरल बैंक ने अपने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है।

इकोनॉमिस्टों ने पहले ही किया था सचेत

अमेरीकी जीडीपी की रफ्तार देखते हुए पूर्व यूएस ट्रेजरी सेक्रटरी लॉरेंस समर्स और इकोनॉमिस्ट नौरियल रुबीना ने सेट्रल को पहले ही चेताया था। उन्होने सेंट्रल बैंक से कहा था की वह इस विषय पर गौर करे क्योंकि जीडीपी के मुताबिक महंगाई दर नहीं बड़ रही थी। एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर में सेंट्रल बैंक का इंफ्लेशन इंडेक्स 0.4 फीसदी था जो उसके टारगेट से दो फीसदी कम था। इस स्थिती को देखते हुए तो लगता है की फेबर की भविष्यवाणी सच ना हो जाए।


Posted By: Satyendra Kumar Singh