साइबर सेल की टीम यूजर और सब्सक्राइबर बनकर साइबर शातिरों के नेटवर्क तक पहुंची. सब्सक्रिप्शन लेकर बैङ्क्षटग पर रकम लगाई. उन्होंने देखा कि प्लेटफार्म पर लोग धड़ाधड़ रकम लगा रहे थे और कुछ ही देर में रकम लाखों से 100 करोड़ रुपए तक पहुंच रही थी. इसके बाद टीम ने इन साइट और एप से जुड़े खातों की रकम पर नजर रखी. कुछ ही दिनों में पुलिस को सारा खेल समझ में आ गया.

आगरा(ब्यूरो)। पुलिस आयुक्त डॉ। प्रीङ्क्षतदर ङ्क्षसह ने बताया, बैङ्क्षटग साइट और एप के माध्यम से विश्वकप के नॉकआउट मैचों पर भी रकम लगाई जा रही थी। फ्रीज कराए गए खातों में 25 लाख से 27 करोड़ रुपए तक की जमा-निकासी हुई थी। रकम दो से तीन दिन में निकाल ली जाती थी। इसके बाद इन खातों को बंद कर दिया जाता था। करोड़ों की जमा-निकासी के लिए चालू खातों का प्रयोग किया जाता था।

ब्लॉक कराए 27 ऑनलाइन प्लेटफार्म
पुलिस आयुक्त डॉ। प्रीङ्क्षतदर ङ्क्षसह ने बताया, स्टार इंडिया कंपनी के अधिकृत हाट स्टार लाइव कंटेंट, लाइव गेम एक थर्ड पार्टी एप एकबैट और वेब पोर्टल के माध्यम से ग्राहकों को दिखाए जाते थे। इस संबंध में शाहगंज थाने में जून 2023 में मुकदमा दर्ज किया गया था। साइबर सेल ने इसकी छानबीन शुरू की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। विदेशी सर्वर (चीन, फिलीपींस, रूस और वियतनाम) के जरिए पूरा खेल चल रहा था। अवैध बैङ्क्षटग-गेङ्क्षमग एप भी संचालित किए जा रहे थे। इस मामले में पूर्व में तीन आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेजा गया था। जांच में पता चला कि इस तरह की 27 अवैध साइट चल रही हैं। यह सभी साइट ऑनलाइन बैङ्क्षटग और गेङ्क्षमग करा रहीं थीं।

पुलिस ने 38 हजार करोड़ रुपए की ठगी से बचाया
पुलिस आयुक्त ने बताया कि इसकी जानकारी गृह मंत्रालय को भेजने के साथ सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को सूचना दी गई। इसके बाद इन साइट और एप को ब्लॉक करा दिया गया है। छह हजार बैंक एकाउंट फ्रीज कराए गए। वहीं फ्रीज कराए गए 19 हजार से अधिक वर्चुअल खातों से एक साल के दौरान 1600 करोड़ रुपए जमा-निकासी हुई है। इन खातों से 15 लाख भारतीयों के जुड़ा होने का अनुमान है। एक साल की जमा-निकासी को देखते हुए पुलिस का अनुमान है कि 38 हजार करोड़ रुपए की ठगी से बचाया गया है।

बैङ्क्षटग साइट और आभासी खातों का डाटा जुटाना आसान नहीं है। एक बैंक खाते से अनगिनत वर्चुअल या आभासी खाते खोले जा सकते हैं। इसी तरह साइबर अपराधी एक बैङ्क्षटग साइट या एप को बंद करके दूसरी बना लेते हैं। उनका पूरा डाटा ट्रैस किया जा रहा है।
डॉ। प्रीतिंदर सिंह, पुलिस कमिश्नर

जांच में मिले महत्वपूर्ण तथ्य
-शातिर एक वेबसाइट या एप को छह से सात महीने तक ही चलाते थे। लालच में आकर जब लोग बड़ा दांव लगाने और बड़ी रकम जमा हो जाती तो वेबसाइट बंद कर देते थे।
-ऑनलाइन गेङ्क्षमग और बैङ्क्षटग एप पर सारा लेनदेन यूपीआई से होता था।
-यस बैंक, आइसीआइसीआइ बैंक, एचडीएफसी बैंक, आइडीएफसी फस्र्ट बैंक, इंडसइंड बैंक आदि में खाते खुलवाते थे।
-भारतीय मुद्रा में जमा रकम को विदेश में भेजने के लिए क्रिप्टो करेंसी में बदलते थे। इसके लिए छोटे एक्सचेंज का प्रयोग करते थे।
-शातिर इसके लिए दूसरे लोगों के नाम खाते खुलवाते थे। खाता खुलवाने वाले एजेंटों को तीन प्रतिशत, सब एजेंट को प्रति खाता 50 हजार रुपये और खाता धारक को 15 से 25 हजार रुपये तक दिया जाता था।

Posted By: Inextlive