-किराना व्यापारी जीएसटी को बता रहे हैं वैट से बेहतर

-छोटे किराना व्यापारियों पर जीएसटी का नहीं हुआ कोई असर

ALLAHABAD: गल्ला और किराना हर आम और खास की आम जिंदगी से सीधे जुड़ा है। जीएसटी ने इस पर टैक्स के बोझ को कम किया है। सबसे बड़ी राहत गल्ला, दलहन और तिलहन के सामानों पर दी गई है। हालांकि किराना व्यापार पर टैक्स का बोझ ज्यों का त्यों है। लेकिन अपना व्यापार बढ़ाने की व्यापारियों को छूट दी गई है। इसको लेकर व्यापारियों में खुशी भी है। शिकायत है तो बस लिखा-पढ़ी के बोझ और रिटर्न की प्रक्रिया से।

पहले किराना पर था डबल टैक्सेशन

जीएसटी से पहले किराना सामानों पर डबल टैक्सेशन सिस्टम लागू था। पांच फीसदी टैक्स के साथ ही दो प्रतिशत सीएसटी यूपी से बाहर से माल मंगाने पर देना पड़ता था। लेकिन जीएसटी में ऐसा कुछ भी नहीं है। अब कहीं से भी कोई भी माल लाया जा सकता है, जिसकी वैट में लिमिट तय थी। टैक्स वैट के बराबर ही है। दो प्रतिशत सीएसटी से मुक्ति मिल गई है। अब दिल्ली से माल लाने पर कोई पाबंदी नहीं है, बस जीएसटी देना पड़ रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद वैल्युएशन कम करने का खेल खत्म हो गया है।

टैक्स फ्री हुआ गल्ला व दलहन

जीएसटी से पहले वैट के दौरान दलहन पर एक प्रतिशत, गल्ला पर चार प्रतिशत टैक्स लगता था। वहीं तिलहन पर चार प्रतिशत वैट के साथ ही एक प्रतिशत सरचार्ज भी लगता था। वहीं ढाई प्रतिशत मंडी शुल्क भी लगता था। जीएसटी लागू होने के बाद नॉन ब्रांडेड दलहन और गल्ला पर लगने वाला टैक्स तो खत्म कर दिया गया। लेकिन ढाई प्रतिशत मंडी शुल्क अभी भी लिया जा रहा है। इसे खत्म करने की मांग व्यापारियों द्वारा की जा रही है।

नॉन ब्रांडेड का ऐसा है हाल

सामान जीएसटी के पहले जीएसटी के बाद

मैदा 1800 से 1850 1850 से 1900

आटा 1750 से 1800 1850 से 1900

सूजी 1850 से 1900 1950 से 2000

सरसों तेल 1300 से 1350 1400 से 1450

सोयाबीन रिफाइंड 1200 से 1250 1325 से 1370

अरहर दाल 6500 से 7000, 5700 से 5800

ब्रांडेड का यह है हाल

सामान जीएसटी के पहले जीएसटी के बाद

आटा 2500 से 3000 3000 से 3500

बेसन 5000 से 5100 5500 से 6000

चावल 3000 से 8000 5000 से 10000 रुपया

फैक्ट फाइल

1500 से 2000 हजार करोड़ के करीब है इलाहाबाद के गल्ला मंडी का एनुअल टर्न ओवर

2000 से 2500 हजार करोड़ के करीब है किराना बाजार का एनुअल टर्न ओवर

20 से 25 प्रतिशत गल्ला व किराना मंडी में दर्ज की हुई गिरावट, वजह बताया जा रहा नोटबंदी और महंगाई

जीएसटी लागू होने के बाद व्यापार में स्वतंत्रता मिली है, लेकिन व्यापारियों की लिखा-पढ़ी बढ़ गई है। इस वजह से व्यापारी जीएसटी के एक्ट और कानून को समझ नहीं पा रहे हैं।

-सतीश चंद्र केसरवानी

अध्यक्ष

इलाहाबाद गल्ला एवं तिलहन व्यापार संघ

पेनाल्टी लगा दिए जाने और रिटर्न की प्रक्रिया जटिल होने से व्यापारी घबरा रहा है। जो व्यापारी अभी तक व्यापार में समय देता था, उसका समय अब लिखा-पढ़ी में ही बीत रहा है।

-संतोष पनामा

संयोजक उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति

जीएसटी के बाद किराना में वस्तुएं सस्ती हुई हैं। ज्यादातर सामान पांच प्रतिशत टैक्स दायरे में होने के कारण टैक्स का भार नहीं बढ़ा है। नंबर एक का व्यापार करने वालों के लिए लिखा पढ़ी सुविधाजनक हो गई है।

-पीयूष अग्रवाल

किराना व्यापारी

सरकार ने करीब-करीब सभी गल्ला सामानों को 0 प्रतिशत टैक्स के दायरे में रखा है। समस्या केवल पेटेंट और नॉन पेटेंट में आ रही है। इसके लिए रूल क्लीयर न होने के कारण इसका फायदा रास्ते में अधिकारी उठा रहे हैं।

-मनोज गोयल

गल्ला व्यापारी

कुछ वस्तुओं में टैक्स को लेकर भ्रम की स्थिति है। जैसे मखाना मंडी से माल कुछ व्यापारियों द्वारा 0 प्रतिशत लगाकर मखाने पर भेजा जा रहा है। जबकि कुछ व्यापारियों द्वारा पांच प्रतिशत कर लगाकर भेजा जा रहा है।

-मनोज अग्रवाल

गल्ला व्यापारी

Posted By: Inextlive