जेल में मोबाइल व इंटरनेट से संबंधित कोई डिवाइस अब बंदियों के पास मिलती है तो उन्हें पांच साल तक की सजा होगी. साथ ही 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया जाएगा. प्रभारी डीआइजी कारागार मंडल आगरा ने जेल अधीक्षकों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं. जेल परिसर के अंदर व बाहर इस जानकारी को चस्पा कराने की कहा है.

आगरा (ब्यूरो)। जेल अधिनियम 1894 का है। उस समय मोबाइल या इंटरनेट जैसी कोई सुविधा नहीं थी। इससे इस मामले में सजा का कोई प्रावधान भी नहीं था। राज्य सरकार ने इस वर्ष जेल अधिनियम 1894 की धारा 42 व 43 में संशोधन कर इस मामले में बंदियों के लिए सजा का प्रावधान किया है।

जेल में इन डिवाइस पर है प्रतिबंध
सिम, मोबाइल, वाई-फाई, ब्लूटूथ, निकट क्षेत्र संचार (एनएफसी), टैबलेट, वैयक्तिक कंप्यूटर, कंप्यूटर, लैपटाप, पामटाप, इंटरनेट, जनरल पैकेट रेडियो सर्विस, ईमेल, शार्ट मैसेज सर्विसेज (एसएमएस), मल्टीमीडिया मैसेज सर्विस (एमएमएस) या अन्य डिवाइस जिन्हें बाहरी दुनिया से संपर्क करने या किसी प्रयोजन के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।

" मंडल की सभी जेलों को इस बारे में दिशा-निर्देश दिए गए हैं। एक्ट में सजा व जुर्माने से संबंधित जानकारी कारागार परिसर के अंदर व बाहर अंकित करने को कहा गया है। इससे बंदियों व मुलाकातियों को इसकी जानकारी हो सकेगी। "
- वीके ङ्क्षसह, प्रभारी डीआईजी कारागार, आगरा

Posted By: Inextlive