स्पूफिंग की शिकार हुई छात्रा के दोस्तों से जमा कराया रुपया
- फेसबुक साथी का अकाउंट हैक कर भेजा सरप्राइज लिंक
आगरा। थाना हरीपर्वत क्षेत्र में रहने वाली ग्रेजुएशन की छात्रा नेट पर स्पूपिंग की शिकार हो गई। हैकर ने पहले उसके साथी का फेसबुक अकाउंट हैक किया। इसके बाद साथी बनकर छात्रा से बात कर उसे विश्वास में लिया। एक सरप्राइज लिंक भेजकर पूरा अकाउंट हैक कर लिया। इसके बाद उसके दोस्तों से रुपया अकाउंट में जमा कराया। पता चलने पर छात्रा ने थाने में मामले की शिकायत की है। साथी के अकाउंट से भेजा मैसेजहरीपर्वत क्षेत्र निवासी छात्रा से करीब 15 दिन पहले उसके फेसबुक फ्रेंड ने फोन पर बात की और कहा कि वह एक सरप्राइज लिंक भेज रहा है। लिंक खोलते ही उसे सरप्राइज मिलेगा। लिंक पर उसे अपना लॉगिन आईडी और पासवर्ड डालना है। छात्रा ने साथी की बात पर विश्वास कर लिया। फेसबुक पर आए सरप्राइज लिंक पर छात्रा ने क्लिक कर दिया। उसमें लॉगिन आईडी और पासवर्ड डाला। ऐसा करते ही उसका अकाउंट हैक हो गया। छात्रा को इसकी जानकारी नहीं हुई। कुछ दिन बीत जाने पर उसके एक दोस्त ने मैसेंजर पर पूछा कि क्या परेशानी है। छात्रा कुछ समझ नहीं सकी।
दोस्तों से जमा कराए रुपयेदोस्त ने बताया कि उसके पास मैसेज आया है कि तुम्हें रुपयों की जरूरत है। इसके बाद छात्रा का माथा ठनका। उसने लिंक भेजने वाले साथी से बात की, तो बताया कि उसने लिंक भेजा ही नहीं। हैकर ने उसके फेसबुक पर जुड़े दोस्तों को मैसेंजर के माध्यम से मदद मांगी। उसने कहा कि उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है उसे रुपयों की जरूरत है। उसने अकाउंट नंबर दिया और रुपये डालने के लिए बोला। छात्रा के कई दोस्तों ने हजारों रुपये अकाउंट में जमा करा दिए।
पुलिस कर रही मामले की जांच थाने से मामला साइबर सेल जांच के लिए गया। जांच में मामला स्पूफिंग का निकल कर आया। अब पुलिस पता करने में जुटी है कि साथी का अकाउंट किसने हैक किया। जो रुपये जमा कराए गए वे किन अकाउंट में जमा कराए गए हैं और अकाउंट कहां के हैं। बचाव के तरीके अपनी आईडी का पासवर्ड 30 से 45 दिनों में चेंज कर दें। कम्प्यूटर सिस्टम को हफ्ते में एक बार जरूर स्कैन करें। किसी भी लिंक पर बिना जाने ईमेल और पासवर्ड न डालें। ऑनलाइन शॉपिंग में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। अधिकांशत: यह मैसेज मेल आईडी के स्पेम में आते हैं। कैसे होती है स्पूफिंगइसके लिए हैकर्स इंटरनेट यूजर्स को इस तरह से चकमा देते हैं कि वह पहचान ही नहीं पाते कि उनके साथ क्या हो रहा है। लिंक पर क्लिक करते ही आपके पेज की इमेज फाइल बन कर हैकर्स के पास चली जाती है। साथ ही हैकर्स एक जैसे ईमेल से लिंक भेजते हैं, देखने में लगता है कि असली ईमेल है। एकदम से देखने में आप एड्रेस को पहचान नहीं सकते। लेकिन जब आप गौर से देखेंगे तो उस एड्रेस में एक स्पेलिंग का अंतर होगा, जिसे लोग नहीं समझ पाते।