आगरा। यमुना फ्लड जोन क्षेत्र में एनजीटी की चौतरफा मार पड़ी है। चाहे फिर बिल्डर हों, प्रॉपर्टी डीलर या फिर ग्राहक, सभी एनजीटी के निर्णय के बाद परेशान हैं। सारा कारोबार चौपट हो गया है। बिल्डरों की साख पर बन आई हैं। प्रोजेक्ट्स का क्या होगा यह निर्णय आने के बाद ही पता चल सकेगा। हालात ये हैं कि दयालबाग एरिया में रीयल एस्टेट का कारोबार चौपट हो गया है।

कॉस्टिंग भी नहीं निकली

बिल्डर क्या करें? दयालबाग में बनाए प्रोजेक्ट्स में उनकी कॉस्टिंग भी अभी तक नहीं निकल सकी है। एनजीटी के डंडे के बाद दयालबाग क्षेत्र में कोई भी इन्वेस्ट करने को तैयार नहीं है। हालात ऐसे हैं कि बिल्डर व प्रॉपर्टी डीलर्स हाथ पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं। एनजीटी के नए आदेशों के बाद बिल्डरों अब यमुना डूब क्षेत्र में किसी प्रकार की खरीद-फरोख्तनहीं कर सकेंगे।

फ्लैट्स का एडवांस वापस लेने पहुंच रहे हैं लोग

एनजीटी के डंडे के बाद लोग अब दयालबाग क्षेत्र में बनीं बहुमंजिला इमारतों में फ्लैट खरीदना पसंद नहीं कर रहे हैं। जिन लोगों ने इन बिल्डिंगों में फ्लैट्स बुक कराए हैं, वे अब एडवांस वापस मांग रहे हैं। ग्राहकों ने जिन प्रॉपर्टी डीलरों के माध्यम से फ्लैट्स बुक कराए थे, उनसे एडवांस वापस दिलाए जाने को कह रहे हैं। इस स्थिति में प्रॉपर्टी डीलरों की भी परेशानी बढ़ गई है। बिल्डर एडवांस वापस करने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि वे सारा पैसा निर्माण में इन्वेस्ट कर चुके हैं, कहां से पैसा वापस किया जाए।

30 लाख के फ्लैट्स को 25 लाख में बेचने को भी तैयार

एनजीटी के डंडे के बाद ग्राहक भयभीत हैं। जिन लोगों ने संभावित यमुना डूब क्षेत्र में फ्लैट्स खरीदे थे, वे अब हर हाल में उन्हें बेचना चाहते हैं। इसके लिए वे प्रॉपर्टी डीलरों से संपर्क भी कर रहे हैं। तीस लाख में खरीदे गए फ्लैट्स को अब वे मात्र पच्चीस लाख रुपये में बेचने को तैयार हैं, लेकिन एनजीटी के आदेश है कि अगली सुनवाई तक कोई भी खरीब-फरोख्त इन फ्लैट्स में नहीं की जा सकेगी। ऐसे में ग्राहक भी चौतरफा मार झेल रहा है।

भविष्य पर भी मंडराया खतरा

एनजीटी ने बिल्डरों के भविष्य पर सवाल खडे़ कर दिए हैं। कई बिल्डरों के प्रोजेक्ट्स अधूरे पडे़ हुए हैं, तो कई पूर्ण हो चुके हैं। अगर एनजीटी का कोई ऐसा फैसला आ जाता है, जिससे प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सके तो, यह बिल्डर की साख खराब करेगा। साथ ही उन ग्राहकों का क्या होगा जिन्होंने अपनी जिदंगी की पूरी कमाई फ्लैट को लेने में लगा दी।

इनका क्या था दोष?

आज जो ये सवाल खडे़ हो रहे हैं, आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है। क्या बिल्डर जिम्मेदार हैं या फिर, एडीए, सिंचाई विभाग, राजस्व विभाग, जल निगम, पर्यावरण विभाग। कहीं न कहीं पर ये सभी विभाग दोषी हैं। लेकिन इसमें वो लोग कहां जिम्मेदार हैं, जिन्होंने यहां पर फ्लैट्स खरीदे हैं या फिर बुक कराएं हैं। हर व्यक्ति खरीदने व बुककराए जाने से पहले एडीए का एप्रूवल ही देखता है। सभी विभागों की एनओसी नहीं देखता। इतनी जानकारी ग्राहक में नहीं होती कि वो हर कागज-पत्र चेक करे।

कर रहे हैं हंगामा

एनजीटी के आए निर्णय के बाद वे लोग प्रॉपर्टी डीलरों के यहां पर हंगामा कर रहे हैं। वे पूछ रहे है कि उन्हें कहां पर फंसा दिया है। एडवांस वापस दिलाए जाने की जिद कर रहे हैं। यहीं नहीं प्रॉपर्टी डीलरों को उनकी कार्यालय पहुंचकर खरी-खोटी सुना रहे हैं। प्रॉपर्टी डीलरों से कह रहे हैं कि उनके साथ विश्वासघात किया गया है।

किसी हालत में समय पर नहीं मिल सकेगा पजेशन

एनजीटी के आदेश के बाद बिल्डरों के सामने समय पर पजेशन देने की चुनौती है। कोई भी ग्राहक पजेशन की निर्धारित तिथि के बाद क्यों पजेशन लेगा। जिन्होंने फ्लैट्स बुक कराए हैं, उन्हें फ्लैट्स में शिफ्ट होना बेसब्री से इंतजार है। लेकिन एनजीटी ने निर्माण कार्य पर लगाई रोक के बाद समय पर पजेशन देना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो सकता है।

Posted By: Inextlive