- बड़ी-बड़ी दुकानें तो बना लीं, नहीं रखा कस्टमर यूटिलिटी का ख्याल

- जानसेनगंज, घंटाघर चौक में सुलभ काम्प्लेक्स के लिए नहीं है जगह

बड़ी-बड़ी दुकानें तो बना लीं, नहीं रखा कस्टमर यूटिलिटी का ख्याल

- जानसेनगंज, घंटाघर चौक में सुलभ काम्प्लेक्स के लिए नहीं है जगह

ALLAHABAD: ALLAHABAD: जानसेनगंज, चौक और घंटाघर में पब्लिक यूटिलिटी का न होना बिग इश्यू है। कल हमने ओल्ड सिटी में इस इश्यू पर बताया कि किसी ने आवाज उठायी तो उसे पागल करार दे दिया गया और सलाखों के पीछे भेज दिया गया। लेकिन प्राब्लम बड़ी है तो इसके हर पहलू पर बात होनी चाहिए। क्योंकि केवल नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन या फिर डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन को दोषी ठहराने से समस्या से हल नहीं निकलेगा। दुकानदारों को यह सोचना होगा कि उन्होंने अपने कस्टमर्स के लिए क्या किया। क्या उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती।

क्या दुकानदारों की नहीं बनती जिम्मेदारी

लोगों के बीच से आवाज उठ रही है कि नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन ने ओल्ड सिटी पर ध्यान नहीं दिया। जिस मार्केट में करोड़ों का टर्न ओवर है, जहां पर डे हजारों लोग मार्केटिंग करने आते हैं। लाखों की आबादी रहती है, वहां आज तक एक पब्लिक टॉयलेट और सुलभ काम्प्लेक्स नहीं बन सका है। मार्केट में आने पर पब्लिक को नैचुरल प्रॉसेज से निबटने के लिए भागना पड़ता है। ठीक है नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन इसके लिए दोषी है। लेकिन सवाल उठता है कि पब्लिक ने क्या किया।

बड़ी-बड़ी दुकानें बनवाई फिर टॉयलेट क्यों नहीं

सिविल लाइंस क्रास कर जैसे ही जानसेनगंज की ओर बढ़ेंगे सड़क के दोनों ओर बड़ी-बड़ी दुकानें दिखाई देंगी। छोटे-छोटे कई प्राइवेट काम्प्लेक्स दिखाई देंगे। बाहर से एक दुकान दिखाई देगी, अंदर घुसेंगे तो कई दुकानें सामने दिखाई देने लगेंगी। अंडर ग्राउंड, ग्राउंड फ्लोर से लेकर तीन-तीन, चार-चार फ्लोर की दुकानें चौक और घंटाघर बाजार में खड़ी हैं। पर डे लाखों-करोड़ों का टर्न ओवर है। सिटी के साथ ही आस पास के टाउन व डिस्ट्रिक्ट की पब्लिक भी मार्केटिंग के लिए चौक एरिया को ही प्रीफर करती है। सीजन हो या फिर न हो। ऑफ सीजन में भी चौक में भीड़ दिखाई देती है। जिस कस्टमर से बिजनेसमैन को फायदा हो रहा है, उनके लिए दुकानदारों या फिर काम्प्लेक्स के मालिकों ने एक टॉयलेट नहीं बनवाया।

एडीए ने कैसे पास कर दिया नक्शा

चौक बाजार में कई बिल्डिंग ऐसी हैं, जो नगर निगम और एडीए के रिकार्ड में घरेलू हैं। लेकिन उनका इस्तेमाल पूरी तरह कॉमर्शियल हो रहा है। जब कोई कामर्शियल बिल्डिंग बनती है तो फिर उसमें पब्लिक और कस्टमर के लिए मुहैया की जाने वाली सुविधाओं में प्रियोरिटी बेसिस पर टॉयलेट का ध्यान रखा जाता है। इसके अलावा यह भी ध्यान दिया जाता है कि किसी एक्सीडेंट की स्थिति में काम्प्लेक्स में मौजूद लोगों को सुरक्षित निकालने का इमर्जेसी रास्ता भी होना चाहिए। लेकिन एडीए और नगर निगम ने बेसिस प्रियोरिटी पर ध्यान दिए बगैर नक्शा पास कर दिया। किसी भी काम्प्लेक्स या फिर कटरा, में कस्टमर के लिए टॉयलेट की सुविधा नहीं है।

कईयों ने तो टॉयलेट ढहा दिया

चौक बाजार में कुछ बिजनेसमैन तो ऐसे हैं, जिन्होंने नक्शा पास कराने के लिए टॉयलेट तो बनवाया। लेकिन नक्शा पास होने और फिर मार्केट शुरू होने के बाद टॉयलेट को ढहाकर उसे अपना माल गोदाम बना लिया।

पटरियों को भी नहीं छोड़ा

नगर निगम की मेयर का कहना है कि नगर निगम में पब्लिक टॉयलेट और सुलभ काम्प्लेक्स बनवाने के लिए काफी पैसा है। लेकिन प्रॉब्लम केवल जगह की है। अगर चौक व घंटाघर के व्यापारी एकजुट हो जाएं तो यह प्रॉब्लम सॉल्व हो सकती है। चौक और घंटाघर में कई दुकानदारों ने पटरियों पर कब्जा कर रखा है। नगर निगम की जमीन पर भी दुकानें लग गई हैं। अगर वे जगह छोड़ दें तो फिर काम हो सकता है।

सुनील चौधरी को रिहा करे पुलिस

जानसेनगंज, चौक, घंटाघर के व्यापारी और लोग टॉयलेट व सुलभ काम्प्लेक्स के मुद्दे को उठाने वाले सुनील चौधरी के जेल जाने के बाद अब उसके समर्थन में आवाज उठने लगी है.वेडनेसडे को पानदरीबा मोहल्ले के लोगों ने गली में प्रदर्शन कर सामाजिक कार्यकर्ता सुनील चौधरी की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए रिहाई की मांग की।

Posted By: Inextlive