- पूर्व राज्यमंत्री रहे डॉ। रामबाबू हरित बने उप्र एससी-एसटी आयोग अध्यक्ष

आगरा: प्रदेश सरकार में पूर्व स्वास्थ्य राज्यमंत्री रहे डॉ। रामबाबू हरित को उप्र अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाकर आगरा को एक और तोहफा दे दिया है। हरित की ताजपोशी के साथ ही प्रदेश की राजनीति में ताजनगरी का दबदबा और बढ़ गया है। प्रदेश सरकार में आगरा से दो राज्यमंत्री पहले से ही हैं।

भाजपाइयों में खुशी की लहर

बुधवार शाम को जैसे ही डॉ। रामबाबू हरित को उप्र एससी-एसटी आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने की सूचना मिली, भाजपाइयों में हर्ष की लहर दौड़ गई। हरित को बधाई देने के लिए उनके घर कार्यकर्ताओं का तांता लग गया। डॉ। रामबाबू हरित वर्ष 2000-2003 के बीच प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री रहे हैं। वह वर्ष 1993 से वर्ष 2007 के बीच तीन बार विधायक रहे। उन्होंने अपने राजनीति कॅरियर की शुरुआत वर्ष 1989 में सभासद का चुनाव जीतकर की थी। इसके बाद वर्ष 1992 में डिप्टी मेयर भी रहे। वर्तमान में वह भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं। वर्ष 1980 में एमबीबीएस करने के बाद हरित ने कुछ सालों तक सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी। हालांकि बीच में कुछ समय के लिए वह बहुजन समाज पार्टी से भी जुड़ गए थे। बाद में उन्होंने भाजपा में लौटकर घर वापसी भी कर ली थी।

एक वर्ष का होगा कार्यकाल

हरित का कहना है कि आयोग के अध्यक्ष के रूप में वह किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। उनका कार्यकाल एक वर्ष या 65 वर्ष तक की आयु तक होगा। एससी-एसटी आयोग सात महीने से रिक्त चल रहा था। आयोग के अध्यक्ष रहे बृजलाल का कार्यकाल 17 नवंबर 2020 को पूरा हो गया था।

कठेरिया रहे हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष

अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति आयोग के प्रदेश अध्यक्ष से पहले आगरा को आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी तोहफा मिल चुका था। आगरा से सांसद रहे (वर्तमान में इटावा सांसद) डॉ। रामशंकर कठेरिया एससी-एसटी आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। बसपा सरकार में गोरेलाल भी एससी-एसटी आयोग के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।

Posted By: Inextlive