आगरा। नीरज चोपड़ा का गोल्ड सिर्फ एक पदक नहीं है, बल्कि ये वो सुनहरा पल है, जो इंडियन एथलेटिक्स की दशा और दिशा बदल देगा। ये न सिर्फ मौजूदा खिलाडि़यों में जोश पैदा करेगा, बल्कि अब एथलेक्टिस में सुनहरे दौर की शुरूआत कराएगा। ओलंपिक में एथलेटिक्स को देश में पहला गोल्ड मिलने पर ताजनगरी के प्लेयर्स की खुशी भी देखते ही बनती है। हर किसी ने नीरज की इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया। वहीं, इस खुशी के पल को सेलिब्रेट करने में आगराइट्स भी पीछे नहीं रहे। मिष्ठान्न वितरण के साथ आतिशबाजी कर खुशी का इजहार किया गया।

24 घंटे में दो बार जश्न का मौका

टोक्यो ओलंपिक को लेकर ताजनगरी में इस बार एक अलग ही उत्साह दिखा। जैसे ही टीवी पर किसी खिलाड़ी के पदक के नजदीक होने की खतर टीवी पर प्रसारित होती तो सिर्फ खेल प्रेमियों की ही नहीं, बल्कि आगराइट्स की भी नजरें टीवी टिक जातीं। दुआओं का दौर शुरू जाता। शनिवार को तो जैसे खेल प्रेमियों की मुराद ही पूरी हो गई। रेसलिंग में बजरंग पूनिया के ब्रॉन्ज मेडल से छाया उत्साह अभी कम भी नहीं हुआ था कि शाम होते-होते खेल प्रेमियों को जश्न मनाने का मौका मिल गया। शाम को नीरज के फाइनल में मुकाबले की जानकारी जैसे ही लोगों को मिली, उनकी नजर टीवी पर जम गई। हर एक थ्रो के साथ टीवी देख रहे लोगों की दिल की धड़कन भी बढ़ती जा रही थी। लेकिन जैसे ही नीरज ने अपने पहले अटेम्पट में 87.3 मीटर की दूरी तक भाला फेंका। लोग खुशी से ताली बजा उठे। अब तक नीरज प्वॉइंट टेबल पर टॉप पर चल रहे। अब लोगों को नीरज के दूसरे अंटेम्पट का इंतजार था। जैसे ही नीरज टीवी स्क्रीन पर आए। एक अजीब सी खामोशी छा गई। सब लोगों हाथ जोड़कर दुआ करने लगे। लेकिन इस बार नीरज ने अपने पहले अटेम्पट के प्रदर्शन को भी सुधारते हुए 87.58 मीटर की दूरी पर भाला फेंका तो लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह खुशी से उछल पड़े। टीवी देख रहे लोगों का उत्साह और टोक्यो में जैवलिन थ्रो के फाइनल में खेल रहे नीरज का कॉन्फि डेंस देखकर साफ अहसास हो गया था कि फाइनल का फैसला हो चुका है। हुआ भी कुछ ऐसा ही नीरज का दूसरा अटेम्पट ही गोल्ड मेडल का दावेदार बना।

जैवलिन थ्रो यानी भाला फेंक क्या है?

भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) एक ओलिंपिक खेल है। भाला लकड़ी का बना होता है, जिसके आगे के हिस्से नुकीले होते हैं, जो कि हल्की धातु से बनाया जाता है। ताकी इसे ज्यादा दूर तक फेंका जा सके। भाला फेंक एक ट्रैक और फील्ड इवेंट है, जिसमें दौड़ना, कूदना और फेंकना जैसी एथलेटिक प्रतियोगिताएं शामिल हैं। यह एक आउटडोर खेल है।

8.2 फीट का होता है भाला

इस खेल में फेंके जाने वाले भाले की लम्बाई 8 फीट 2 इंच होती है। जहां भाला फेंक पुरुष इवेंट को डिकैथलॉन कहा जाता है, वही महिला इवेंट को हेप्टाथलॉन कहा जाता है। ये दोनों एक ही इवेंट है।

अलग-अलग होता है भाला का वजन

पुरुष प्लेयर महिला प्लेयर

800 ग्राम 600 ग्राम

जानें भाला फेंक खेल के नियम

- भाला फेंकते समय उसको कंधे के ऊपर से फेंका जाता है

- भाले की लम्बाई 2.5 मीटर होती है

- आप भाला फेंकने से पहले भाला फेंकने वाली दिशा में पीठ नहीं करते

- अगर भाला फेंकते समय मैदान के छोर या सिरों पर बनी रेखा को खिलाड़ी के शरीर का कोई भी हिस्सा छू लेता है, तो इसे खेल का उल्लंघन माना जाता है।

- इस खेल में सही थ्रो वो ही माना जाता है, जिसमें भाले का सिरा जमीन में घुस जाए या भाला जमीन पर खड़ा रहे

- खेल के दौरान खिलाड़ी को तीन बार भाला फेंकने का मौका दिया जाता है। ज्यादा दूर फेंकने वाला जीत जाता है।

- अगर भाला फेंकते समय भाले का छोर टूट जाए या भाला खंडित हो जाए तो कोशिश विफल मानी जाती है।

भाला फेंकते समय इन बातों का रखें ध्यान-

वार्म अप करने के बाद, दाहिने पैर को आगे रखे

भाले को मजबूत पकड़ के साथ कंधे से ऊपर उठाएं

फिर थोड़ा भागकर भाला फेंके

भाला फेंकते समय ध्यान दें कि आप हाथों के साथ पीछे वाले पैर को हल्का घुमाए, फिर पूरी ताकत के साथ भाला फेंके

भाला फेंकने वाली दिशा में ही देखें

जब तक भाला जमीन को ना छुए, तब तक मैदान के अंतिम छोर से बाहर ना जाएं

भाला जमीन को छूने से पहले आप भाला फेंकी गई दिशा में मुंह न करे, नहीं तो फाउल माना जाएगा

भाला फेंकने से पहले या जमीन को छूने से पहले, आपके शरीर का कोई हिस्सा बाउंड्री लाइन को न छुए, नहीं तो फाउल होगा

भाला फेंकने के दौरान भाला जमीन के अंदर नहीं लगता या खड़ा नहीं रहता तो फाउल माना जाएगा

भाले को थ्रो करने के बाद खुद पर नियंत्रण रखना जरूरी है, नहीं तो ये भी फाउल होगा

भाला फेंक खेल के मशहूर खिलाड़ी

नीरज चोपड़ा, जोहानिस वेटर, शिवपाल सिंह, केशोर्न वाल्कॉट, एंडरसन पीटर्स, अरशद नदीम, जूलियस येगो, जैन जेलेजनी, गैटिक्स चैक्स आदि।

जिला एथलेक्टिस संघ ने बांटी मिठाई

जिला एथलेक्टिस संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल को भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास का सुनहरा दिन के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। नीरज ने सभी देशवासियों का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। इस अवसर पर जिला एथलेक्टिस संघ के सचिव नरेंद्र कुमार, अध्यक्ष सत्यवीर सिंह राठौर, संरक्षक दिनेश कुमार राठौर, पीएल शर्मा, शैलेंद्र शर्मा आदि ने खुशी का इजहार किया। मिठाई का वितरण किया।

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एथलेक्टिस के लिए ये ऐतिहासिक पल है। नीरज की इस सफलता को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने सभी देशवासियों का गर्व से सिर ऊंचा कर दिया।

नरेंद्र कुमार, जिला एथलेटिक्स संघ

नीरज चोपड़ा का ये पदक सिर्फ एथलीट ही नहीं, बल्कि सभी गेम्स के प्लेयर्स में जोश पैदा करेगा। उनकी सफलता पर बहुत खुशी है। इससे जूनियर खिलाडि़यों और नए युवाओं को एक नई राह मिलेगी।

मनीषा कुशवाह, इंटरनेशनल एथलीट

टोक्यो ओलंपिक में एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल भारतीय खेल इतिहास का एक सुनहरा दौर है। ये सिर्फ पदक नहीं है, बल्कि एक इतिहास है, जो नीरज ने रच दिया है। उन्हें बहुत-बहुत बधाई।

सुनील जोश, आरएसओ

Posted By: Inextlive