US की रिलीजियस रिर्पोट का दावा मोदी राज में भारत में घटी है धार्मिक सहिष्णुता
अमेरिकी कांग्रेस के एक पैनल ने कहा है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं. उनके खिलाफ लगातार तीसरे साल हमलों में इजाफा हुआ है. अमेरिका की अंतराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से भारत पर दबाव बढ़ाने को भी कहा है. गुरुवार को जारी अपनी सालाना रिपोर्ट में आयोग ने हिंसा और नेताओं के भडक़ाऊ बयानों को लेकर भाजपा सरकार की आलोचना भी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार बनने के बाद से भाजपा नेताओं ने धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अपमानजनक टिप्पणियां की. हिंदू राष्ट्रवादी समूहों ने जबरन धर्मांतरण और हमलों जैसी कार्रवाइयों को अंजाम दिया. रिपोर्ट में विहिप के घर वापसी कार्यक्रम का हवाला दिया गया है. सार्वजनिक रूप से होनी चाहिए निंदा
आयोग ने ओबामा से भडक़ाऊ बयान देने वाले नेताओं को सार्वजनिक तौर पर फटकार लगाने और धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए भारत पर दबाव बढ़ाने को कहा है. इससे पहले दिसंबर में आयोग ने घर वापसी की आलोचना करते हुए कहा था कि अल्पसंख्यकों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है. ऐसा करने वाले हिंदुओं का आर्थिक सहायता दिए जाने की बात भी आयोग ने कही थी. हालाकि रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान को सकारात्मक कदम बताया गया है जिसमें उन्होंने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की बात कही थी. फरवरी में प्रधानमंत्री ने चर्चों पर हमले की निंदा करते हुए अल्पसंख्यकों को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया था. वैसे रिपोर्ट में इस बयान को गुजरात में 2002 में हुए दंगों से जोड़ते हुए कहा गया है कि मोदी उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री थे और उन पर दंगे भडक़ाने का आरोप लगा था. आयोग ने इस साल भी भारत को टियर-2 देशों की सूची में ही जगह दी है. भारत 2009 से इसी सूची में बना हुआ है. इस श्रेणी में अफगानिस्तान, रूस, क्यूबा, मलेशिया और तुर्की सहित कुल 10 देश हैं. यह रिपोर्ट मुख्य तौर पर धर्मगुरुओं और गैरसरकारी संगठनों से बातचीत पर तैयार की गई है. रिपोर्ट में आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान को धार्मिक रूप से सबसे संवेदनशील राज्य बताते हुए कहा है कि यहां धार्मिक आधार पर हमले और घटनाएं होती हैं. सरकार ने रिर्पोट को नकारा
वहीं भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय ने इस रिर्पोट को सीमित समझ पर आधारित है रिपोर्ट कहते हुए नकार दिया है. रिपोर्ट को भारत सरकार ने खारिज कर दिया है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि रिपोर्ट भारत के समाज और संविधान को लेकर आयोग की सीमित समझ पर आधारित है अत: इसे सही नहीं कहा जा सकता.
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