फर्जी कॉल सेंटर संचालक कंपनी की मिली भगत से हैक कर रहे डाटा मार्केट में तीन तरह के लोगों के डाटा की अलग-अलग हो रही डिमांड.

आगरा.(ब्यूरो)। सोशल मीडिया पर अपनी प्राइवेसी को लेकर अक्सर साइबर एक्सपर्ट द्वारा लोगों को अवेयर किया जाता है। हाल ही में शहर में पकड़े गए एक कॉल सेंटर द्वारा इसका खुलासा किया गया है कि वह सोशल मीडिया से डाटा चोरी करने के बाद कॉल करके ठगी का शिकार बनाते थे, वहीं दिल्ली और मुम्बई की कंपनी की मिली भगत से हर वर्ग के लोगों का डाटा हैक करते थे। साइबर ठग उनको खरीदकर ठगी में इस्तेमाल करते हैं।

हैकर्स को आसानी से मिल रही पर्सनल डिटेल
सोशल मीडिया पर यूजर्स को अपना अकाउंट अपडेट करने से पहले अपने बारे में पर्सनल डिटेल भी फिल करनी होती है। जिसमें यूजर्स अपनी जन्म तिथि पूरा नाम, बायो, लोकेशन और मेल आईडी, फोन नंबर भी शामिल है, जो यूजर्स को शेयर करना पड़ता है। ऐसे में सक्रिया हैकर्स गैंग, लोगों को लगातार फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं, संपर्क में आने के बाद ही वह आपके बारे में पर्सनल जानकारी हासिल कर लेते हैं। जिसमें यूजर्स का फोन नंबर भी शामिल रहता है। जिसका फायदा बाद में साइबर शातिर उठाते हैं।

शातिर ऐसे हासिल कर रहे यूजर्स की डिटेल
शहर मे अधिकतर लोगों पर स्मार्ट फोन हैं। ऐसे में रोजाना उनके पास चार से पांच कॉल आ रहे हैं, जिसमें होम लोन के साथ क्विज प्रतियोगिता मेें सही जबाव देने वालों को लाखों रुपए के इनाम का झांसा दिया जा रहा है। अधिकतर लोग इस ट्रैप में आसानी से फंस जाते हैं और प्रोसेस को फॉलो करने लगते हैं। इस दौरान उस व्यक्ति का नाम और पर्सनल डिटेल भी सार्वजनिक हो जाती है, फोन कॉल आने का सिलसिला शुरू हो जाता है।


लोअर, मिडिल और हाई प्रोफाईल डाटा की डिमांड
शहर में कई ऐसी छोटी-मोटी कंपनियां हैं, जो समय, समय पर छोटे मोटे कार्यक्रम आर्गेनाइज करती हैं, सेमिनार, फिटनेट एक्टिविटी बढ़-चढ़कर कराई जाती हैं, ऐसे में सक्रिय साइबर शातिर इस तरह के कार्यक्रम कराने वाले आयोजकों से संपर्क कर कार्यक्रम में एंट्री करने वाले लोगों की डिटेल हासिल कर लेते हैं। इस दौरान लोअर क्लास, मिडिल और हाई प्रोफाइल के डाटा को मेंटेन किया जाता है। ऐसे में साइबर ठग इस डाटा को खरीद लेते हैं।

ये भी तरीका अपना रहे शातिर
शातिर साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देने से पहले बाहरी राज्यों का डाटा खरीदते हैं, हाल ही में पिनाहट से पकड़े गए साइबर ठगों द्वारा इसका खुलासा किया गया था, वहीं सॉफ्टवेयर के जरिए एक मैसेज पब्लिक में सर्कुलेट करते हैं, जिसमें क्विज प्रतियोगिता का हवाला दिया जाता है। लिंक को क्लिक करते ही, प्रतियोगी को नाम और मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी फिल करनी होती है। इस तरह आम आदमी का डाटा सार्वजनिक होकर साइबर ठगों तक पहुंच जाता है।

समय-समय पर साइबर एक्सपर्ट के जरिए लोगों को ंअवेयर करने का कार्य किया जाता है। जिसको आप अच्छे से नहीं जानते उसके साथ अपनी पर्सनल डिटेल शेयर न करें, वहीं सोशल मीडिया पर भी अपने बारे में जानकारी को लॉक करें। सावधानी ही बचाव है।
सुल्तान सिंह, साइबर प्रभारी

Posted By: Inextlive