आगरा. ब्यूरो शहर में दो हजार से अधिक जर्जर और अनफिट वाहन मौत बनकर फर्राटे भर रहे हैं. ऐसे ऑटो सवारियों के लिए खतरा बन गए हैं. ट्रैफिक रूल्स की अनदेखी से हर रोज लोगों की जान जा रही है. एनएच-19 से लेकर शहर की भीतरी सड़कों पर जिम्मेदारों की बेफिक्री से अनफिट व जर्जर वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं. जिसका नतीजा यह है कि हर साल सैकड़ों लोगों की जान जाती है और कई लोग दिव्यांग हो जाते हैं. वाहनों के फिटनेस जांचने का कोई उपकरण नहीं है.


फिट नहीं फिर भी भर रहे फर्राटा
नेशनल हाइवे-19 से लेकर शहर के भीतरी मार्गों पर सवारी ऑटो व स्कूली वाहन व हल्के मालवाहन बिना फिटनेस के सड़क पर फर्राटा भर रहे हैं। सरकारी से लेकर प्राइवेट वाहनों में अभी तक एंटीफोगिंग लाइट व कलर रिफ्लेक्टर तक नहीं हैं। यही नहीं सवारियों को लेकर सड़कों पर फर्राटा भरने वाले वाहनों में लाइट, ब्रेक तक ठीक नहीं रहते, जो अक्सर दुर्घटना का कारण बनते हैं।

पार्किंग पर नहीं नजर आते वाहन
रोड पर सवारियों को भरकर चलने वाले वाहनों के अलावा टाटा मैजिक, ऑटो रिक्शा में पार्किंग लाइट भी अधिकांश के खराब हैं। अनफिट वाहनों के टायर व ब्रेकिंग सिस्टम भी बदहाल हैं। चालक सवारियों को रास्ते में देखकर कहीं भी ऑटो को खड़ा कर देते हैं, जिसके चलते अक्सर दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। वाहन चालक पार्किंग पर वाहनों को खड़ा नहीं करते, ऐसे में दुर्घटना की संभावना बन जाती है।


जिम्मेदार कर रहे अनदेखी
सड़कों की हालत यह है कि कहीं न तो रिफ्लेक्टर है और न ही संकेतक लगाए गए हैं। जिले के हर रोड पर अनफिट वाहन के साथ जुगाड़ वाले वाहनों की संख्या भी कम नहीं है। उसे रोकने की फिक्र किसी को नहीं है। यहां तो वाहन चलाने वाले न तो सीट बेल्ट लगाते हैं, और न ट्रैफिक नियम का पालन कर रहे हैं।


चालक पर नहीं फिटनेस प्रमाण पत्र
कोई भी वाहन लेने पर हर दो साल पर फिटेनस आठ वर्ष तक कराने का नियम है। उसके बाद हर साल जांच कराने का नियम है। व्यवसायिक वाहनों के फिटनेस की समय-समय पर मैनुअली जांच की जाती है। बाइक व आठ सीट से कम वाले वाहनों का लाइफ टाइम फिटनेस माना जाता है। वाहनों की फिटनेस जांच करने के लिए जांच मशीन होनी चाहिए। लेकिन के लिए कोई इंतजाम नहीं है। वहीं, चालक से फिटनेस प्रमाण पत्र मांगने पर नहीं मिलता है।


इन बिंदुओं पर जांच फिटनेस
ब्रेक, हार्न, वाइपर, इंडिकेटर, साफ-सफाई, प्रदूषण, स्टेयरिंग, लाइट, ढांचा लंबाई व चौड़ाई, वाहन चलने लायक है कि नहीं, शाकर, चेसिस, बाडी, इंजन, स्पीडोमीटर, गेयर, टायर, शीशा, इलेक्ट्रिकल, वायरिंग, डेंट-पेंट, नंबर प्लेट, परवर्ती टेप, टैक्स और बीमा और अन्य।


सड़क पर मानकों की अनदेखी करने वाले वाहन चालकों की जांच की जाती है, वहीं, जुर्माना भी वसूल किया जाता है। रूल्स की अनदेखी करने वाले वाहनों पर कार्रवाई की जाती है।
सैय्यद अरीब अहमद, एसीपी ट्रैफिक


अनफिट वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। सड़क दुर्घटना रोकने लिए कलर रिफ्लेक्टर लगाने के लिए लोगों को अवेयर किया जाना चाहिए,
इससे दुर्घटना की संभावना कम रहती है।
सुनील खेत्रपाल, ट्रैफिक सपोर्ट संस्था


शहर में अधिकतर वाहन अनफिट हैं, ऐसे में उनमें बैठने वाली सवारियों को जान का खतरा रहता है। ऐसे वाहनों पर सख्ती से कार्रवाई करनी होगी।
एम दुग्गल


एनसीआर में गलत दिशा से आने वाले वाहनों पर सख्ती से कार्रवाई की जाती है। लेकिन यहां ऐसा नहीं है। अनदेखी से वाहन चालकों के हौंसले बुलंद हैं।
दिलीप सिंह

Posted By: Inextlive