-कोरोना महामारी की सेकंड वेव से आगरा में फीका पड़ा खुशियों को त्योहार

-घरों में ईद पर अदा करेंगे नमाज, अपनों को फोन पर देंगे मुबारकबाद

आगरा: इस बार भी आगरा समेत देशभर में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है और इस वायरस की वजह से त्योहारों की रौनक पूरी तरह से उड़ गई है। लोगों के चेहरों पर उदासी है। 13/14 मई को पूरी दुनिया में ईद का त्योहार मनाया जाएगा, लेकिन इस वक्त जो देश के हालात चल रहे हैं, उसे देखा जाए तो लोग इस बार ईद पर गले मिलकर एक दूसरे को त्योहार की मुबारकबाद नही दे सकेंगे। नायब शहर काजी ने मौलाना उजैर आलम ने कहा कि कोरोना वायरस बीमारी हमेशा तो नहीं आती लेकिन ईद हमेशा आती है। पूरी दुनिया कोरोना वायरस से ग्रस्त है और ईद की खुशी यही है कि हम गले न मिले, और हाथ न मिलाएं।

दूर से दें मुबारकबाद

उन्होंने आगे कहा, ईद पर गले मिलने का मतलब होता है कि अगर आपकी किसी से दुश्मनी या मन मुटाव है तो उनको बुला कर गले मिलें जिससे कि वो मन मुटाव खत्म हो और फिर से दिल मिल सकें। इस वक्त किसी से दुश्मनी निभानी है तो गले मिलना चाहिए, अगर मोहब्बत निभानी है तो दूर रहना चाहिए। अगर आप इस वक्त दूर से ही सलाम करते हो या मुबारकबाद देते हो, तो हम खुद भी बचते और दूसरों को भी बचाते है। ईद जिंदा करने का नाम है, ईद खुशियों का नाम है और हम यही तोहफा दे सकते हैं।

इस बार भी घरों में नमाज

आपको बता दें की ईद की शुरूआत सुबह दिन की पहली नमाज के साथ होती है। जिसे सलात अल-फज्र भी कहा जाता है। इसके बाद पूरा परिवार कुछ मीठा खाता है। फिर नए कपड़े पहनकर लोग ईद की नमाज पढ़ने के लिए जाते हैं। ईद की नमाज पढ़ने के बाद एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते है। अमीर अहमद एडवोकेट ने बताया कि देश में कोरोना वायरस बढ़ता जा रहा है और यह जरूरी है कि ईद के समय मे एहतियात बरता जाए। ईद पर जैसे लोग गले मिलते उसमें अब हमको एहतियात बरतना होगा। हालात ऐसे चल रहे हैं कि हमें इस वक्त टेलीफोन या मोबाइल से ही मुबारकबाद देनी होगी यही तरीका इस वक्त हो सकता है।

उन्होंने कहा, जो गाइडलाइन्स मेडीकल एक्सपर्ट और डब्लूएचओ की तरफ से आ रही हैं। हमें उन सभी बातों को अमल करना होगा। हमारे अपनों के लिए, हमारे परिवार के लिए हमारे पड़ोसी और मुल्क में रहने वाले लोगों के लिए। हालातों ने मजबूर कर दिया इस बीमारी की वजह से लोगों में बेरोजगारी हुई है। इससे आज लोग परेशान हैं अपने भविष्य के लिए परेशान है और आज भी लोगों के पास खाने के लिए पैसा नहीं है। ईद का त्योहार सबको साथ लेकर चलने का संदेश देता है। ईद पर हर मुसलमान चाहे वो अमीर हो या गरीब हो सभी एक साथ नमाज पढ़ते हैं और एक दूसरे को गले लगाते हैं।

इस्लामिया लोकल एजेंसी के चेयरमैन हाजी असलम कुरैशी ने बताया ईद पर लोग अपने घरों में सिवाइं और पकवान तो जरूर बनाएं। ईद की खुशी जरूर जाहिर करें लेकिन ना किसी से हाथ मिलाए और ना किसी के गले मिले। हमने अपील भी की है कि जिस तरह घर में लोग अपने बजट बनाते हैं, उस बजट का में से कुछ हिस्सा गरीब लोगों को दान करें क्योंकि पूरे मुल्क में लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हैं और लोगों को ईद से पहले फितरा (चैरिटी) भी दे दें जिससे गरीब भी ईद की खुशियां मना सकें और ईद में शामिल हो सकें।

इस्लाम में चैरिटी ईद का एक मुख्य पहलू है। हर मुसलमान को पैसा, खाना और कपड़े के रूप में कुछ न कुछ दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। आगरा जामा मस्जिद के इमाम इरफान उल्हा निजाम ने बताया, खुशी तो रहेगी लेकिन मनाई नहीं जा सकेंगी ईद पर बहुत एतिहात की जरूरत है। ईद उल फितर यानी रोजा तोड़ने की खुशी, जाहिर सी बात है जिस इंसान ने रमजान के महीने में रोजा रखा होगा। उनकी खुशी उतनी ही होगी लेकिन इस बात का गम जरूर रहेगा ईद की नमाज मस्जिदों में नहीं पढ़ पाएंगे।

बाजार में पसरा सन्नाटा

ईद आने वाली है और बाजार में सन्नाटा पसरा है। रेडीमेड कपड़ों के दुकानदारों से लेकर जूता-चप्पल व श्रृंगार सामग्री बेचने वाले दुकानदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। बच्चों के कपड़ों की खरीदारी के लिए नाम मात्र के ग्राहकों की आमद हो रही है। हालांकि पर्व पर सेंवई व अन्य पकवान बनाने के सामान की खरीदारी हो रही है।

कोरोना का है असर

कोरोना की सेकंड वेव पिछली साल से ज्यादा खतरनाक है। साप्ताहिक लॉकडाउन के चलते एक ओर जहां लोगों को काम नहीं है वहीं दूसरी तरफ परिवार पर भारी भरकम खर्च भी परेशान कर रहा है। ऐसे में आम आदमी के लिए ईद की खुशियां फीकी पड़ रही है। उधर महामारी के चलते देश में उत्पन्न हालात को देखते हुए उलेमा व धर्म गुरुओं द्वारा सादगी से ईद मनाने की अपील की जा रही है। फिजूलखर्ची से बचने व गरीबों की मदद करने का आह्लान किया जा रहा है। यही कारण है कि अधिकतर लोग ईद शांपिग से परहेज कर रहे हैं। दुकानदार आफताब अंसारी का कहना है कि बच्चों के लिए कुछ लोग कपड़ों की खरीदारी कर रहे हैं जबकि बड़ों के कपड़े इस बार नहीं खरीदे जा रहे हैं। हॉस्पिटल रोड स्थित दुकानदार बबलू का कहना है कि उनकी दुकान पर 70 से 90 रुपए किलो वाली सेवईं उपलब्ध है जिसकी खरीदारी होने लगी है। प्रशासन द्वारा नियत समय पर बिक्री हो रही है और खरीदारी भी कर रहे हैं।

अलविदा जुमा की नमाज में कोरोना के खात्मे की दुआ

माह-ए-रमजान के आखिरी जुमे को अलविदा की नमाज में कोरोना के खात्मे की दुआ की गई। कोविड गाइडलाइन का पालन कर रोजेदारों ने इस साल भी मस्जिदों की बजाय घरों में ही नमाज अदा की। बरोज जुमा शाही जामा मस्जिद में जुमा-तुल अलविदा की नमाज शासन प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार संपन्न हुई। शाही जामा मस्जिदमें नमाज के दौरान चंद लोग ही जुटे। नमाज इमाम इरफान उल्ला खां निजामी ने पढ़ाई।

नमाज के बाद इमाम ने कोरोना महामारी के खात्मे के लिए दुआ की। और कोरोना में जो लोग इस दुनिया से रुखसत हो गए उनकी मगफिरत के लिए दुआ की। इस्लामिया लोकल एजेंसी के चेयरमैन हाजी असलम कुरैशी ने शहरवासियों से अपील की कि वे अपने-अपने घरों में रहें और शासन प्रशासन द्वारा बताई गाइडलाइन का पालन करें। इसी तरह हम कोरोना की चेन को तोड़ पाएंगे। बता दे कि रमजान के मुकद्दस महीने के आखिरी जुमा (शुक्रवार) को रमजान को विदाई देने की विशेष नमाज अदा की जाती है। अल्लाह से अपनी खताओं की माफी मांगने के साथ शुक्रिया भी अदा किया जाता है कि इस पवित्र माह में लोगों को बुरे काम से दूर रहने, इबादत करने व दूसरों की मदद करने की सीख मिली। रोजेदार सुबह से ही नमाज की तैयारी में जुट गए। मस्जिद में अजान शुरू होते ही रोजेदारों ने अपने-अपने घरों में नमाज अदा करना शुरू किया। इस बार भी अलविदा जुमे की नमाज मस्जिद में न अदा करने की कसक रोजेदारों में दिखी। बच्चे परिजन के साथ घर में नमाज अदा कर खुश थे। मस्जिदों में कुछ ही रोजेदार नमाज अदा करने पहुंचे।

Posted By: Inextlive