बच्चों पर न डालें उम्मीदों का बोझ
- लगातार अकेलेपन से हो रहे मानसिक अवसाद का शिकार
- बच्चों में आए अचानक बदलाव पर लें मनोचिकित्सक की सलाह आगरा। कोविड-19 के चलते स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान एक बार फिर से खोले गए हैं। ऐसे में अचानक से स्टूडेंट्स पर पढ़ाई का पे्रशर भी बनना शुरू हो गया है। जो स्टूडेंट्स कंप्टीशन एग्जाम की प्रिपरेशन कर रहे हैं, उन पर दबाव अधिक है। क्योंकि कोरोना के चलते वह कोचिंग से दूर ही रहे। घर सेल्फ स्टडी कर तैयारी कर रहे थे। अब पेरेंट्स की अधिक उम्मीद के चलते वह मानसिक अवसाद का शिकार बना रहे हैं। अचानक व्यवहार में चेंज पर रखें नजरस्टूडेंट्स के व्यवहार में अचानक आए परिवर्तन व अन्य गतिविधियों में होने वाली कई बदलावों का पता लगाकर तनाव को पहचाना जा सकता है। हालांकि कई बार कुछ छात्रों को पता होता है कि वह अपने शैक्षिक कॅ रियर को लेकर काफी तनाव में हैं, लेकिन इस विषय पर न वह अपने माता-पिता से चर्चा करते हैं और न ही किसी और से इस बारे में कोई मदद लेते हैं। वही, दूसरी ओर कुछ ऐसे भी छात्र होते हैं जिनके तनाव का कारण उन्हें खुद अच्छी तरह समझ नहीं आता है। ऐसी परिस्तिथि में पेरेंट्स को चाहिए की वह अपने बच्चों के तनाव के कारण को समझ कर उसकी काउंसलिंग कराएं।
एग्जाम को लेकर तनाव अक्सर देखा गया है कि छात्र एग्जाम के प्रेशर में या पढ़ाई के बढ़ते दबाव के कारण डिप्रेशन में आ जाते हैं। ऐसे समय में चाहिए कि पेरेंट्स छात्रों को पूरा सहयोग करें। उनपर अपनी महत्वाकांक्षाओं का बोझ डालने के बजाय उन्हें समझाएं कि कोई प्रतियोगी परीक्षा या किसी विषय को लेकर तनाव लेने की जगह निसंदेह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें। ाथ ही यह भी देखा गया है कि कई बार छात्र अपने रूचि के अनुसार शैक्षिक कॅरियर में आगे नहीं बढ़ पाते हैं। इसके चलते वह तनाव में आ जाते हैं। ऐसे करें तनाव का आंकलन -भूख में परिवर्तन। -खेल और कहीं आने-ाने में रुचि न होना। - सामाजिक अलगाव। - चड़चिड़ापन - नींद की समस्याएं। - अत्यधिक चिंता और नकारात्मक विचार। - परफॉर्मेस में कमी आना - सिरदर्द -दबाव में होने की प्रवृति -किसी भी कार्य को पूरा करने में असमर्थता महसूस करना। वर्जनस्टूडेंट्स के व्यवहार में अचानक आए बदलाव और उसकी रोजाना की एक्टिविटी में अगर किसी प्रकार का कोई परिवर्तन होता है, तो उससे बात करने की कोशिश कर तनाव का कारण जानें। लगातार अकेलापन होने पर काउंसलर्स से परामर्श लिया जा सकता है।
डॉ। पूनम तिवारी, मनोवैज्ञानिक