-शिक्षक न होते हुए बच्चों को स्कूल पहुंचाया

-गार्जियन की तरह रखा 36 बच्चों का ख्याल रख रहे नरेश पारस

आगरा। शिक्षा व्यक्ति को एक आदर्श इंसान बनाती है। शिक्षा किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में बड़ी भूमिका अदा करती है। आज भी कई बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में समाजसेवी नरेश पारस ने ऐसे 36 बच्चों में शिक्षा की अलख जगाई, जो स्कूल जाने के बारे में कभी सोचते नहीं थे। वे सड़कों पर भीख मांगते थे। आज वे बच्चे न सिर्फ स्कूल जाकर पढ़ रहे हैं, बल्कि वे खेल और अन्य एक्टिविटीज में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।

2014 में की शुरुआत

समाजसेवी नरेश पारस बताते हैं कि वे एक शिक्षक नहीं हैं, लेकिन शिक्षा के महत्व को समझते हैं। जब उन्होंने देखा कि बीएसए ऑफिस के नजदीक ही कुछ ऐसे बच्चे हैं जो रास्ते पर भीख मांगते हैं। उनका स्कूल जाने से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं हैं। इसके बाद उन्होंने उन बच्चों को समझाया। उनके पैरेंट्स की काउंसलिंग की। तब जाकर वे स्कूल जाने के लिए राजी हुए।

अपने हाथों से नहलाया

नरेश पारस बताते हैं कि जब वे पास के प्राथमिक विद्यालय में उन 36 बच्चों को ले गए तो शिक्षक ने कहा कि पहले इन बच्चों को साफ करके लाइए। उनमें काफी बदबू आती है। इसके बाद नरेश पारस ने उन बच्चों के पैरेंट्स से बच्चों को नहलाने के लिए कहा। इस पर उनके पैरेंटस ने कहा कि हमारे बच्चे तो जितने गंदे होते हैं उतना ही उन्हें ज्यादा भीख मिलती है। ऐसे में नरेश पारस ने खुद उन बच्चों को साबुन लाकर नहलाया। नरेश बताते हैं कि उन बच्चों ने तब पहली बार साबुन और शैंपू देखा था। इसके बाद वे स्कूल उनका दाखिला कराने के लिए स्कूल ले गए। वहां पर उनसे जाति प्रमाण-पत्र मांगा गया। अब इन बच्चों का कोई पता ठिकाना नहीं था, ऐसे में उनका जाति प्रमाण-पत्र बनना काफी मुश्किल था। इसके बाद नरेश ने बीएसए, डीआईओस व अन्य शिक्षा से जुड़े अधिकारियों से संपर्क किया। लेकिन सभी ने मदद से इंकार कर दिया। इसके बाद खुद नरेश ने शिक्षा भवन की पार्किग में उन 36 बच्चों को पढ़ाना शुरु कर दिया। इसके बाद एडी बेसिक गिरजेश चौधरी ने इसको देखा और उन्होंने इन बच्चों का दाखिला कराया.तब से ये बच्चे लगातार पढ़ रहे हैं।

टैलेंट से भरपूर बच्चे

नरेश पारस ने बताया कि ये बच्चे भी अन्य बच्चों की तरह टैलेंट से भरपूर हैं। वे इन बच्चों को बुलंदशहर स्टेट लेवल खेल प्रतियोगिता में खिलाने के लिए ले गए। लेकिन वहां पर भी ट्रायल में उनके पास जूते और ट्रैक सूट न होने पर उनसे खेलने के लिए मना किया गया। इसके बाद कुछ बच्चों को दौड़ने की अनुमति दी गई, तो इन बच्चों ने अलग-अलग कैटेगरी में 4 गोल्ड और 2 सिल्वर मेडल जीते। नरेश बताते हैं कि अब ये बच्चे हर वर्ष ताज महोत्सव के मंच पर अपनी प्रस्तुति देते हैं। इसके साथ ही इनमें से कुछ बच्चे दिल्ली बाल मेला में भी अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। नरेश पारस बताते हैं कि इन बच्चों में से एक बच्चा इस वर्ष हाईस्कूल के एग्जाम देगा। ये हमारे लिए बड़ी अचीवमेंट हैं कि ये बच्चे अब तक शिक्षा से जुड़े हुए हैं और आगे बढ़ रहे हैं।

शिक्षा पर सभी का अधिकार है। इसपर सभी की पहुंच होनी चाहिए। मैंने इन बच्चों को शिक्षा से वंचित होते हुए देखा तो मैंने ठाना कि इन्हें शिक्षा की ओर ले जाउंगा। अब ये बच्चे शिक्षित हो रहे हैं इसके साथ ही अपने समुदाय के अन्य बच्चों को भी पढ़ाने का काम कर रहे हैं।

-नरेश पारस, समाजसेवी

Posted By: Inextlive