सिर्फ पैसा खर्च करने से बच्चा नहीं बनेगा होनहार जीडीबीपीकॉन-2021 का हुआ समापन वर्कशॉप में एडीएचडी ऑटिज्म की बीमारी और इलाज पर की गई चर्चा.

आगरा(ब्यूरो) भारत में तीन वर्ष तक के लगभग 45 प्रतिशत बच्चों की सही देखभाल न होने से वह वहां नहीं पहुंच पाते, जहां उन्हें क्षमता के अनुसार होना चाहिए। सिर्फ पैसा खर्च करने और बेहतर सुविधाएं देना ही बच्चों के सही विकास की परिभाषा नहीं है। उन्हें पैरेंट्स को भी साथ चाहिए। आगरा में आयोजित हुई दो दिवसीय जीडीबीपीकॉन-2021 में देशभर से आए पीडियाट्रिक्स ने बच्चों की व्यवहारिक, मानसिक और शारीरिक सेहत को लेकर चर्चा की। रविवार को इसका समपान हो गया।

आइएपी करेगा 10 हजार डॉक्टरों को प्रशिक्षित
बच्चों की बेहतर देखभाल और उनका भविष्य आज की पीढ़ी के लिए किसी जीवन बीमा से कम नहीं। बच्चों की सही तरह से देखभाल कैसे की जाए, इसके लिए आइएपी की वेबसाइट पर जाकर सही जानकारी ले सके हैं। आइएपी के 2021-2023 के कार्यक्रम के तहत 10 हजार डाक्टरों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है, ये डॉक्टर पैरेंट्स को प्रशिक्षित करेंगे। आगे पैरेंट्स को ट्रेंड कर सकें।

प्ले के माध्यम से समझाया
प्ले के माध्यम से आटिज्म से पीडि़त बच्चों की पहचान किस तरह की जाए, यह समझाया गया। समापन समारोह में डॉक्टरों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। 10 शोध पत्र व पोस्टर प्रस्तुत किए गए। आयोजन समिति के प्रेसिडेंट डॉ। प्रदीप चावला, डॉ। आरएन द्विवेदी, डॉ। अजय श्रीवास्तव, आयोजन सचिव डॉ। अरुण जैन, डॉ। राजीव कृषक, डॉ। मनोज जैन, डॉ। सुनील अग्रवाल, डॉ। राहुल पैंगोरिया, डॉ। स्वाति द्विवेदी, डॉ। सचिन चावला, डॉ। अंजना थडानी, डॉ। मोनिका शर्मा, डॉ। जयदीप चौधरी, आईएपी आगरा के प्रेसिडेंट डॉ। आरएन शर्मा, सचिव डॉ। संजीव अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

शरारती और डांट खाने वाले बच्चे बीमार
मौलाना आजाद मेडिकल कालेज, दिल्ली की डॉ। मोनिका जुनेजा ने बताया कि शरारत करने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इसमें से अधिकांश बच्चे अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसआर्डर एडीएचडी के शिकार होते हैं। मगर, टीचर्स और पैरेंट्स इसे नजरअंदाज करते हैं। इन बच्चों को स्कूल और घर में डांट लगती है, साथी बच्चों के साथ मारपीट करने लगते हैं और वे पढ़ाई में पिछड़ते जाते हैं। ऐसा दिमाग में डोपामिन के स्तर में गड़बड़ी के कारण होता है, इन बच्चों को इलाज की जरूरत होती है। इन्हें दवा दी जाती है और बच्चे ठीक हो जाते हैं। वहीं, स्कूल में जिन बच्चों को डांट लगती है वे भी बीमार होते हैं।

जेंडर डिस्फोरिया के बारे में बताया
एसजीपीजीआई, लखनऊ की डॉ। पियाली भट्टाचार्य ने सेक्सुएलिटी पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि जन्म के साथ लड़के और लड़की की पहचान उसके जननांग से होती है। इसके अलावा उसके दिमाग में उसकी अपनी पहचान क्या है और उसके आसपास का वातावरण क्या है। इससे वह लड़का है या लड़की यह तय होता है। जेंडर डिस्फोरिया भी इसी तरह की समस्या है, इसमें लड़का खुद को लड़की समझता है और लड़की खुद को लड़का समझती है। परिजन इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। जबकि, इस तरह के केस में लड़का खुद को लड़की समझता है तो उसका सेक्स बदलवा लेना चाहिए। इसके लिए एंडोक्रोनालाजिस्ट, प्लास्टिक सर्जन और मनोचिकित्सक की जरूरत होती है। छह महीने की थैरेपी के बाद लड़का पूरी तरह से लड़की की तरह से दिखाई देने लगता है और आगे की ङ्क्षजदगी बेहतर जीता है। वह चाहे तो शादी कर सकता है और बच्चा गोद ले सकता है। जेंडर डिस्फोरिया विदेशों में अधिक है। हमारे यहां 0.2 फीसद केस हैं।

स्क्रीन देखने से डिजिटल आई स्ट्रेन की समस्या
आयोजन समिति के प्रेसिडेंट डॉ। आरएन द्विवेदी ने बताया कि कोरोना काल में बच्चे मोबाइल, लैपटाप, टीवी पर घंटों वीडियो गेम और वीडियो देखते हैं। इससे बच्चों को डिजिटल आइ स्ट्रेन की समस्या हो रही है। आंखों में दर्द और रोशनी कम होने लगती है। इससे बचने के लिए 20 20 20 का फार्मूला इस्तेमाल करें। 20 मिनट स्क्रीन के सामने रहने के बाद 20 सेकेंड के लिए 20 फुट दूरी पर देखें।

बच्चों की बीमारी
जिन बच्चों को पढऩे में समस्या -डिस्लेक्सिया
जिन बच्चों में लिखने की समस्या -डिस्ग्राफिया
जिन बच्चों में अंकों को जोडऩे में समस्या -डिसकैलकुलिया
शरारती बच्चे - एडीएचडी
खुद में ही खोए रहें, कब क्या करना है यह न समझें -ऑटिज्म

जनवरी में आएगी तीन डोज वाली बच्चों की कोरोना वैक्सीन
लखनऊ से आए डॉ। उत्कर्ष बंसल ने बताया कि बच्चों के लिए दो तरह की वैक्सीन तैयार की गई है। जाइडस कैडिला की जाइकोव डी वैक्सीन 12 से 18 की उम्र के बच्चों के लिए है। यह जनवरी में आ जाएगी, इसकी 28 28 दिन के अंतराल पर तीन डोज लगेंगी। इस वैक्सीन में प्लाज्मा जेट टेक्नोलाजी इस्तेमाल की गई है, इससे वैक्सीन लगने पर दर्द नहीं होगा। यह वैक्सीन ओमिक्रान पर कितनी प्रभावी होगी, इसे लेकर अभी स्टडी होनी है।

Posted By: Inextlive