अमेरिका ने अलकायदा के खतरनाक मंसूबों को लेकर भारत को सतर्क किया है. अमेरिका ने बताया है कि अल कायदा अगस्‍त में ही भारत में अपने पांव पसार चुका है.

मुहैया कराई खुफिया सूचना
अमेरिका ने इस संबंध में भारत को खुफिया सूचना मुहैया कराई है. यूएस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस महीने अमेरिकी यात्रा से पहले अहम जानकारी दी है. अब अल जवाहिरी के वीडियो को लेकर सरकार के सूत्रों का कहना है कि अल कायदा चीफ अल जवाहिरी का विडियो इंडियन एजेंसियों से लिए चौंकाने वाला नहीं है.
उठ रहे हैं सवाल
अल कायदा ने साउथ एशियन ब्रांच बनाने की घोषणा की है. इसका नाम रहेगा अल कायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंटल(AQIS), लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि अलकायदा ने अचानक ऐसी घोषणा क्यों की है. अल कायदा इसके पहले भी भारत को धमकी देते रहा है. जब ओसामा बिन लादेन ने 1996 में जेहाद का ऐलान किया था तब से भारत के लिए धमकी भरे बयान हमेशा आते रहे हैं. साउथ एशियन टेररिजम पोर्टल के अजय साहनी ने बताया कि उसने भारत में खास तौर पर जम्मू-कश्मीर और असम का नाम लिया है. 2002 में गुजरात दंगे के बाद भी अल कायदा की तरफ से कई ऐसे बयान आए हैं, लेकिन हमें अतीत में जाकर देखना होगा कि भारत में अल कायदा का कौन सा अभियान नाकाम रहा. ओसामा बिन लादेन का तब के अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय मुसलमानों से भी निजी बातचीत में जिक्र किया करते थे. भारत से अल कायदा के दूर रहने के दूसरे कारण थे. 9/11 के प्रभावशाली अटैक से इंडिया को आसान टारगेट बनाया गया. पाकिस्तान भी भारत के खिलाफ अलकायदा के मुकाबले स्वतंत्र और चुने हुए आतंकी ग्रुप के पक्ष में रहा है. जवाहिरी का ऐलान कई घटनाक्रमों से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है. पहला यह कि पिछले कुछ दशकों से भारतीय मुस्लिमों की अतिवादी पहचान ज्यादा मुखर हुई है.
साउथ एशिया में समर्थन मिलने की है उम्मीद
जवाहिरी को साउथ एशिया में व्यापक समर्थन मिलने की उम्मीद है. पूर्व खुफिया ब्यूरो के एक अधिकारी ने बताया कि भारत में 2002 के दंगे और पश्चिम एशिया के घटनाक्रमों से अल कायदा संभावनाओं की जमीन को दुरुस्त करना चाहता है. इराक पर अमेरिकी कार्रवाई से अतिवादी इस्लामिक चरमपंथियों की गोलबंदी तेज हुई है. पिछले कुछ सालों से छोटे ग्रुप पाकिस्तान और अफगानिस्तान जा रहे हैं.
कुछ मुस्लिमों के इस्लामिक स्टेट ज्वाइन करने की है खबर
भारतीय खुफिया एजेंसी को पता है कि करीब 20 भारतीय मुस्लिमों ने इस्लामिक स्टेट जॉइन किया है या करने की कोशिश में हैं. इस्लामिक स्टेट शिया समुदाय से घोर नफरत करता है इसके बावजूद ऐसा हो रहा है. पूर्व खुफिया अधिकारी ने बताया कि 80 से 90 भारतीय मुस्लिम अल कायदा, आईएस या ऐसे ही कट्टरवादी ग्रुप में शामिल हुए हैं. इन बातों को जवाहिरी निश्चित तौर पर नोटिस कर रहा होगा. जवाहिरी कमजोर पड़ रहे अलकायदा को इस्लामिक स्टेट और दूसरे आतंकी संगठनों के सहारे फिर से जिंदा करना चाहता है. अमेरिका के ड्रोन अटैक, ओसामा बिन लादेन और कई बड़े कमांडरों के मारे जाने के बाद से अल कायदा की कमर टूट चुकी है. हालांकि जवाहिरी इस्लामिक स्टेट के शिया विरोधी रवैए से नाराज रहता है. यह सबसे बड़ा कारण है कि इस्लामिक स्टेट की अल कायदा में कोई निष्ठा नहीं है. अफगानिस्तान, अरब जगत और पश्चिम अफ्रीका में अल कायदा से जुड़े लोगों ने अपनी वफादारी इस्लामिक स्टेट में शिफ्ट कर ली है.
अरब में डूब रहा है जवाहिरी का सितारा
जवाहिरी की सितारा अरब वर्ल्ड में लगातार डूब रहा है. ऐसे में वह साउथ एशिया में खुद को प्रासंगिक बनाने की कोशिश में लगा है. वह अरब वर्ल्ड की नाकामियों के साउथ एशिया में कामयाब करना चाहता है. नरेंद्र मोदी के चुने जाने, म्यांमार में मुस्लिमों का दमन और पाकिस्तान में अस्थिरता के बीच जवाहिरी अल कायदा की संभावनाओं को तलाश रहा है. ऐसे में वह भर्ती अभियान के साथ अपनी गतिविधि को बढ़ा सकता है. वह AQIS को तार्किक अंजाम तक पहुंचाना चाहता है.
तहरीक का सीरिया में है मजबूत आधार
आश्चर्यजनक रूप से जवाहिरी ने मौलाना असीम उमर को AQIS का चीफ बनाया है. उमर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का पूर्व कमांडर है. उमर सीरिया और इराक में अपने लड़ाकों पर गर्व करता है. पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों का भी साफ मानना है कि तहरीक का सीरिया में मजबूत आधार है. अजय साहनी का कहना है कि अल कायदा सभी ग्रुपों- जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहा है. साहनी के मुताबिक अल कायदा का इंडिया में फंक्शनल नेटवर्क नहीं है. हालांकि रॉ में सेकंड पोजिशन पर रहे राना बनर्जी का कहना है कि इस धमकी को गंभीरता से लेने की जरूरत है.

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Posted By: Ruchi D Sharma