- पूर्वाग्रह पूर्ण बताई यूपी पुलिस की कार्रवाई, महकमे में खलबली

-हाई कोर्ट के आदेश पर भी की तीखी टिप्पणी

आगरा: महिला चिकित्सक की मृत्यु के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पूरे सिस्टम को आइना दिखा दिया है। आगरा पुलिस की विवेचना को मजाक और पूर्वाग्रह पूर्ण बताया। हाई कोर्ट के पूर्व आदेश पर भी तीखी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद पुलिस अधिकारियों में खलबली मच गई है।

कोर्ट ने जताई नाराजगी

डॉ। दीप्ति की मौत को पुलिस द्वारा खुदकुशी मानकर दहेज मृत्यु व अन्य धाराओं में चार्जशीट लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि यह अधूरी कार्रवाई है, इस पर न्यायालय में ट्रायल नहीं हो सकता। सत्र न्यायालय में वादी के अधिवक्ता सुब्रत मेहरा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पुलिस को आइना दिखाया है। हाई कोर्ट के आदेश को मानवता के विरुद्ध बताया है। यह भी कहा है कि समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देश दिए जाते हैं, इनका भी आदेश में पालन नहीं किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने ये बताई विवेचना की कमियां

- सुसाइड नोट संदेहपूर्ण है। इसके आधार पर खुदकुशी नहीं बताई जा सकती। तीन अगस्त को घटना हुई। यह तीसरे दिन पुलिस को मिलता है।

- रिपोर्टकर्ता, उसकी बेटी दीप्ति और ससुरालीजनों के बीच खातों में धनराशि का आदान प्रदान हुआ है। मगर, पुलिस ने खातों की गहनता से जांच नहीं की। यह कह दिया गया कि आरोपित पक्ष संपन्न है। दीप्ति और उसके पति अलग फ्लैट में रहते थे।

- डॉ। दीप्ति, उनके पिता और ससुरालीजनों के बीच फोन पर कई बार बात हुई। इसमें डॉ। दीप्ति ने जान को खतरा बताया था। पुलिस ने अपनी विवेचना में काल रिका‌र्ड्स भी शामिल नहीं किए।

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शुरू से ही कठघरे में रही पुलिस की कार्रवाई

डॉ। दीप्ति अग्रवाल की शादी वर्ष 2014 में हुई थी। छह अगस्त को जब उनकी मौत हुई तब सात वर्ष पूरे नहीं हुए थे। पिता ने दहेज में एक करोड़ की मांग का आरोप लगाया था। पूर्व में दीप्ति के साथ हुई मारपीट की मेडिकल रिपोर्ट भी पुलिस को दी थी। उन्होंने समय-समय पर दहेज मांगने पर बेटी को दिए गए चेक भी प्रस्तुत किए। पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद नाटकीय अंदाज में डॉ। सुमित की गिरफ्तारी हुई। अन्य आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया। डॉ। नरेश मंगला शुरू से ही आगरा पुलिस पर भरोसा न होने की बात कह रहे थे।

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डॉॅक्टर सुमित की बढ़ीं मुश्किलें

डॉ। सुमित अभी जेल में हैं। फिलहाल उनकी जमानत की कोई उम्मीद नहीं है। अब सीबीआइ जांच में मजबूत साक्ष्य जुटाने के बाद आगे की कार्रवाई करेगी।

शोध छात्रा हत्याकांड के बाद अब डॉ। दीप्ति केस पहुंचा सीबीआइ

डॉ। दीप्ति मामले से पहले सीबीआइ डीईआइ में शोध छात्रा की हत्या के मामले की जांच कर चुकी है। शोध छात्रा की हत्या 15 मार्च 2013 को हुई थी। आठ माह बाद वादी के आग्रह पर प्रदेश सरकार ने केस सीबीआइ को ट्रांसफर किए जाने की सिफारिश की थी। सीबीआइ ने जांच कर मामले में चार्जशीट लगाई थी, अभी केस का ट्रायल चल रहा है।

Posted By: Inextlive