शू इंडस्ट्री अब मेक इन इंडिया की ओर बढ़ रही है. शू कंपोनेंट को लेकर जहां एक ओर भारत की निर्भरता कम हुई है वहीं दूसरी ओर रेडीमेड शू से लेकर जूता बनाने के सभी कंपोनेंट में इंडिया पूरी दुनिया का हब बनेगा. ये बात मधु रिसॉर्ट में आयोजित इंडियन फुटवियर कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन इफ्कोमा द्वारा दो दिवसीय शूटेक एग्जीबिशन में एसोसिएशन के प्रेसिडेंट संजय गुप्ता ने कही.

आगरा। बुधवार को दो दिवसीय एग्जीबिशन का उद्घाटन हुआ। एग्जीबिशन में देशभर के 120 दिग्गज शू कंपोनेंट ब्रांड्स शामिल हो रहे हैं। संजय गुप्ता ने बताया कि इंडिया की शू इंडस्ट्री ने 2025-26 तक 30 बिलियन यूएस डॉलर का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें हम शू एक्सपोर्ट के साथ-साथ शू कंपोनेंट को भी एक्सपोर्ट करेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद इंडिशन शू कंपोनेंट इंडस्ट्री पूरी तरह से आत्मनिर्भर हुई है। पहले हम चीन पर डिपेंड थे। मगर, अब भारत में सभी 32 कंपोनेंट बना रहे हैं। इसमें आगरा में भी बड़े स्तर पर कंपोनेंट बनाए जा रहे हैं।

एक हजार करोड़ का बिजनेस इंडिया ट्रांसफर
संजय गुप्ता ने बताया कि जूते के कंपोनेंट भारत में बनाने की शुरुआत वर्ष 2000 से हुई थी। शुरुआत की तीन-चार साल में ही करीब 400 करोड़ का इंपोर्ट कम हो गया था। मगर, अब भारत में सभी कंपोनेंट बन रहे हैं। इसके अलावा चीन से भी सस्ते दाम पर मिल रहे हैं। पीयू सोल, स्पाईलोन सोल, टीपीआर सोल, शॉक्स (पैता) बड़ी लार्ज स्केल पर भारत में बन रहे हैं। इसमें आगरा इसका बड़ा हब है। आगरा की कंपोनेंट इंडस्ट्री पूरे इंडिया में सप्लाई कर रही है। उन्होंने बताया कि अनुमान के मुताबिक एक हजार करोड़ रुपए से अधिक का बिजनेस चीन से खत्म होकर इंडिया में आ गया है। आगरा की शू कंपोनेंट इंडस्ट्री ने चीन की मोनोपॉली को खत्म कर दिया है। अगर आज कोई भी बड़ा ब्रांड इंडिया में जूता तैयार करवाता है तो उसके कंपोनेंट आगरा से जाएंगे।

यूएस बड़ा बाजार बना
काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोट्र्स (सीएलई) के रीजनल चेयरमेन मोतीलाल सेठी ने बताया कि पहले शू कंपोनेंट इंडस्ट्री के लिए यूरोप एक बड़ा बाजार था। इंडस्ट्री पूरी तरह से यूरोप पर निर्भर थी। मगर, पिछले दो सालों में कोरोना के बाद शू कंपोनेंट इंडस्ट्री के लिए यूएस बड़ा बाजार बनकर उभरा है। पहले यूएस में चीन का कब्जा था, लेकिन अब चीन की जगह भारत ने ले ली है। पहली बार ऐसा हुआ है कि इंडिया ने यूएस में एक बिलियन यूएस डॉलर का बिजनेस किया है। इससे पहले अमेरिका के साथ लक्ष्य का 40 फीसद ही एक्सपोर्ट हो पाता था। आने वाले दो सालों में बिजनेस को बढ़ाकर दो बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है।

कोरोना से हुए नुकसान को किया कवर
मोती लाल सेठी ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण हुए नुकसान को शू इंडस्ट्री ने कवर कर लिया है। उन्होंने बताया कि कोरोना से पहले 2019-20 में इंडिया 5.5 बिलियन यूएस डॉलर का एक्सपोर्ट करता था। कोरोना आने के बाद ये कम हुआ और 2020-21 में हमने 3.5 बिलियन यूएस डॉलर एक्सपोर्ट किया। 2021-22 में हम वापस पांच बिलियन यूएस डॉलर के एक्सपोर्ट पर आ गए हैैं। अगले कुछ साल में हम इसे 10 बिलियिन यूएस डॉलर तक ले जाएंगे। उन्होंने बताया कि अभी इंडिया में कुल 17 बिलियन यूएस डॉलर का कुल कारोबार हो रहा है। इसमें 5 बिलियन यूएस डॉलर हम एक्सपोर्ट कर रहे हैं और 12 बिलियन यूएस डॉलर का कारोबार हम इंडिया में ही कर रहे हैैं। 2025-26 तक हम एक्सपोर्ट को 10 बिलियन डॉलर और इंडियन मार्केट में 20 मिलियन डॉलर का कारोबार करेंगे।

सर्वे कराया जा रहा
संजय गुप्ता ने बताया कि इफ्कोमा, सीएलई और फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआई) द्वारा इंडिया में एक सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे में पता लगाया जा रहा है कि इंडस्ट्री में कौन-सा कंपोनेंट कम बन रहा है या कौन-से कंपोनेंट में और काम करने की जरूरत है। इसके बाद जरूरत के हिसाब से विदेशी प्लेयर्स को इंडिया में बुलाकर कंपोनेंट बनाने की फैक्टरी लगाई जाएंगी। इससे सभी कंपोनेंट काफी कम दाम पर इंडिया में ही अवेलेबल होंंगे और इंडिया की शू इंडस्ट्री आत्मनिर्भर बनेगी।

टैक्सटाइल की तरह शू की भी पॉलिसी बने
सीएलई के रीजनल चेयरमेन मोतीलाल सेठी ने कहा कि शू इंडस्ट्री के लिए भी टैक्सटाइल इंडस्ट्री की तरह पॉलिसी बननी चाहिए। इंडियन शू इंड्स्ट्री की विश्व में अलग पहचान है। ये काफी अच्छा कर सकती है। उन्होंने कहा कि शू इंडस्ट्री भी आत्मनिर्भर हो रही है।


इन कंपोनेंट्स का हो रहा निर्माण
- पीयू सोल
- स्पाईलोन सोल
- टीपीआर सोल
- शॉक्स (पैता) बड़ी लार्ज स्केल


शू कंपोनेंट के मामले में हमारी चीन पर निर्भरता कम हुई है। इस वक्त हम सभी 32 कंपोनेंट्स को इंडिया में बना रहे हैैं। आने वाले वक्त में हम किफायती दामों पर सभी शू कंपोनेंट को इंडिया में बनाएंगे और एक्सपोर्ट करेंगे।
- संजय गुप्ता, प्रेसिडेंट, इफ्कोमा

हमारा 2025-26 में 30 बिलियन यूएस डॉलर का कारोबार करने लक्ष्य है। एक्सपोर्ट के लक्ष्य को हमने दोगुना करके 10 बिलियन डॉलर किया है। इसके बाद इंडियन शू इंडस्ट्री 30 बिलियन डॉलर के कारोबार पर पहुंच जाएगी।
-मोतीलाल सेठी, रीजनल चेयरमैन, सीएलई

Posted By: Inextlive