साइबर क्रिमिनल्स फ्रॉड के नए-नए तरीके अपना रहे हैं. कभी इलैक्ट्रिसिटी बिल के नाम तो कभी ऑनलाइन गेम के नाम ठगी कर रहे हैं .अब पुलिस अधिकारियों के सामने एक और मुसीबत खड़ी हो गई. ठग ट्रू कॉलर एप पर पुलिस अधिकारियों की डिटेल भरकर ठगी कर रहे हैं. शहर में ऐसे कई लोग हैं जिनको ट्रू कॉलर एप के जरिए कॉल किया जा रहा है ठगी के बाद वह कंप्लेन तक नहीं कर रहे हैं. साइबर सेल ने भी इस संबंध मेें लोगों को अलर्ट किया है.


आगरा। स्मार्ट फोन रखने वाले अधिकतर लोग ट्रू कॉलर एप का यूज कर रहे हैं। इस एप की मदद से कॉल करने या मैसेज भेजने पर व्यक्ति का नाम और एड्रेस पता चल जाता है। मोबाइल नंबरों को सबसे पहले गूगल या ट्रू कॉलर एप पर जिस नाम से सेव किया जाता है। किसी को कॉल करने पर मोबाइल पर वही नाम दिखाता है। ऐसे में मोबाइल फोन की स्क्रीन में किसी अधिकारी या प्रभावशाली व्यक्ति का नाम देख सरेंडर हो जाते हैं, साइबर ठगों को फॉलो करने के बाद ठगी का शिकार हो जाते हैं।

फ्रॉड करने का तरीका
साइबर क्रिमिनल इस एप का यूज कर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। प्रभावशाली लोग यू पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों के नाम से मोबाइल नंबर सेफ किया जाता है। उस नंबर का यूज ठगी में करते हैं। शातिर सुबह तड़के फोन करते हैं, जिससे मोबाइल फोन यूज को सोचने और समझने का मौका नहीं मिल सके, साइबर शातिर द्वारा उनसे रुपए देने या किसी मामले का हवाला देकर फ्रॉड किया जा रहा है। सोमवार को इस संबंध पुलिस अधिकारी के नाम से दो अलग-अलग लोगों को कॉल किया गया, लेकिन अलर्ट रहने पर ठगी होने से बच गई।


केस -1
अलर्ट रहने पर सामने आया फेक नंबर
साइबर क्रिमिनल्स द्वारा सोमवार को सुबह तड़के एक युवक के फोन नंबर पर कॉल किया गया। जिसके टूू कॉलर पर एक प्रभावशाली व्यक्ति का नाम सामने आया। युवक ने साइबर क्रिमिनल्स को फॉलो करना शुरू कर दिया। जिसके अंतर्गत एक बड़ी रकम मांगी गई थी, बाद में जानकारी मिलने पर जब युवक द्वारा संबंधित प्रभावशाली व्यक्ति से संपर्क कर घटना की जानकारी दी गई तो पता चला कि यह नंबर फेक है।


केस -2
ट्रू कॉलर पर नजर आया एसएसपी आगरा का नाम
सोमवार को मीडिया जगत से जुड़े एक व्यक्ति को अंजान नम्बर से फोन आया और एक खबर को न छापने की बात कही। ट्रू कॉलर पर नंबर एसएसपी आगरा के नाम से सेव नजर आया। बाद में जब उसने 6397080932 नंबर देखा तो वो नंबर सरकारी सीयूजी नहीं था। एसएसपी आगरा के सीयूजी नंबर पर कॉल किया तो पता चला वो फेक नंबर है। पीआरओ द्वारा नंबर लेकर जांच की गई तो नंबर पुलिस विभाग का नहीं पाया गया।


केस3
पुलिस में नहीं की ठगी की कंप्लेन
ट्रू कॉलर के जरिए पुलिसकर्मी बन दस हजार रुपए ऑनलाइन खाते में डलवाए गए, इसके बाद शातिरों ने अपने नंबर को बंद कर लिया। पीडि़त व्यक्ति द्वारा इस नंबर की कंप्लेन तक नहीं की गई, पीडि़त को डर था कि पुलिस में कंप्ेलन करने से वो फंस न जाए। इस पर पीडि़त ने शिकायत नहीं करने का मन बनाया और भविष्य में कभी बिना पहचान के नंबर को फॉलो नहीं करने की कसम खाई।


मैसेज या फोन कॉल की करें पुष्टी
जिला साइबर प्रभारी सुल्तान सिंह द्वारा जारी एडवाइजरी में साइबर क्रिमिनल्स ठगी के नए-नए तरीके अपना रहे है। कहीं ऑनलाइन ठगी तो कहीं ओटीपी के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। इस बार साइबर ठगों ने ट्रू कॉलर एप के जरिए ठगी का नया तरीका निकाला है। जिसके अंतर्गत साइबर क्रिमिनल्स ठगी करने के लिए पुलिस प्रशासन के अधिकारी या जनप्रतिनिधि के नाम का यूज करते हैं, धमकाने पर अगर उक्त व्यक्ति द्वारा उनको फॉलो किया जाता है तो वह साइबर फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में लोगों को अलर्ट रहने की जरूरत है। किसी कॉल या मैसेज के बारे में पूरी तरह पुष्टि करने के बाद ही उसको फॉलो करें, इससे आप ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं।


-पुलिस के पास है फ्रॉड का नंबर
6397080932
-साइबर सेल ने शुरू की मामले की जंाच
-फेक नंबर की आईडी की भी जांच

Posted By: Inextlive