दांव पर अभ्यर्थियों का भविष्य, टूटने लगी है अब आस

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग लगातार सरकार के निशाने पर है। बावजूद इसके आयोग अपनी कार्यशैली सुधारने का नाम नहीं ले रहा। इसका बड़ा उदाहरण अपर निजी सचिव परीक्षा 2010 है। जिसका प्रॉसेस भर्ती का विज्ञापन जारी होने के लगभग साढ़े छह साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। इससे नाराज होकर अभ्यर्थियों ने आयोग के चेयरमैन, यूपी के डिप्टी सीएम, चीफ सेक्रेटरी, गवर्नर यूपी और पीएमओ को पत्र भी लिखा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि वर्ष 2004-05 से ही प्रतियोगी अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा की आस लगाये थे। आयोग ने इस भर्ती को इतना लेंदी बना दिया कि अब परीक्षार्थी का कॅरियर ही दांव पर लग गया है। परीक्षा परिणाम के लिये हाईकोर्ट में रिट भी दाखिल कर दी गई है। ज्ञापन देने वालों में सत्य प्रकाश जायसवाल, अजय कुमार, अनिल कुमार, भारत लाल, राजकुमार प्रजापति, जिलाजीत शुक्ला, सत्येन्द्र पांडेय, अर्जुन सिंह आदि शामिल हैं।

परीक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण बिन्दु

कुल 250 पदों के लिये दिसम्बर 2010 में आया विज्ञापन

विज्ञापन के लगभग ढाई साल बाद सितम्बर 2013 में हुई प्रथम चरण की लिखित परीक्षा

मार्च 2014 में हिन्दी आशुलिपि एवं टंकण की द्वितीय चरण की परीक्षा करवाई गई।

जून 2015 में लिखित/हिन्दी आशुलिपि व हिन्दी टंकण परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया।

लगभग 01 वर्ष तीन माह बाद 11 सितम्बर 2016 को 859 अभ्यर्थियों की कम्प्यूटर ज्ञान की अंतिम चरण की परीक्षा आयोजित की गई।

कम्प्यूटर ज्ञान परीक्षा के लगभग 09 माह बाद भी अंतिम परिणाम घोषित नहीं किया गया।

इसमें साक्षात्कार का नहीं है प्रावधान

अधिकांश अभ्यर्थी अब हो चुके हैं ओवरएज

Posted By: Inextlive