-अब सोलर पावर की होगी शेयरिंग, यूएसए स्थित एमआईटी टाटा सेंटर के रिसर्चर्स ने तैयार किया सिस्टम

-जमशेदपुर के पास पटमदा स्थित दो गावों में हो रहा टेस्ट इंस्टॉलेशन, फिल्ड टेस्ट के लिए पहुंची टीम

-इस सिस्टम के इस्तेमाल से दूसरों को भी बिजली दे सकेंगे ग्रामीण, बनेगा आमदनी का जरिया

abhijit.pandey@inext.co.in

JAMSHEDPUR: अमेरिका के प्रतिष्ठित मैसाचुएट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के रिसर्चर्स के दो सालों की कड़ी मेहनत का फल जल्दी ही जमशेदपुर के आसपास स्थित गांवों के लोग चखेंगे। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के जमाने में भी अंधकार युग में जी रहे ग्रामीणों के जीवन में यह रिसर्च न सिर्फ उजाला लाएगा, बल्कि उनके लिए कमाई का एक नया जरिया भी बनेगा। एमआईटी के रिसर्चर्स ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की है जिसके इस्तेमाल से वैसे गांवों के लोग दूसरों को भी बिजली बेच सकेंगे जिन गांवों में आज तक बिजली पहुंची ही नहीं। सोलर पावर के इस्तेमाल के दायरे को बढ़ाने वाली इस मशीन को नाम दिया गया है, पावर मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू)। इस मशीन के टेस्ट इंस्टॉलेशन के लिए एमआईटी की टीम जमशेदपुर पहुंच चुकी है।

एमआईटी टाटा सेंटर के रिसर्चर्स ने तैयारी िकया सिस्टम

इस सिस्टम को एमआईटी के टाटा सेंटर के रिसर्चर्स ने तैयार किया है। इसे तैयार करने में टीम को दो साल लगे इस दौरान कई बार इंडिया का विजिट भी करना पड़ा। प्रोजेक्ट की फंडिंग के साथ-साथ टेक्निकल और अन्य सपोर्ट एमआईटी टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिजायन द्वारा दिया गया है। टीम में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर राजीव राम और डेविड पेरॉल्ट के नेतृत्व में एमआईटी के डॉक्टरल स्टूडेंट्स और एमआईटी टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन की फेलो पाकिस्तान की वरदा इनाम और डेनियल स्ट्रॉसर शामिल हैं। बीरेन रमेश भूटा ने बताया कि टीम के सदस्य यहां पहुंच चुके हैं।

बड़े काम का है ये छोटा सा पीएमयू

एमआईटी रिसर्चर्स द्वारा तैयार किया गया ये पावर मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) कई काम करता है। सोलर पैनल और दूसरे सोर्सेज से मिलने वाली बिजली का किस तरह से इस्तेमाल हो, पीएमयू इसे रेग्यूलेट करता है। बिजली का इस्तेमाल लाइट जलाने या मोबाइल चार्ज करने में करना है या फिर बाद में इस्तेमाल करने के लिए बैट्री चार्ज करना ये सभी काम पीएमयू के जरिए किए जा सकेंगे। इसके अलावा पीएमयू में लगा मॉनिटर यह भी बताएगा की प्रत्येक यूजर के पास कितनी बिजली जा रही है, इससे बिलिंग के लिए रिकॉर्ड भी रखा जा सकता है।

जमशेदपुर के पास होगा टेस्ट इंस्टॉलेशन

इस सिस्टम के टेस्ट इंस्टॉलेशन के लिए जमशेदपुर के पास स्थित दो गांवों को चुना गया है। टाटा स्टील सीएसआर के चीफ बीरेन रमेश भूटा ने बताया कि टेस्ट इंस्टॉलेशन के लिए टीम द्वारा पटमदा के पास स्थित बांस टोला और वेस्ट सिंहभूम के एक गांव को चुना गया है। इनमे से एक गांव में कोई बाहरी पावर सोर्स नहीं है, वहीं दूसरा गांव ग्रिड से तो जुड़ा हुआ है, लेकिन यहां ख्ब् घंटे में दो से तीन घंटे से ज्यादा बिजली नहीं रहती। एमआईटी की टीम पहले भी इन गांवों का दौरा कर चुकी है। गांव के कुछ घरों में सोलर पावर सिस्टम है जिनसे कम पावर वाले एलईडी लाइट जलाने और फोन चार्ज करने जैसी जरूरतें पूरी होती हैं। इस सिस्टम की खास बात यह है कि इसे स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। टीम ने पूर्व में किए गए अपने विजिट्स में ग्रामीणों से उनकी जरूरतों के बारे में समझा और उसी को ध्यान में रखते हुए इस माइक्रोग्रिड सिस्टम को तैयार किया।

होगी कमाई भी

पावर मैनेजमेंट यूनिट बिजली की कमी झेल रहे ग्रामीणों के लिए कमाई का जरिया भी बनेगा। वैसे लोग जो सोलर पैनल अफोर्ड कर सकते हैं वो इस सिस्टम के इस्तेमाल से अपने पड़ोसियों को भी बिजली दे पाएंगे। इससे सोलर पैनल लगाने वाले एक्सेस बिजली को दूसरों को बेच सकते हैं, जिससे उन्हें इन्कम तो होगी ही साथ ही वैसे घरों को भी बिजली मिल पाएगी जो सोलर पैनल अफोर्ड नहीं कर सकते।

गांव-गांव तक पहुंचेगा माइक्रोग्रिड

जिन गांवों में आज तक बिजली नहीं पहुंची है, वहां के घरों के लोग इस तकनीक के इस्तेमाल से खुद ग्रिड बना सकेंगे। गांव में जो लोग सोलर सिस्टम लगा सकते हैं वे इस सिस्टम के इस्तेमाल से एक माइक्रोग्रिड के जरिए दूसरों को बिजली बेच सकते हैं। वहीं जो लोग सोलर इंस्टॉलेशन अफोर्ड नही कर सकते वें निर्धारित राशि देकर बिजली खरीद सकते हैं जिससे कम खर्च में लाइटिंग, फोन चार्जिग जैसी जरूरतें पूरी हो सकती हैं। इससे केरोसिन और रोशनी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य साधन भी बचेंगे। वर्तमान में बड़ी संख्या में सोलर होम सिस्टम से पंखा नहीं चलाया जा सकता है, लेकिन इस सिस्टम के इस्तेमाल से पंखा भी चलाया जा सकता है। इस माइक्रोग्रिड सिस्टम से बड़े सोलर पैनल्स का इस्तेमाल भी मुमि1कन होगा।

नहीं रहेगा शॉक का खतरा

एमआईटी द्वारा तैयार किया गया यह सिस्टम यूजर्स के लिए सेफ भी है। यह भ्0 वोल्ट से भी कम पर ऑपरेट करने के लिए तैयार किया गया है, इसलिए अगर वायरिंग डैमेज भी हो जाए तो भी तारों के संपर्क में आने से किसी तरह के गंभीर शॉक का खतरा नहीं होगा। दुनिया के ज्यादातर इलेक्ट्रिक ग्रिड सिस्टम एसी (ऑल्टरनेटिंग करेंट) यूज करते हैं, लेकिन यह सिस्टम डीसी (डायरेक्ट करेंट) पर काम करता है जिससे इसका सेटअप आसान होता है और कॉस्ट भी कम होता है। लाइटिंग, फोन चार्ज करने या पंखा चलाने में डीसी सिस्टम की ही उपयोग होता है या इन्हें आसानी से डीसी में कन्वर्ट किया जा सकता है वहीं सोलर पैनल भी डीसी ही प्रोड्यूस करता है। ऐसे में सिस्टम के इस्तेमाल से डीसी को एसी और एसी को डीसी में कन्वर्ट के लिए कई डिवाइसेज लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।

कई फायदे हैं इस सिस्टम के

इस क्षेत्र में सामान्य तौर पर ऐसे सोलर सिस्टम लगाए जाते हैं जिनमे प्रत्येक लैंप, पंखा या चार्जर हार्ड-वायर्ड सिस्टम से जुड़े होते हैं, लेकिन एमआईटी द्वारा तैयार किए गए इस नए सिस्टम से लाइट या अन्य उपकरण जोड़ने या हटाने, ज्यादा सोलर पैनल या डीजल जेनरेटर्स जैसे अन्य पावर सोर्सेज जोड़ने और समय के साथ दूसरे यूजर्स को कनेक्शन देने की भी सुविधा मिलती है।

एमआईटी के सात लोगों की टीम यहां आई है। टीम द्वारा माइक्रोग्रिड सिस्टम पर काम किया जा रहा है। यह काम तीन फेज में होगा। फिलहाल टीम द्वारा दूसरे फेज पर काम किया जा रहा है।

-बीरेन रमेश भूटा, चीफ, सीएसआर, टाटा स्टील

Posted By: Inextlive