AGRA: पहले एनआरएचएम के डॉक्यूमेंट्स का सड़कों पर मिलना और अब इनमें आग लग जाना किसी साजिश की तरफ इशारा कर रहा है. सीबीआई के हाथ में जांच आने के बाद से ही सिटी में इन घोटाले के रिकॉड्र्स को खाक करने की प्लानिंग की गई. घोटाले की आंच में कहीं अधिकारी और कर्मचारी झुलस न जाएं इसीलिए इस रिकॉड्र्स को आग के हवाले कर दिया गया. सैटरडे को डिप्टी सीएमओ के पुराने ऑफिस में लगी आग कई तरह के सवाल छोड़ गई है. एक सीएमओ और दो डिप्टी सीएमओ की बलि लेने वाली एनआरएचएम योजना शुरू से ही विवादों में रही. गरीबों के लिए शुरू की गई योजना ही गरीबों से दूर हो गई. गरीबों के हक पर अधिकारियों ने कब्जा कर लिया. पेशेंट्स दवाओं के अभाव में दम तोड़ते रहे और अधिकारी मौज. इन्हीं कारणों के चलते सिर्फ दो साल पुरानी एक्सपायरी डेट की लाखों की मेडिसिंस यहां धूल फांक रही हैं.


रिकार्ड हुए खाक सर्किट हाउस के पास स्थित पुराने डिप्टी सीएमओ ऑफिस में सालों पुराने एनआरएचएम के रिकार्ड रखे हुए थे। मगर, फ्राइडे देर रात इन रिकार्ड रूम में आग लग गई। इससे सभी रिकार्ड खाक हो गए। आग इतनी भयावह थी कि सैटरडे दोपहर 12 बजे तक आग की लपटें कमरों से निकल रही थीं। फायर ब्रिगेड की टीम ने बमुश्किल इस पर काबू पाया। इनमें ईयर 1960 से लेकर अब तक की जननी सुरक्षा योजना, प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य प्रोग्राम, पल्स पोलियो और एनआरएचएम से जुड़े सभी प्रोजेक्ट के रिकार्ड और डॉक्यूमेंट्स शामिल हैं। कैसे लगी आग?


जर्जर हो चुकी इस बिल्डिंग में पिछले कई सालों से बिजली का कनेक्शन नहीं है। सूनसान जगह पर बनी इस पुरानी बिल्डिंग में कोई भी व्यक्ति नहीं जाता है। ऐसे में सवाल है कि यहां आग कैसे लगी होगी? अंदर जाने के लिए बिल्डिंग के मेन गेट और अंदर के किसी भी कमरे में लॉक नहीं था।सिर्फ रिकार्ड में ही आग क्यों?

इस बिल्डिंग में हेल्थ डिपार्टमेंट का और भी सामान रखा हुआ है। इसमें लिटरेचर, स्टेशनरी, मेडिसिंस और सर्जिकल इक्विपमेंट्स शामिल हैं। मगर आग सिर्फ उन कमरों में लगाई गई है, जहां पर एनआरएचएम से जुड़े रिकार्ड्स रखे हुए थे। आग में बाकी सामान पूरी तरह से सेफ है और सिर्फ वे रिकार्ड खाक हुए हैं, जिनकी जांच करने के लिए कुछ महीने पहले सीबीआई की टीम यहां आई थी। ये रही चर्चादरअसल, एनआरएचएम की जांच के चलते कई डिस्ट्रिक्ट के सीएमओ को लखनऊ मुख्यालय से अटैच्ड कर दिया गया है। इनमें आगरा के सीएमओ डॉ। रामरतन भी शामिल थे। उनके जाने के बाद अचानक हुए इस हादसे का रुख दूसरी तरफ मुड़ता दिख रहा है। जांच की आशंका के चलते खुद ब खुद आग लगवाए जाने की संभावना दिख रही है।  इन दवाओं का क्या फायदा?जहां एनआरएचएम के रिकार्ड रखे हुए थे, वहीं लाखों की आयरन टेबलेट्स, मल्टीविटमिन और कॉस्टली इंजेक्शन धूल फांक रहे हैं। ज्यादातर मेडिसिंस 2010 की एक्सपायरी डेट की हैं। यहां पर कई कमरे इन सभी मेडिसिंस और इंजेक्शन से भरे हुए हैं।अब तक क्यों नहीं बांटे?

लाखों रुपए की दवाएं यहां पर स्टोर की गई, ताकि जरूरत पर इनका इस्तेमाल किया जा सके। लेकिन, घोटाले की पटकथा लिखने वाले अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये इंजेक्शन और मेडिसिंस एक्सपायर हो गए। इसमें बच्चों की सीरप से लेकर पैरासीटामोल और लाइफ सेविंग इंजेक्शन भी शामिल हैं। अगर, इन मेडिसिंस को सभी पीएचसी और सीएचसी पर टाइम से मरीजों को बांट दिया जाता तो शायद कई जिंदगियां बच सकती थीं। बॉक्स में लगाएं सील पैक इक्विपमेंट्स भी बेकारयहां पर लाखों की कीमत के ओटी में यूज होने वाले सर्जीकल इक्विपमेंट्स भी धूल फांक रहे हैं। ऑपरेशन थियेटर में यूज होने वाली लाइट भी सील पैक खराब हो रही है। वैक्सीन की कोल्ड चेन मेंटेन करने के लिए यूज होने वाले कोल्ड बॉक्स भी परचेज करने के बाद खुले तक नहीं हैं। यह भी कार्टन अपने यूज होने का इंतजार कर रहे हैं।फर्नीचर भी नहीं खोलाहेल्थ डिपार्टमेंट के पास मेडिसिंस के साथ-साथ फर्नीचर और स्टेशनरी के लिए भी लाखों का बजट आता है। मगर, यहां पर पैक रखी कुर्सी और अन्य फर्नीचर कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। पंखे, कुर्सी और कई अलमारी ऐसी हैं, जिनका आज तक इस्तेमाल ही नहीं किया गया। जन्म और मृत्यु रजिस्टर और अन्य स्टेशनरी भी बंधी हुई रखी हैं। यह रजिस्टर हुए खाक- - जननी सुरक्षा योजना के पेमेंट रिकार्ड - कांट्रेक्ट नियुक्ति रिकार्ड - डेथ और बर्थ एंट्री रजिस्टर - सेलरी रजिस्टर - फर्नीचर और स्टेशनरी पेमेंट रजिस्टर - मेडिसिंस परचेजिंग बिल - एएनएम पेमेंट रजिस्टर  मिले थे डॉक्युमेंट़
लास्ट ईयर एक अगस्त को होटल जेपी के सामने स्थित सौ फुटा रोड पर एनआरएचएम के सभी प्रोजेक्ट्स की ऑरिजनल पेमेंट स्लिप पड़ी हुई मिलीं थीं। इसमें आशा वर्कर्स द्वारा जिन पीएचसी और सीएचसी पर एनआरएचएम के तहत जितने काम किए गए और उनको प्रत्येक डिलीवरी और नसबंदी का कितना पेमेंट किया गया है, इनके डॉक्यूमेंट्स भी रोड किनारे पड़े मिले थे। इसमें खेरागढ़, खंदौली, गिजरौली, फतेहाबाद और अन्य पीएचसी सेंटर के पेमेंट स्लिप शामिल थे। इसमें ईयर 2008 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में डिस्ट्रिक्ट हेल्थ सोसाइटी के इम्युनाईजेशन के किए गए पेमेंट की खाता संख्या 30158005234 की ऑरीजनल कॉपी भी कूड़े के ढेर में पड़ी मिली थीं।

Report by- APARNA SHARMA ACHARYA

Posted By: Inextlive