फ्यूल बनेगी सिंगल यूज प्लास्टिक
देशभर में 75 माइक्रोन की सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित किया जा चुका है. ताज ट्रेपेजियम जोन टीटीजेड में पर्यावरण के संबंध में प्रभावी बंदिशों के चलते आगरा में कोई भी प्लास्टिक या पॉलीथिन रिसाइकिङ्क्षलग यूनिट नहीं है. यहां बनाया जाने वाला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट शहर में कूड़े के निस्तारण के साथ ही प्लास्टिक व पॉलीथिन कचरे का भी निदान करेगा. प्लांट में फ्यूल के रूप में प्लास्टिक व पालीथिन का उपयोग किया जाएगा.
आगरा: प्लास्टिक प्रदूषण पर रोकथाम को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार देश में एक जुलाई से 75 माइक्रोन की प्लास्टिक व पालीथिन पर रोक लगा दी गई है। अगले चरण में देश में 31 दिसंबर तक 120 माइक्रोन की प्लास्टिक व पॉलीथिन पर रोक लगाई जानी है। जागरूकता के अभाव में प्लास्टिक प्रदूषण निरंतर बढ़ता जा रहा है। कूड़े में फेंकी जानी वाली पॉलीथिन को गाय खा लेती हैं। वहीं, नालों व नालियों में बहकर पहुंची पॉलीथिन यमुना की तलहटी तक पहुंच रही है। यमुना के किनारों पर आठ से 10 फुट तक पॉलीथिन जमा है। यह जमीन की उर्वर क्षमता को भी प्रभावित कर रही है। पॉलीथिन व प्लास्टिक कचरे के निस्तारण में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट सहायक होगा।---
आगरा में प्लास्टिक व पालीथिन रिसाइकिङ्क्षलग करने वाली कोई यूनिट नहीं है। वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में बिजली उत्पादन को प्लास्टिक व पालीथिन कचरे का इस्तेमाल फ्यूल के रूप में होगा।-डॉ। विश्वनाथ शर्मा, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ---280 करोड़ रुपए से बनेगा प्लांट
वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का निर्माण 280 करोड़ रुपए से स्पाक ब्रेसान कंपनी द्वारा किया जा रहा है। 11 एकड़ जगह में लगने वाला यह प्लांट दो वर्ष में बनकर तैयार होगा। यहां 800 टन कूड़े से 15 मेगावाट बिजली तैयार होगी। प्लांट लगने के बाद शहर में निकलने वाले कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण होगा।---प्रतिदिन 125 टन प्लास्टिक कचराशहर में प्रतिदिन करीब 125 टन प्लास्टिक व पॉलीथिन कचरा निकल रहा है। सूखे कचरे में 35 प्रतिशत से अधिक प्लास्टिक कचरा है, जिसमें ङ्क्षसगल यूज पॉलीथिन व बोतलें हैं। ---बाहर होती है रिसाइकिङ्क्षलगशहर में प्लास्टिक या पॉलीथिन की रिसाइकिङ्क्षलग की कोई यूनिट नहीं है। नगर निगम की मैटेरियल रिकवरी फेसिलिटी (एमआरफ) को देख रही मिशन वाइड वेस्ट मैनेजमेंट सर्विसेज ही प्लास्टिक या पॉलीथिन कलेक्शन के काम को देख रही है। वह शहर से बाहर स्थित रिसाइकिङ्क्षलग प्लांट में प्लास्टिक व पॉलीथिन को भेजती है।---एसटीपी के पानी का होगा प्रयोग
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से ट्रीटमेंट के बाद निकले पानी का प्रयोग वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में बिजली बनाने के लिए होगा। इसके लिए अमृत योजना के तहत प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा दिया गया है। बता दें कि पीलाखार में 5 मिलियन लीटर पर डे (एमएलडी) का एसटीपी है। इसके सीवरेज को री-साइकिल कर कुबेरपुर ले जाया जाएगा। जहां वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में बिजली बनाने में इसका प्रयोग किया जाएगा। नगर निगम के पर्यावरण अभियंता पंकज भूषण ने बताया कि एसटीपी के सीवरेज को री-साइकिल करने के बाद उसके ट्रीटेड वाटर को वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में प्रयोग में लगाया जाएगा। जिससे बिजली उत्पादन के लिए अन्य स्थान से पानी लाने की आवश्यकता नहीं होगी।---9 विभागों से लेनी होगी एनओसीवेस्ट टू एनर्जी प्लांट को शुरूकरने के लिए सिंचाई विभाग समेत 9 विभागों से एनओसी लेनी होगी। पर्यावरण अभियंता ने बताया कि एनओसी लेने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही एनओसी को क्लियर कर लिया जाएगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने प्लांट को हरी झंडी दे दी है। ---पीपीपी मॉडल पर हो रहा निर्माण वेस्ट-टू एनर्जी प्लांट में नगर निगम द्वारा बाउंड्रीवाल का काम कराया जा रहा है। बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम स्पाक ब्रेसान कंपनी द्वारा कराया जा है। प्लांट के निर्माण कार्य को पूरा होने में दो वर्ष का समय लग सकता है। इसको पीपीपी मॉडल पर तैयार किया जा रहा है। ---
कुबेरपुर स्थित खत्ताघर में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। वर्तमान में जो भी पॉलीथिन जब्त की जाती है। उसे नई दिल्ली स्थित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में बेच दिया जाता है। आने वाले दिनों में आगरा के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलीथिन को फ्यूल के तौर पर प्रयोग में लगाया जाएगा। - निखिल टीकाराम फुंडे, नगरायुक्त, आगरा