-आगरा की हवा में पॉल्यूट एजेंट की संख्या बढ़ने लगी

-लगातार प्रदेश में सबसे प्रदूषित रह रहा आगरा

आगरा। ताजनगरी में मौसम ठंडा होने लगा है। इसके साथ ही एयर पॉल्यूशन भी तेजी से बढ़ रहा है। बीते कुछ दिनों से आगरा की एक्यूआई प्रदेश में सबसे खराब दर्ज की जा रही है। हवा में पॉल्यूट एजेंट की संख्या लगातार बढ़ रही है। ये न केवल आगरा के निवासियों की सेहत के लिए खराब है बल्कि विश्वदायी इमारत ताजमहल के लिए भी काफी घातक है। ताजमहल को एयर पॉल्यूशन से बचाने के लिये बीते कुछ साल में लगातार कई जरूरी निर्णय लिए गए हैं लेकिन इससे आगरा की आबोहवा पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। मौसम सर्द होने के साथ ही आगरा की हवा दूषित होने लग जाती है।

पीएम 2.5 है ताज के लिए घातक

ताजमहल का रंग दूध सा सफेद था, लेकिन जानकारों का कहना है कि ताजमहल का रंग अब फीका पड़ने लगा है। एक्सप‌र्ट्स का मानना है कि ताजमहल का रंग एयर पॉल्यूशन के कारण बदला है। पर्यावरणविद् श्रवण कुमार बताते हैं कि आगरा में बायोमास को जलाया जाता है, जिससे पीएम 2.5 पॉल्यूटेंट निकलता है। इसके अलावा गाडि़यों के धुएं और औद्योगिक धुएं से नाइट्रोज़न डाइऑक्साइड निकलती है, जिनके संपर्क में आकर 2.5 पॉल्यूटेंट के पाíटकल उनसे चिपक जाते हैं और ये ताजमहल पर जाकर बैठ जाते हैं। इससे ताजमहल की सतह को नुकसान पहुंचता है और ताज को इससे नुकसान पहुंचता है।

ग्रीन जोन बनाने का था दावा

ताजमहल को पॉल्यूशन से नुकसान को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी संज्ञान ले चुका है। इसको लेकर कई योजनाएं बनाए जाने के निर्दश भी दे चुका है। इसके लिये ताजमहल से जुड़े करीब 10 हजार वर्ग किमी से अधिक के क्षेत्र को मिलाकर ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) बनाया गया था। इसमें आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस, एटा और भरतपुर जिले शामिल हैं। इस क्षेत्र में तमाम ऐसी बंदिशें लगाई गई हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर नियंत्रित रहे और ताजमहल को नुकसान न पहुंचे। टीटीजेड में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा नए उद्योगों को खोलने और विस्तार पर रोक भी लगा रखी है। पर्यावरण मंत्रालय की होता कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार ताजमहल पर सड़कों, भवन निर्माण, वाहनों, बायोमास जैसी वजहों से होने वाले प्रदूषण का अधिक असर है। लेकिन, आगरा में अब भी ताजमहल के पास और ताजनगरी में हो रहे निर्माण कार्यो में नियमों में अनदेखी की जाती है। ताजनगरी में कंस्ट्रक्शन के कारण जगह-जगह धूल उड़ती रहती है।

ताज पर किया गया था मडपैक

ताजमहल पर आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा 2015 में पॉल्यूशन के कारण पड़े फीके रंग को दूर करने के लिये मडपैक किया गया था। तब गुंबद को छोड़कर ताज पर मडपैक किया गया था। इससे संगमरमर से तामीर किए गए ताजमहल की सतह पर प्रदूषण के कारण रंग में बदलाव दिखने लगा था.उस दौरान पहली बार मीनारों और छोटे चारों गुंबद की सफाई की गई थी।

फिर बढ़ रहा है पॉल्यूशन

ताजनगरी की हवा में खतरनाक कार्बन मोनोऑक्साइड 14 गुना और धूल के कणों की मात्रा पांच गुनी तक ज्यादा हो गई है। एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 261 हो गई है। बीते दिनों ये 499 तक पहुंच गई है। बीते कुछ दिनों से ताजनगरी देश के टॉप टेन प्रदूषित शहरों में शामिल रह रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञ इसकी वजह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पराली और शहर में कूड़ा जलाया जाना मान रहे हैं। जगह-जगह डस्टबिन और डलाबघर में कूड़ा जलाने से भी कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाईक्साइड सहित जहरीली गैसों का स्तर हवा में लगातार बढ़ रहा है।

बीते तीन महीनों में ताज पर एक्यूआई

जुलाई अगस्त सितंबर

एसओटू 4 4 5

एनओटू 9 11 13

पीएम 2.5 27 21 51

पीएम 10 49 26 81

एसपीएम 104 54 173

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ये है मानक

0- 50 एक्यूआई अच्छी हवा

51-100 पर संतोषजनक

101- 200 तक मध्यम

200-300 खराब

300-400 बेहद खराब

500 तक खतरनाक

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-रविवार को हवा में अति सूक्ष्म कणों की मात्रा रही अधिक

-261 रहा एक्यूआई, वायु गुणवत्ता चौथे दिन खराब स्थिति में

आगरा : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के अनुसार रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 261 रहा, जो कि शनिवार के एक्यूआई 255 से कुछ कम था। आगरा प्रदूषित शहरों में देश में दसवें और प्रदेश में पांचवें स्थान पर रहा। शनिवार को आगरा देश में नौवें और प्रदेश में पांचवें स्थान पर था। रविवार को देश में मेरठ सबसे अधिक प्रदूषित रहा।

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रविवार को प्रदेश में आठवें नंबर पर रहा आगरा

1, मेरठ, 290

2, भिवाड़ी, 288

3, बागपत, 286

4, मुजफ्फर नगर, 283

5, पानीपत, 281

6, बुलंदशहर, 268

7, अंकलेश्वर, 264

8, आगरा, 261

आगरा में पिछले कुछ दिनों में स्थिति

दिन, एक्यूआइ, वायु गुणवत्ता

गुरुवार, 272, खराब

शुक्रवार, 261, खराब

शनिवार, 255, खराब

रविवार, 242, खराब

यह रही प्रदूषक तत्वों की स्थिति

रविवार

प्रदूषक तत्व, अधिकतम, न्यूनतम, औसत

कार्बन मोनोआक्साइड, 18, 62, 32

नाइट्रोजन डाइ-आक्साइड, 16, 107, 54

ओजोन, 30, 261, 114

अति सूक्ष्म कण, 147, 347, 242

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हवा नहीं चलने से अति सूक्ष्म कण स्थिर हो गए हैं, जिससे वायु गुणवत्ता खराब स्थिति में पहुंच गई है। तेज हवा चलने या बारिश होने पर वायु गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।

-कमल कुमार, प्रभारी अधिकारी, सीपीसीबी

आगरा की हवा बीते कई साल में लगातार पॉल्यूट हो रही है। इसके लिये टीटीजेड से लेकर कई नियम बनाए गये हैं। लेकिन, एजेंसियां आगरा की हवा को स्वच्छ रखने के लिये जरूरी कदम नहीं उठा रही हैं। कंस्ट्रक्शन भी आगरा में नियमों को ताक पर रखकर किया जाता है।

-श्रवण कुमार, पर्यावरणविद

जब हम छोटे थे, तब ताजमहल को देखने जाते थे। पूíणमा की रात को भी हम यमुनापार से देखते थे। तब ताज की का रंग ज्यादा सफेद था और ताजमहल एक दम दमकता हुआ दिखता था, लेकिन अब ताजमहल का रंग पॉल्यूशन के कारण प्रभावित हुआ है।

-राजीव सिंह ठाकुर, टूरिस्ट गाइड

Posted By: Inextlive