-घर के अन्य सदस्यों के साथ न शेयर करें वायरल लोड

-घर में डेली डिसइंफेक्शन करने की जरूरत

-331 पेशेंट्स होम आइसोलेशन में हैं जनपद में इस वक्त

आगरा। कोविड-19 का संक्रमण काफी तेज है और इसकी प्रकृति लगातार बदल रही है। ऐसे में इससे बचाव के लिये उपायों का ठीक से पालन करना जरूरी है। होम आइसोलेशन में उपचार करा रहे पेशेंट्स के लिये ये जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसा नहीं कि आप संक्रमित हो गये तो बचाव करना छोड़ दें। यदि आप होम आइसोलेशन में हैं तो घर का वायरल लोड मिनिमम रखने की जरूरत है। क्योंकि, जब घर में वायरल लोड कम होगा तो घर के अन्य सदस्यों को कम खतरा होगा और पेशेंट भी जल्दी रिकवर होगा। इसके साथ ही होम आइसोलेशन के दौरान पेशेंट और उसके अटेंडेंट को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।

क्यों वायरल लोड को कम करना जरूरी

होम आइसोलेशन के दौरान जब पेशेंट संक्रमित होता है तो उसके मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स के जरिये घर में संक्रमण कई जगह फैलता है। इससे घर का वायरल लोड बढ़ता है। इसलिये घर को लगातार साफ करना चाहिए। कम से कम दिन में दो बार डिसइंफेक्ट करना जरूरी है, ताकि घर का वायरल लोड कम हो और घर के अन्य सदस्यों को संक्रमण से बचाया जा सके। आमतौर पर पेशेंट को घर में मास्क पहनकर ही रहना चाहिए, लेकिन वो कमरे में अकेला रहता है तो मास्क हटा सकता है। लेकिन घर में डिसइंफेक्शन होना जरूरी है।

घर के दूसरे सदस्यों से वायरल लोड शेयर न करें

कोरोनावायरस का संक्रमण प्रत्येक व्यक्ति में कम या ज्यादा हो सकता है। यानि किसी में वायरल लोड कम हो सकता है तो किसी में वायरल का लोड काफी ज्यादा भी हो सकता है। ऐसे में घर में एक से ज्यादा संक्रमित हैं या सभी सदस्य संक्रमित हैं और होम आइसोलेशन में रह रहे हैं तो वे एक दूसरे से वायरल लोड शेयर न करें। जब हम होम आइसोलेशन के दौरान सावधानी नहीं बरतेंगे तो एक-दूसरे को अपना वायरल लोड ट्रांसफर करते रहेंगे। इसलिये घर के भीतर मास्क पहनकर रखें। क्योंकि किसी सदस्य में वायरल लोड कम है और उसकी इम्युनिटी ज्यादा अच्छी है तो वो जल्दी रिकवर हो सकता है। इसलिये घर में लगातार डिसइंफेक्शन करते रहें और मास्क पहनकर रहें। हो सके तो अलग-अलग कमरों में ही रहें।

इन बातों का रखें ध्यान

-घर में मास्क लगाकर ही रहें

-खिड़की दरवाजे खोलकर रखें

-घर में दिन में दो बार डिसइंफेक्शन अवश्य करें

-वॉशरुम को खुद साफ करें

-कपड़े भी रोज बदलें

-रोज नहाएं

इन बातों का भी अवश्य रखें ध्यान

दिन में दो बार (सुबह और रात) या कभी भी पेशेंट को बुखार महसूस होता है तो पेशेंट बुखार जरूर जांचे।

पेशेंट थर्मामीटर से अपना तापमान लें। आश्रित पेशेंट के मामले में , अटेंडेंट तापमान चेक कर सकते हैं। तापमान जांचने से पहले और बाद में मास्क और डिस्पोजेबल ग्लव्स का प्रयोग करें और हाथ धोयें।

पेशेंट प्रतिदिन अपनी पल्स दिन में 2 बार एक मिनट के लिए जांचे। जांच के बाद तापमान , पल्स रेट और कोई अन्य लक्षण को- मरीज द्वारा संलग्न प्रपत्र पर समय और तारीख के साथ नोट किया जाना है तथा चेक-अप के लिए आने वाले रोजाना ?ोन कॉल पर हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम को अवश्य बताएं।

अगर मरीज का तापमान 100? स्न (37.8? ष्ट) से ज्यादा हो या पल्स 100 बीट्स प्रति मिनट से अधिक हो तो तुरंत कंट्रोल रुम को सूचना दें।

सांस लेने में कठिनाई, छाती में लगातार दर्द या दबाव, होंठो/ चेहरे का नीला पड़ जाना पर तुरंत कंट्रोल रुम को सूचना दें।

वर्जन

होम आइसोलेशन के दौरान पेशेंट्स को ज्यादा सुरक्षित रहने और सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि यहां पर वे सीधे डॉक्टर की निगरानी में नहीं है। इसलिये उन्हें घर में आइसोलेट रहने के दौरान घर के सदस्यों से दूर रहने या मास्क पहन कर रहने की जरुरत है। घर को दिन में कम से कम दो बार डिसइंफेक्ट करने की जरूरत है। ताकि घर का वायरल लोड भी मिनिमम रह सके। घर के खिड़की दरवाजे खुला रखे ताकि फ्रेश एयर अंदर आ सके। अन्य कोई परेशानी होने पर तुरंत कंट्रोल रुम से संपर्क करें।

-डॉ। प्रशांत गुप्ता, एसएनएमसी

Posted By: Inextlive