आगरा। पिछले 10 वर्षो में आगरा की ग्रीनरी में बड़ी गिरावट आई है। भारत वन स्थिति की रिपोर्ट इसकी तस्दीक करती है। सबसे अधिक कमी ओपन फॉरेस्ट (खुले वन) में सामने आई है। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2017 के अनुसार जहां आगरा में ओपन फॉरेस्ट 209 स्क्वायर किमी फैले थे, वहीं 2019 में इनका आंकड़ा 199.94 पर सिमट गया।

झाडि़यों में बदल गए खुले जंगल

बायोडायवíसटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ। केपी सिंह बताते हैं कि आगरा में साल 2017 की तुलना में 2019 की रिपोर्ट के अनुसार 9.38 वर्ग किलोमीटर वन आवरण कम हो गया। मध्यम घनत्व वाले जंगलों में 0.32 वर्ग किलोमीटर और खुले जंगल में 9.06 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है। यह खुले जंगल के झाडि़यों में बदल जाने से हुआ है।

पॉल्यूशन का स्तर भी बढ़ा

डॉ। सिंह बताते हैं कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कॉम्प्रेहेंसिव एनवायरमेंटल पाल्यूशन इंडेक्स (सेपी) की रिपोर्ट में आगरा के औद्योगिक क्षेत्रों में हवा और पानी में जहरीले तत्वों की वृद्धि हुई है। लॉकडाउन के दौरान आगरा की एक्यूआई का स्तर औसत दर्ज किया गया। लॉकडाउन खुलने के बाद एक्यूआई का स्तर फिर से खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।

वन्यजीव के लिए बड़ा खतरा

डॉ। सिंह कहते हैं कि आगरा में लगभग 500 से अधिक पक्षियों, तितलियों, मछलियों, कीटों व अन्य वन्य जीवों की प्रजातियां मौजूद हैं। आगरा की वन संपदा संकट के मुहाने पर खड़ी है। जंगल के क्षेत्रफल में कमी आने से वन्य जीव-जन्तुओं के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो रहा है। आगरा के बाह क्षेत्र के जंगल मे हाल ही में गंभीर आग लगकर चुकी है।

बड़ेस्तर पर काटे गए पेड़

डॉ। सिंह की मानें तो सरकारी आकड़ों के अनुसार विगत 10 वर्षो में आगरा मे एक लाख पेड़ों की कटाई हुई है। बिना देखभाल के शहर एवं यमुना नदी के किनारे 2019 में लगाए गये 22 हजार पौधे नष्ट हो चुके हैं। 2018 में आये दो तूफानों से एवं मई 2020 के तूफान में हजारों की संख्या में पेड़ नष्ट हुए हैं।

आगरा में जंगल के जंगल काट दिए गए। ऐसे पेड़ों को काटा गया, जो छायादार थे। ये झाड़ी नहीं थी। इसके चलते ग्रीनरी एरिया घटा है। जहां कुछ समय पहले तक ग्रीनरी होती थी, वहां आज ऊंची-ऊंची बिल्डिंग नजर आती हैं। यमुना के डूब क्षेत्र की स्थिति सबके सामने है।

डॉ। देवाशीष भट्टाचार्य, पर्यावरण एक्टिविस्ट

जिस तरह से आगरा में फॉरेस्ट एरिया घट रहा है, वह चिंताजनक है। वन्यजीवों के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है। इसका असर पर्यावरण संतुलन पर भी पड़ेगा, जो हित में नहीं है।

डॉ। केपी सिंह, पर्यावरण एक्टिविस्ट

अंधाधुंध विकास के नाम पर पेड़ों को काटा जा रहा है। इससे जहां हरियाली घट रही है, वहीं प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है। आगरा में तो बड़ेस्तर पर पेड़ों को नुकसान पहुंचाया गया है, जिसका असर अब साफ दिख रहा है।

श्रवण कुमार, पर्यावरण एक्टिविस्ट

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आगरा का जियोग्राफिकल एरिया

4027 वर्ग किमी

अति सघन क्षेत्र (वेरी डेंस फॉरेस्ट)

सभी भूमि क्षेत्र जहां वृक्ष घनत्व 70 परसेंट और उससे अधिक है।

मध्यम सघन वन (मोडरेट डेंस फॉरेस्ट)

सभी भूमि क्षेत्र जहां वृक्ष घनत्व 40 परसेंट और उससे अधिक लेकिन 70 परसेंट से कम है।

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खुले वन (ओपन फॉरेस्ट)

सभी भूमि क्षेत्र जहां वृक्ष घनत्व 10 परसेंट और उससे अधिक लेकिन 40 परसेंट से कम है।

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झाड़ी वन (स्क्रब)

सभी भूमि क्षेत्र जहां वृक्ष घनत्व 10 परसेंट से कम है।

टेबल

वेरी डेंस फॉरेस्ट मोडरेट डेंस फॉरेस्ट ओपन फॉरेस्ट टोटल स्क्रब

2009 0 67 209 276 74

2011 0 67 209 276 74

2013 0 65 208 273 74

2015 0 65 208 273 79

2017 0 63 209 272 64

2019 0 62.68 199.94 262.62 75.14

Posted By: Inextlive