दिन-प्रतिदन के तनाव और चिंता के बीच खुश रहकर जीवन का आनंद लेना ही आर्ट ऑफ लिविंग है. यह एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से तनाव और चिंताओं को दूर कर जीवन में खुशी और आनंद लाने की कला सीखी जाती है. श्रीश्री रविशंकर जी द्वारा संचालित संस्था आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रम योग ध्यान और प्राणायाम पर आधारित हैं जो मानसिक तनाव को कम करने में मदद करते हैं. इन तकनीकों के माध्यम से व्यक्ति मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त कर सकता है. यह कहना है आर्ट ऑफ लिविंग के एपेक्स मेंबर डॉ. सुशील गुप्ता का. वे शनिवार को एनएन मेडिकल कॉलेज में आयोजित एक प्रशिक्षण शिविर में बोल रहे थे.

आगरा: (ब्यूरो ) ध्यान और श्वांस प्रक्रिया को बेहतर बनाने के उद्देश्य से आयोजित इस प्रशिक्षण सत्र का विषय 'ट्रांसफॉर्म योर डे इन 20 मिनट्स: पॉवर ऑफ ब्रीद' था। मेडिकल कॉलेज में आयोजित इस प्रशिक्षण सत्र में डॉ। रश्मि मिश्रा आर्ट ऑफ लिविंग की जोनल कोॢडनेटर एवं आर्ट ऑफ लिविंग की अंतरराष्ट्रीय योग एवं मानसिक कल्याण विशेषज्ञ रुचिरा ढल ने श्वांस-निश्वास की शक्ति को बेहतर बनाने का प्रशिक्षण दिया। डॉ। रश्मि ने बताया कि हम एक दिन में 10 हजार लीटर शुद्ध वायु का प्रयोग करते हैं। सत्र में उन्होंने विभिन्न प्रकार के प्राणायामों के द्वारा सिखाया कि किस प्रकार हम तनावमुक्त जीवनयापन कर सकते हैं। उन्होंने अनेक पाठ्यक्रमों के विषय में समझाया जो 7 वर्ष से 80 वर्ष के वर्ग के लिए बने हैं। एक्सपट्र्स ने श्वांस-निश्वास प्रक्रिया, अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका प्राणायाम, नाड़ी शोधन एवं विभिन्न प्रकार के आसनों का उत्साह के साथ आनंद लिया।


स्वास्थ्य से बढ़कर कुछ नहीं
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे आर्ट ऑफ लिविंग के यूपी वेस्ट के एपेक्स मेंबर और एसोसिएशन ऑफ प्रोग्रेसिव स्कूल्स ऑफ आगरा के अध्यक्ष डॉ। सुशील गुप्ता ने कहा कि स्वास्थ्य से बढ़कर जीवन में कुछ भी नहीं है और हमें इसका बेहतर ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि हमें गुरुदेव द्वारा निॢमत पाठ्यक्रमों का अनुसरण करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो। प्रशांत गुप्ता ने बताया कि आज के समय में हर आयु के लिए इस प्रकार के प्राणायामों की अत्यधिक आवश्यकता है। क्योंकि हर व्यक्ति किसी न किसी तनाव में जी रहा है। उन्होंने जीवन में योग एवं प्राणायाम का महत्व बताया। इस अवसर पर उप प्राचार्य डॉ। तेजपाल सिंह, डॉ। रुचिका, डॉ। दिव्या, डॉ। गीतू, डॉ। संगीता, डॉ। सुनील गर्ग समेत 170 डॉक्टर्स ने प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लिया। डॉ। सुशील गुप्ता की ओर से सभी को एक स्मृति चिह्न और गुलाब जल भेंट किया गया।

Posted By: Inextlive