थाना सदर क्षेत्र से ढाई महीने से लापता किशोरी का कोई सुराग नहीं है. किशोरी घर से स्कूल के लिए निकली थी बरामदगी नहीं होने पर परिजनों का बुरा हाल है. सोमवार को इसकी कंप्लेन की गई. वहीं शहर से पिछले दिनों लापता बच्चों का कोई सुराग नहीं हैं. ऐसे में छह महीने में रहस्यमय ढंग से लापता 28 बच्चों में से 12 अभी भी बेसुराग हैं.


आगरा। सदर थाना क्षेत्र के प्रेम कटरा निवासी सतीश झा ने बताया कि उनकी बेटी 13 जून को घर से रॉयल स्कूल के लिए निकली थी, लेकिन वापस नहीं लौटी है। उन्होंने रोहित और भोला नाम के दोनों युवकों पर बच्ची को ले जाने का मुकदमा दर्ज है, लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं है। किशोरी की मां का रो-रोकर बुरा हाल है।


छह महीने में ट्रैस किए 16 बच्चे
जनपद आगरा में जनवरी वर्ष 2022 से जून 28 किशोर रहस्यमयी ढंग से लापता हैं, पुलिस पूछताछ और इनवस्टीगेशन के जरिए 16 किशोरों को बरामद कर उनके परिजनों को सौंपा हैं। जिसमें से कुछ बच्चे अपनी मर्जी से दोस्तों या फिर पारिवारिक कलह के चलते घर छोड़ा था। परिजनों द्वारा लापता होने के बाद इसकी कंप्लेन की गई, इसके बाद पुलिस टीम ने अलग-अलग स्थानों से पूछताछ की।

लापता बच्चों के पीछे कोई गैंग तो नहीं
जनपद से गायब हो रहे बच्चों के पीछे किसी गैंग के होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। शाहगंज क्षेत्र से लापता बच्चे के परिजन ने बताया कि उनका बच्चा पिछले तीन महीने से घर नहीं आया है, इस संबंध में कंप्लेन की गई, लेकिन कोई सुराग नहीं लग सका है। ऐसे में बच्चों के गायब होने के पीछे गैंग हो सकता है।


इस मामले में क्या है एसओपी
चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने बताया कि लापता बच्चों को ट्रैस करने के लिए एसओपी को गठन किया गया है। इसके अनुसार अगर कोई बच्चा चार महीने के भीतर बरामद नहीं किया जाता है तो उसकी विवेचना मानव तस्करी निरोधक थाने में ट्रांसफर की जाती है। जांच में बच्चे के से पूछताछ, दोस्तों से बात कर जानकारी हासिल की जाती है, जिससे बच्चे के बारे में गतिविधि की जानकारी मिल सके। इस तरह के प्रयास के बाद बच्चों को बरामद करने में आसानी रहती है।

हर महीने होनी सुनवाई
लापता बच्चों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए परिजन थाने के चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन कोई ठोस जानकारी उनको नहीं मिलती, कई बाद वह साक्ष्य लेकर भी संबंधित थाने पहुंचते हैं, लेकिन उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया जाता। ऐसे में हर महीन निश्चित दिन पर ऐसे मामलों की सुनवाई की जानी चाहिए, जिसमें बच्चे के परिजनों और संबंधित विवेचक को शामिल किया जाए। इससे इस तरह के मामलों में प्रोग्रेस रिपोर्ट पता चलेगी, वहीं पेरेंट्स भी सहयोग कर सकेंगे।


बच्चों के लापता होने पर संबंधित थाने में उसकी एफआईआर कराई जाती है, वहीं 3 से आठ वर्ष तक के बच्चों की जांच एंटी हयूमन ट्रैफिकिंग को ट्रांसफर किया जाता है। ऐसे मामलों में जांच चल रही है।
इकबाल हैदर, एंटी हयूमन ट्रैफिकिंग प्रभारी

-01 जनवरी से 27 जून तक
28
-छह महीने मेें बरामदगी
16
-अभी तक लापता चल रहे बच्चे
12

Posted By: Inextlive