आगरा: ब्यूरो ताजमहल की सुरक्षा व्यवस्था और बेहतर हो गई है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआइ ने स्मारक पर नए डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर डीएफएमडी लगवाए हैं. पूर्वी गेट पर लगाए गए डीएफएमडी से अब तुरंत यह पता चल रहा है कि पर्यटक की किस जेब में धातु है. इससे सुरक्षाकर्मियों के लिए भी पर्यटकों की तलाशी करना आसान हो गया है. जवानों को अत्याधुनिक हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर एचएचएमडी भी उपलब्ध कराए गए हैं.


लगी हैं तीन लाइट
ताजमहल सुरक्षा की ²ष्टि से संवेदनशील स्मारकों में शामिल है। वर्ष 2000 से यहां केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) सुरक्षा व्यवस्था संभालती है। पूर्वी और पश्चिमी गेट पर पर्यटकों को सीआइएसएफ की सुरक्षा जांच के दौरान डीएफएमडी से होकर गुजरना होता है। सीआइएसएफ एचएचएमडी से भी तलाशी लेती है। एएसआइ ने पूर्वी गेट पर पुराने डीएफएमडी की जगह आठ नए डीएफएमडी लगवाए हैं। पुराने डीएफएमडी में केवल बीप-बीप की आवाज होती थी। नए डीएफएमडी में ऊपर की तरफ सेंसर युक्त तीन लाइट लगी हुई हैं। पर्यटक ने अगर पेंट या जींस की बाईं तरफ की जेब में कोई धातु रखी है तो बाईं तरफ और दाईं तरफ की जेब में कोई धातु रखी है तो दाईं तरफ की लाइट जल रही है। शर्ट की जेब में धातु रखे होने की स्थिति में मध्य की लाइट जल रही है। इसी तरह एचएचएमडी में बीप-बीप की आवाज के साथ ही वाइब्रेंट मोड भी है। इसे सुरक्षाकर्मी अपनी सुविधानुसार उपयोग कर सकते हैं। एएसआइ ने पूर्वी गेट के पुराने डीएफएमडी को पश्चिमी गेट के डीएफएमडी से बदलवा दिया है.अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ। राजकुमार पटेल ने बताया कि ताजमहल पर अत्याधुनिक डीएफएमडी और एचएचएमडी लगवाए गए हैं। पश्चिमी गेट पर अगले वित्तीय वर्ष में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत बनाने को अत्याधुनिक उपकरण लगवाए जाएंगे।

Posted By: Inextlive