आसपास के जिलों से डेली आ रहे स्टूडेंट्स हो रहे निराश

हेल्पडेस्क पर नहीं हो रही सुनवाई, बैकडोर से हो रही तैयार

आगरा। डॉ। भीमराव अंबेडकर यूनिवíसटी में डिग्री, मार्कशीट, प्रोविजनल डिग्री, माइग्रेशन के लिए स्टूडेंट्स रोजाना चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन किसी भी स्टूडेंट्स की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। काफी संख्या में आसपास के जिलों से स्टूडेंट्स यहां अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं लेकिन उन्हें निराश होना पड़ रहा है। कुछ स्टूडेंट्स का यहां तक कहना है कि सुविधा शुल्क लेकर एजेंसी के जरिए तत्काल मार्कशीट और डिग्री की समस्या का समाधान किया जा रहा है।

एक महीने में भी नहीं होती समस्या सॉल्व

यूनिवíसटी परिसर के बाहर बनी हेल्पडेस्क पर रोजाना सैकडा़ें स्टूडेंट्स अपनी समस्या लेकर आते हैं। काउंटर पर बैठे कर्मचारियों द्वारा उनसे एप्लीकेशन ली जाती है, लेकिन कोई रिसीविंग नहीं दी जाती है। इस पर कार्यालय में बैठे कर्मचारी कई बार आवेदन खोने का हवाला देकर नए सिरे से एप्लाई करने को कहते हैं। ऐसे में परेशान छात्र किसी भी तरह से समझौते को तैयार हो जाता है। रोजाना हेल्पडेस्क पर इटावा, एटा, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस से स्टूडेट्स अपनी समस्या लेकर आते हैं, आवेदन देने के बाद वह निश्चिंत हो जाते हैं कि अब उनकी डिग्री, मार्कशीट मिल जाएगी, लेकिन समस्या एक महीने बाद भी जस की तस बनी रहती है।

आवेदन के बाद नहीं तय किया समय

दूर-दराज से आने वाले स्टूडेंट्स की समस्या का कब तक समाधान होगा, इसकी जानकारी स्टूडेंट्स को नहीं होती है, क्योंकि आवेदन करने का बाद समस्या समाधान का समय हेल्प डेस्क से नहीं दिया जाता है। कर्मचारी मनमानी करते हैं और स्टूडेंट्स को परेशानी का सामना करना पड़ता है। छात्र पूछते हैं कि कब तक समस्या का समाधान हो जाएगा, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया जाता है।

कार्यालय में जाने से रोकते हैं सुरक्षाकर्मी

हाल ही में कई बार देखा गया है कि यूनिवर्सिटी परिसर में स्टूडेंट्स को प्रवेश नहंी दिया जाता। सुरक्षाकर्मी उन्हें अंदर नहीं जाने देते। इसके अलावा हेल्प डेस्क पर भी छात्र-छात्राओं ने कर्मचारियों द्वारा अभद्रता के आरोप लगाए गए हैं। शिकायत भी की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हेल्प डेस्क स्टूडेंट्स से एप्लीकेशन पर उनका मोबाइल नंबर लिखवाया जाता है, लेकिन कोई कमी रहने पर उन पर फोन नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में अगर स्टूडेंट्स फिर से हेल्पडेस्क पर जाता है तो उसको अनकंप्लीट बताकर एप्लीकेशन को वापस कर दिया जाता है। जब वह कार्यालय में प्रवेश करते हैं तो सुरक्षाकर्मी स्टूडेंट्स को आदेश का हवाला देकर गेट पर ही रोक देते हैं।

बैक डोर से बन जाती है मार्कशीट

यूनिवíसटी के मुख्य गेट के बाहर खड़े जसवंत नगर इटावा से आए स्टूडेंट्स ने बताया कि उसने और उसके साथ आए अमित ने एक साथ हेल्प डेस्क पर एप्लाई किया था। दोनों की मार्कशीट में करेक्शन होना था, लेकिन उसकी मार्कशीट नहीं मिली है, जबकि साथ आए अमित की बैक डोर से मार्कशीट तैयार हो गई। उसका कहना था कि एजेंसी से संपर्क रखने वाले कर्मचारी जिसे यूनिवíसटी द्वारा नियुक्त किया गया है, वह रोजाना डाक्यूमेंट लेकर एजेंसी जाता है, उससे संपर्क करने के बाद सुविधा शुल्क देकर मार्कशीट आसानी से मिल जाती है।

स्टूडेंट्स की समस्या समाधान के लिए हेल्पडेस्क पर कर्मचारी तैनात किए गए हैं। जो एप्लीकेशन स्टूडेंट्स से लेने के बाद संबंधित विभागों को भेज देते हैं। अगर किसी मामले में कार्यवाई नहीं की गई है तो इसकी जांच कराई जाएगी।

प्रो। अशोक मित्तल, कुलपति

Posted By: Inextlive