- दिल्ली से आगरा तक किया जाएगा हेरिटेज कॉरिडोर विकसित

- ऐतिहासिक महत्व और मॉन्यूमेंट को किया जाएगा प्रदर्शित

आगरा। यमुना एक्सप्रेस-वे पर हेरिटेज कॉरिडोर विकसित होने से आगरा के टूरिज्म में इजाफा हो सकेगा। इस कॉरिडोर बनने के बाद जहां टूरिस्ट ताजनगरी के प्रति आकर्षित होंगे, वहीं रोजगार के नए अवसर भी मुहैया हो सकेंगे। एक्सप्रेस-वे किनारे कॉरिडोर विकसित करने के साथ टूरिस्ट सुख-सुविधाएं भी बढ़ाई जाएंगी। इसे दिल्ली से आगरा तक बनाया जाएगा, ताकि दिल्ली से आने वाले देशी-विदेशी सैलानी इन शहरों के ऐतिहासिक महत्व को जान सकें। इसे लेकर शासन की ओर से यमुना एक्सप्रेस-वे के सीईओ डॉ। अरुणवीर सिंह को दो महीने में डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

2500 एकड़ में पर्यटन स्थल

हेरिटेज कॉरिडोर को दिल्ली से शुरूकर गौतमबुद्ध नगर, मथुरा, वृंदावन और आगरा तक बनाया जाएगा। इसके अलावा टप्पल से वृंदावन के बीच 2500 एकड़ में पर्यटनस्थल विकसित किया जाएगा। इसे लेकर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने पिछले दिनों यमुना विकास प्राधिकरण की मीटिंग में दो महीने में डीपीआर तैयार करने के निर्देश यमुना एक्सप्रेस-वे के सीईओ डॉ। अरुणवीर सिंह को दिए थे।

यहां बनेगा हेरिटेज कॉरिडोर

गौतमबुद्ध नगर

मथुरा

वृंदावन

आगरा

पीपीपी मॉडल पर बनेगा हेरिटेज कॉरिडोर

यमुना एक्सप्रेस-वे पर हेरिटेज कॉरिडोर पीपीपी मॉडल (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत विकसित किया जाएगा। शहर के हिसाब से वहां के मॉन्यूमेंट, उसका ऐतिहासिक महत्व, शहर की भौगोलिक जानकारी टूरिस्ट एक्सप्रेस-वे पर चलते हुए जान सकेंगे। इसके लिए प्लानिंग तैयार कर साइट का चिह्नांकन किया जा रहा है। इसके अलावा जयपुर के चोखो ढाणी जैसे प्लेस भी विकसित किए जाएंगे।

टूरिस्ट की ये सुविधा भी मिलेंगी

रेस्टोरेंट

होटल

पेट्रोल पंप

एक्सप्रेस-वे की ये योजनाएं, जो फाइलों से बाहर नहीं आ सकीं

- कई वर्ष गुजर जाने के बाद भी यमुना एक्सप्रेस-वे पर ग्रीनरी विकसित नहीं की जा सकी है।

- यमुना एक्सप्रेस-वे पर वन विभाग की अनुमति से 5280 पेड़ों को काटा गया।

- इसके बदले में एक लाख 35 हजार पौधे रोपे जाने का दावा किया गया, लेकिन पौधे नजर नहीं आए।

- एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम ईजाद नहीं हो सका। जिससे धुंध में वाहन चालक सुरक्षित चल सकें।

ताजनगरी भी बननी है हेरिटेज सिटी

ताजनगरी को भी हेरिटेज सिटी बनाया जाना था, लेकिन ये कवायद अभी मौजूदा स्थिति में ठंडे बस्ते में हैं। बता दें,शहर को हेरिटेज सिटी बनाए जाने को लेकर टीम द्वारा सर्वे का काम भी पूरा किया जा चुका है। इसमें यूनेस्को ने 10 मानक निर्धारित कि थे। इसमें 6 मानक संस्कृति के और 4 मानक प्राकृतिक के हैं। इसके अलावा बिल्डिंग हेरिटेज, कल्चर हेरिटेज और प्राकृतिक हेरिटेज शामिल हैं। लेकिन अभी मामला ठंडे बस्ते में हैं।

- 97.16 लाख का प्रोजेक्ट

हेरिटेज सिटी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

- अहमदाबाद की सेप्ट (सेंटर फॉर एंवायरनमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी) यूनिवर्सिटी ने अध्ययन कर रिपोर्ट शासन को सौंपी हैं।

- नगर निगम से 83 लाख रुपये का प्रस्ताव अध्ययन के लिए।

- सेप्ट की टीम ने भौगोलिक स्थिति, ऐतिहासिक इमारतें, सॉलिड वेस्ट, सीवर, नाला, ताज नगरी के मौजूदा संसाधन, हार्वेस्टिंग सिस्टम, ओडीएफ आदि का अध्ययन किया।

- ताज नगरी को मुगलकालीन लुक देने के लिए एक प्राइवेट कंपनी को टेंडरिंग का काम सौंपा गया है।

- फेसेड इंप्रूमेंट ऑफ ट्रेडीशनल हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत कार्य किया गया था। मौजूदा समय में काम ठप है।

हेरिटेज सिटी बनने से ये होगा लाभ

हेरिटेज सिटी बनने से शहर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन के क्षेत्र में इजाफा होने से सिटी में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। हेरिटेज सिटी बनने से शहर के संसाधनों का संरक्षण हो सकेगा। हरियाली का दायरा बढ़ने से पर्यावरण संरक्षण तो होगा ही साथ ही प्रदूषण का ग्राफ कम होगा। यूनेस्को से अतिरिक्त फंड मिलेगा। इससे क्षेत्र का विकास हो सकेगा। यमुना नदी के किनारे स्थित रिवरफ्रंट मुगल गार्डन एवं यमुना नदी के किनारे 24 स्मारकों के क्षेत्र को हेरिटेज की दृष्टि से चिह्नित किया गया था। लेकिन, अभी बात आगे नहीं बढ़ सकी है।

यमुना एक्सप्रेस-वे पर हेरिटेज कॉरिडोर विकसित करने के लिए प्लान तैयार किया जा रहा है। इससे टूरिस्ट को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा टप्प्ल से वृंदावन के बीच हेरिटेज सिटी भी तैयार की जाएगी। इस पर काम चल रहा है।

रितुराज, जनरल मैनेजर, प्लानिंग, यमुना एक्सप्रेस-वे इंडिस्ट्रयल डेवलपमेंट अथॉरिटी

Posted By: Inextlive