-फिरोजाबाद, मथुरा और आगरा में ज्यादातर मरीजों में डेंगू, स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस की हुई पुष्टि

-आगरा में ज्यादातर मरीजों में डेंगू के लक्षण, कोरोना की तरह कई वैरिएंट की हुई पड़ताल

आगरा: केंद्र सरकार ने फिरोजाबाद और मथुरा में बच्चों में वायरल बुखार के बढ़ते मामले को देखते हुए हाई लेवल कमेटी भेजी जिसमें जांच में पाया कि अधिकांश मामले डेंगू के हैं जबकि कुछ स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस के हैं। जबकि आगरा में अब मिल रहे मरीजों में डेंगू के लक्षण मिल रहे हैं। कोरोना की तरह डेंगू के 4 वैरिएंट की पहचान हो गई है। फिलहाल आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा समेत आसपास के जनपदों में मरीजों की संख्या में रोजाना इजाफा हो रहा है और रहस्यमयी बुखार का रहस्य और गहराता जा रहा है।

केंद्र सरकार की टीम ने की पड़ताल

फिरोजाबाद में बच्चों में वायरल बुखार के बढ़ते मामले को देखते हुए हाल में केंद्र सरकार ने हाई लेवल कमेटी भेजी थी। जिसमें नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और नेशनल वेक्टर ब्रोन डिजीज प्रोग्राम की टीम भेजी थी। फिरोजाबाद गई केंद्रीय टीम ने जांच में पाया कि फिरोजाबाद में अधिकांश मामले डेंगू के हैं, जबकि कुछ स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस के हैं। जिसके बाद केंद्रीय टीम ने अपनी रिपोर्ट के साथ रोकथाम के लिए कुछ प्रदेश सरकार को कई बिंदुओं पर सलाह दी थी।

-बुखार वाले सभी मरीजों की डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस की जांच जाए।

-एलिसा आधारित परीक्षण सुविधाओं को मजबूत करने की जरूरत है।

-फिरोजाबाद और आसपास के जिलों के जिला अस्पताल में आइसोलेशन बेड और दाखिले की सुविधाएं बढ़ाई जाए।

-डेंगू, स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस के प्रबंधन के लिए हाल के दिशा-निर्देशों पर फिरोजाबाद और पड़ोसी जिलों के पीएचसी, सीएचसी और जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में सभी डॉक्टरों का एक संक्षिप्त रीओरिएंटेशन आयोजित करें।

-इस उद्देश्य के लिए केजीएमयू और इसी तरह के संस्थानों के संक्रामक रोगों के विशेषज्ञों की सेवाओं का उपयोग किया जा सकता है।

-जिला प्रशासन द्वारा आईईसी गतिविधियों को तेज करने की जरूरत।

स्क्रब टाइफस:

बुखार के साथ सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सांस फूलना, खांसी, उल्टी शरीर पर चकत्ते भी हो सकते हैं।

इस तरह फैलता है: चूहे, छछूंदर, गिलहरी सहित कई पशुओं के शरीर पर पिस्सु सहित अन्य परजीवी कीट पाए जाते हैं। ये जब स्वस्थ व्यक्ति को काटते हैं तो इनकी लार के माध्यम से बैक्टीरिया (ओरियंटा सुसुगमुसी) शरीर में पहुंच जाता है। इस बैक्टीरिया से संक्रमित होने के सात से 10 दिन बाद लक्षण आते हैं।

लेप्टोस्पाइरोसिस: बुखार के साथ सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द

इस तरह फैलता है: पशुओं पर रहने वाले परजीवी के गुर्दे में लेप्टोस्पाइरा इंटेरोगन्स बैक्टीरिया होता है, पशुओं के पेशाब से यह बैक्टीरिया मिट्टी में आ जाता है। शौच करते समय बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं तो शरीर में पहुंच जाता है। 15 से 20 दिन बाद लक्षण आते हैं।

डेंगू हैमरेजिक बुखार: यह सामान्य डेंगू बुखार जैसा ही होता है, लेकिन डेंगू रक्तस्त्रावी बुखार में रोगी के शरीर के कई हिस्सों से खून आने लग जाता है, जिससे वह बहुत घबरा जाता है। और इसलिए यह समस्या बहुत ही गंभीर दिखाई देती है।

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डेंगू के मिले 4 वैरिएंट

कोरोना वायरस की तरह डेंगू के भी चार वैरिएंट (सीरोटाइप) हैं। इस बार फिरोजाबाद, मथुरा, मैनपुरी, आगरा में अलग वैरिएंट से डेंगू का संक्रमण फैलने की आशंका है। 10 दिन में आगरा एवं आसपास के जनपदों में डेंगू सहित अन्य बुखार से 100 से अधिक मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें बच्चों की संख्या अधिक है।

समझें डेंगू को

कोरोना की तरह डेंगू भी वायरल (फ्लेविवायरस) संक्रमण है। यह मादा एडीज एजिप्टी (स्वच्छ पानी में पनपने वाला मच्छर) से फैलता है। एसएन मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के अध्यक्ष डॉ। अंकुर गोयल ने बताया कि डेंगू वायरल के चार सीरोटाइप हैं। डीईएनवी (डीवी) वन, टू, थ्री और फोर।

डीवी थ्री है खतरनाक

एसएन मेडिकल कालेज के डेंगू के नोडल अधिकारी डॉ। मृदुल चतुर्वेदी ने बताया कि इसमें भी डीवी थ्री ज्यादा घातक है। डीवी वन और फोर में तेज बुखार, प्लेटलेट काउंट कम होना और शरीर में दर्द होता है। डीवी टू में तेज बुखार के साथ इंटरनल ब्ली¨डग होने पर शरीर पर चकत्ते पड़ सकते हैं। मगर, डेंगू थ्री में डेंगू हैमरेजिक फीवर में ब्ली¨डग (नाक, पेट, दिमाग, मसूड़े से रक्तस्राव) होने लगती है। प्लेटलेट काउंट कम हो जाती है। गुर्दा सहित शरीर के अन्य अंग प्रभावित होने लगते हैं और मौत हो जाती है।

होगी जीनोम सिक्वेंसिंग

एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रो। डॉ। प्रभात अग्रवाल ने बताया कि इस बार फीरोजाबाद, मथुरा, मैनपुरी, आगरा में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और मौत हो रही हैं। यहां डीवी टू और थ्री से संक्रमण फैलने की आशंका है, यह डेंगू मरीज के सैंपल की जीनोम सिक्वें¨सग के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। डेंगू संक्रमित बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती को ज्यादा खतरा है।

दूसरी बार नए वैरिएंट से संक्रमित होना घातक

एसएन मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। आशीष गौतम ने बताया कि डेंगू वायरस से संक्रमित होने पर एंटीबाडीज बन जाती हैं। ये एक ही वैरिएंट के लिए होती हैं। ऐसे में पहले कभी डेंगू से संक्रमित हो चुके हैं और अब दूसरी बार नए वैरिएंट से संक्रमित हुए हैं तो डेंगू हैमरेजिक फीवर की आशंका रहती है। यह ज्यादा घातक है। सही समय पर उपचार मिलना जरूरी है।

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48 घंटे ज्यादा खतरनाक

डेंगू वायरस से संक्रमित होने के तीन से चार दिन बाद बुखार आता है। तेज बुखार के साथ आंख और सिर के आसपास दर्द होता है। बुखार तीन से पांच दिन में ठीक हो जाता है। इसके बाद के 48 घंटे ज्यादा खतरनाक होते हैं। प्लेटलेट काउंट कम होने के साथ ही खून गाढ़ा हो जाता है, इसलिए फ्लूइड अधिक दिया जाता है। सात से 10 दिन में मरीज ठीक हो जाता है। डेंगू के लिए कोई एंटी वायरल नहीं है, मरीज के लक्षण को देखते हुए दवा दी जाती है।

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मरीजों में अधिकांश मामले डेंगू के हैं जबकि कुछ स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस के अलावा कई अन्य वेक्टर वार्न डिजीज पहचान में आए हैं। सेंट्रल टीम के निर्देश पर ट्रीटमेंट और अवेयरनेस के कार्य चल रहे हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट की टीमें घर-घर जाकर एंटी बायोटिक और पैरासिटामॉल दे रही हैं।

-डॉ। दिनेश कुमार प्रेमी, सीएमओ, फिरोजाबाद

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आगरा में अब तक मिले ज्यादातर मरीजों में डेंगू के सिम्प्टम्स मिले हैं। इसके वैरिएंट की जीनोम सिक्वेसिंग के लिए सैंपल लखनऊ भेजे जा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में सभी डिपार्टमेंट को अलर्ट कर दिया गया है। पेसेट के लिए जांच एवं उपचार को पूरा बंदोबस्त है।

-प्रो। नीरज यादव, सीएमएस, एसएन मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive