राजस्थान के कोटा की तरह ताजनगरी भी कोचिंग की मंडी बन रहा. डिप्रेशन के चलते कंप्टीशन की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स सुसाइड कर रहे हैं. दयालबाग क्षेत्र में नीट की तैयारी कर रहे एक छात्र ने फंदे पर लटक कर जान दे दी. छात्र काफी लंबे समय से डिप्रेशन से जूझ रहे थे.

आगरा। सपनों को बेचने के नाम पर आगरा मौत की मंडी बनती जा रही है। राजस्थान के कोटा की तर्ज पर जिस तरह ताजनगरी में कोचिंग की संख्या बढ़ रही है, उसी तरह ही तनाव में आकर जान गंवाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। शुक्रवार को दयालबाग के सरला बाग में एक छात्र ने सुसाइड कर लिया। वह नीट (नेशनल एजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) की तैयारी कर रहा था। पिछले कुछ समय से उसका डिप्रेशन का इलाज भी चल रहा था।

किराये पर रहकर कर रहा था तैयारी
न्यू आगरा थाना प्रभारी अरबिंद निर्वाल ने बताया कि छात्र जितेंद्र सिंह पुत्र राय सिंह (18) मूलरूप से मैनपुरी की तहसील कुरावली के गांव दुल्लापुर पोस्ट गोपालपुर का रहने वाला था। जितेंद्र इंटरमीडिएट का छात्र था। सरला बाग में किराये पर रहकर नीट की तैयारी कर रहा था। पानी की टंकी की रेलिंग पर फंदे से लटककर उसने खुदकुशी कर ली। शुक्रवार दोपहर करीब ढाई बजे घटना की जानकारी हुई। मकान मालिक चौधरी मोहर सिंह की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच गई। मृतक के चाचा ने बताया कि वह नीट की ऑनलाइन कोचिंग लेकर तैयारी कर रहा था। पुलिस के अनुसार वह डिप्रेशन का शिकार था, उसका इलाज भी चल रहा था।

गले में मिली ईयरफोन की लीड
शुक्रवार दोपहर जब वह रोज की तरह कमरे से बाहर नहीं निकला, तो मकान मालिक उसके कमरे पर गए। उसके गले में मोबाइल के ईयरफोन की लीड लटक रही थी। मकान मालिक ने 112 नंबर पर पुलिस को सूचना दी।


छात्र आगरा में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। परिजन भी मौके पर आ गए हैं।
अरबिंद निर्वाल, इंस्पेक्टर, न्यू आगरा

शहर में सुसाइड की घटनाएं

वर्ष 2014: 12 वीं की छात्रा ने सुसाइड कर लिया। परिजनों ने स्कूल प्रबंधक पर आरोप लगाए कि स्कूल में एक छात्रा द्वारा उसे परेशान किया गया था, कंप्लेन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
वर्ष 2020: हरीपर्वत थाना क्षेत्र की पाश कॉलोनी नेहरू नगर में रहने वाले राजेश शर्मा के बेटे शुभांकर शर्मा ने घर की दूसरी मंजिल पर छत पर गोली मारकर खुदकुशी कर ली।
वर्ष 2021: कमला नगर में दवा कारोबारी धीरेन्द्र सिंह के इकलौते बेटे 19 वर्षीय आर्यन ने फांसी लगा ली। वह नीट की तैयारी कर रहा था, जिससे वह मानसिक तनाव में आ गया।


बच्चों में तनाव के लक्षण को इस तरह पहचानें

1. लगातार नींद न आना
2. बात-बात पर गुस्सा आना
3. नाखून चबाना
4. खाने-पीने में बदलाव
5. चिड़चिड़ापन


अगर कोई बच्चा पढ़ाई का दबाव महसूस करता है, तो अचानक उसके व्यवहार में चेंज आने लगता है। ऐसे में अकेले रहना, किसी से बात नहीं करना, चिड़चिड़ापन और खाने-पीने में बदलाव आता है तो इसे गंभीरता से लें। दोस्त बनकर बच्चे की समस्या को समझें और प्रेशर न बनाएं।
डॉ। पूनम तिवारी, मनोवैज्ञानिक, आरबीएस डिग्री कॉलेज


पेरेंट्स की एक्स्ट्रा एक्सपेक्टेशन सुसाइड का बड़ा रीजन हो सकता है। स्टूडेंट्स नीट की तैयारी कर रहा था। डिप्रेशन की दवा भी चल रही थी। हो सकता है बच्चे ने दवा खाना छोड़ दिया हो, पेरेंट्स को बच्चों के बदलते व्यवहार पर फोकस करना होगा।
प्रो। रचना सिंह, एचओडी, मनोविज्ञान विभाग, आगरा कॉलेज


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पढ़ाई का दबाव बड़ा रहा तनाव
वर्तमान में स्टूडेंट्स के बीच कंप्टीशन लगातार बढ़ रहा है। इस वजह से बच्चे अक्सर परेशान हो जाते हैं। पेरेंट्स भी बच्चों पर सफल होने का दबाव बनाते हैं। इससे बच्चे तनाव का शिकार होते हैं।

जब देश में सुर्खियों में छा गया कोटा
कोचिंग की मंडी बन चुका राजस्थान का कोटा शहर अब आत्महत्याओं का गढ़ बनता जा रहा है। यहां शिक्षा के बजाय सपने बेचने का कारोबार हो रहा है जो मौत में तब्दील हो रहा है। कोटा एक तरफ जहां मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देने के लिए जाना जाता है, वहीं छात्रों की आत्महत्याओं के बढ़ते मामलों को लेकर भी देश में सुर्खियों में रहा।


इतने स्टूडेंट्स ने किया सुसाइड
वर्ष छात्र
2018:::19
2017::: 7
2016::: 18
2015:::: 31
2014::: 45

नोट::कोटा पुलिस की ओर से जारी किए गए आंकड़े।
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कोचिंग से ही मिलता है तनाव!
कोचिंग संस्थान भले ही बच्चों पर दबाव न डालने की बात कह रहे हों लेकिन प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में तैयारी करने वाले बच्चे दबाव महसूस न करें, ऐसा संभव नहीं। कोचिंग में प्रतिदिन डेढ़ या दो घंटे की तीन क्लास लगती हैं। पांच-से छह घंटे कोचिंग में ही चले जाते हैं। कभी-कभी तो सुबह पांच बजे कोचिंग पहुंचना होता है तो कभी कोचिंग वाले अपनी सुविधानुसार दोपहर या शाम को क्लास के लिए बुलाते हैं। एक तय समय नहीं होता जिस कारण एक छात्र के लिए अपनी दिनचर्या के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल हो जाता है।

नहीं पूछ पाते क्वेश्चंस
छात्र अपने लिए पढ़ाई और मनोरंजन की गतिविधियों के लिए एक निश्चित समय निर्धारित ही नहीं कर पाते, जिससे उन पर तनाव हावी होता है। ऊपर से 100-200 बच्चों का एक बैच होता है, जिसमें शिक्षक और छात्र का तो इंटरेक्शन हो ही नहीं पाता। अगर एक छात्र को कुछ समझ न भी आए तो वह इतनी भीड़ में पूछने में भी संकोच करता है। विषय को लेकर उसकी जिज्ञासाएं शांत नहीं हो पातीं और धीरे-धीरे उस पर दबाव बढ़ता जाता है। ऐसे ही अधिकांश छात्र आत्महत्या करते हैं।


मेरा बेटा कोटा में रहकर कंपटीशन की तैयारी कर रहा है। हम लगातार बच्चे से बात करने के साथ इसका भी ध्यान रखते हैं कि किसी प्रकार का कोई प्रेशर न हो बच्चे पर। वह जो चाहे बन सकता है।
गीता सिंह, पेरेंट्स


वर्जन
बेटा एक निजी स्कूल में पड़ रहा है। इसके बाद वह इंजीनियरिंग करना चाहता है। उस पर किसी प्रकार का कोई प्रेशर नहीं है, तैयारी भी अपने अनुसार ठीक करता है। हम उसके साथ दोस्त जैसा व्यवहार करते हैं।
स्वाति मगरानी, पेरेंट्स

Posted By: Inextlive