आगरा. आज बेटियों को कम आंकने का दौर पीछे छूट चुका है. हर फील्ड में बेटियां अब बेटों से आगे हैं. सिर्फ खुद ही बुलंदियां हासिल नहीं कर रहीं हैं बल्कि अपने पेरेंट्स को भी गर्व का अहसास करा रहीं हैं. राष्ट्रीय बालिका दिवस पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट शहर के कुछ ऐसे ही पेरेंट्स से रूबरू करा रहा है जो कहते हैं अगले जन्म भी हमें बेटी दीजो

गर्व और गौरव की दोगुनी अनुभूति
दयालबाग निवासी कवि व साहित्यकार कुमार ललित कहते हैं कि मैं भी उन सौभाग्यशाली पिता में से एक हूं, जिनको भगवान ने बेटी प्रदान की है। बेटी को लक्ष्मी रूप कहा जाता है। मैंने तो अपनी बेटी में लक्ष्मी के साथ सरस्वती मां का रूप भी देखा है। बेटी में सिर्फ न एक बेटी, बल्कि मां, एक दोस्त, एक समझदार बच्ची और शिक्षिका का भी रूप देखा है। वो हर बात पर मुझे समझाती है, हर बात मुझसे डिस्कस करती है। इतनी कम उम्र में उसकी परिपक्वता का स्तर काफी ऊंचा है। उसके ज्ञान, अनुभव शिक्षा साहित्य सृजन, इन सब चीजों से मिलकर उसका जो व्यक्तित्व है, उससे मैं बेहद प्रेरित और प्रभावित होता हूं। उसका जो वार्ता करने का तरीका, चीजों को एनालाइज करने और देखने का जो नजरिया है, वह अपनी उम्र से आगे की सोच रखती है। क्लास सेवंथ में बेटी की लिखी कविताओं की पहली बुक्स पब्लिश हुई। क्लास नाइंथ में दूसरी किताब आई। जिस पर देश के बड़े समीक्षकों ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ये अपनी उम्र से आगे का लेखन है। मैं खुद भी कविताएं लिखता हूं, साहित्यकार हूं, लेखनी से जुड़ा हूं, मुझे बेटी की उपलब्धि पर दोगुने गर्व और गौरव की अनुभूति होती है। एक तो पिता के रूप में और एक साहित्यकार के रूप में है। मुझे लगता है जैसे एक मार्गदर्शक मुझे मिल गया हो। जिसे मुझसे कविता के संस्कार मिले और आज वही वट वृक्ष में तब्दील होकर मुझे छाया प्रदान कर रही है।

इशिका बंसल, राइटर व 12वीं स्टूडेंट, वुडस्टॉक स्कूल, मसूरी,

पिता:: कुमार ललित
मां:: सरिता बंसल
निवासी:: दयालबाग

--------------
्र
बेटी ने हमारा नाम रोशन किया
रेलवे कॉलोनी, ईदगाह निवासी सूबेदार मेजर (रिटायर्ड) व प्रवक्ता रघुवीर सिंह यादव ने कहा कि आज भारत बदल गया है। मैंने कभी भी अपने दिमाग में या बेटी के दिमाग में नहीं आने दिया कि बेटी हो कि तुम कुछ कर नहीं सकतीं। जितना हम सहयोग दे सकते थे दिया। आर्मी में होने के चलते हम बेटी के साथ कम ही रह पाए। बेटी ने कोशिश की और बुलंदियों को छुआ। वह कहते हैं कि इंसान की सफलता और असफलता उनके बच्चों की सफलता पर निर्भर करती है। कितना भी धन कमा लें अगर बच्चे असफल रहते हैं तो वह धन किसी काम का नहीं। बेटी ने हमारा नाम रोशन किया है। हमारे लिए गर्व की बात है। देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया में नाम रोशन किया है। हमने सोचा भी नहीं था कि हमारी बेटी बुलंदियों पर पहुंचेगी। जो लोग आज भी बेटों से बेटियों का कम आंकते हैं, वह पढ़े लिखे नहीं हैं, जो बच्चों को काबिल नहीं बना पाते हैं, वही इसी तरह की बात करते हैं। जो बेटी नाम रोशन कर रही हैं, बेटों से अधिक काम कर रही हैं, उन बेटियों को बेटे से कम किस तरह आंका जाा सकता है।


पूनम यादव, इंटरनेशनल क्रिकेटर


पिता::: सूबेदार मेजर (रिटायर्ड) रघुवीर सिंह यादव व
प्रवक्ता, इंटर कॉलेज
मां::मुन्नी देवी
निवासी::रेलवे कॉलोनी, ईदगाह

-----------------------------------


मेरी बेटी मेरी पहचान
जनक शर्मा बताती हैं कि बहुत खुशी होती है जब बेटी उपलब्धि हासिल करती है। आज बेटी इंटरनेशनल शूटर है। उस गर्व और खुशी को शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता, जब मेरी बेटी के नाम से मुझे पहचाना जाता है। आज बेटियां किसी भी फील्ड में बेटों से पीछे नहीं हैं। सभी बेटियों को भी बेटो की तरह ही मौके देने चाहिए। जिससे वह सफल होकर अपने परिवार का नाम रोशन कर सकें1


सोनिया शर्मा, इंटरनेशनल पारा शूटर
पिता::स्व। ठाकुर दास शर्मा
मां::जनक शर्मा

Posted By: Inextlive