आगरा: लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले नकली दवा के सौदागर अब बच नहीं पाएंगे। शहर में तेजी से फलफूल रहे इस अवैध कारोबार की कमर तोड़ने के लिए एडीजी राजीव कृष्ण ने खुद प्लान तैयार किया है। उन्होंने एसएसपी से नकली दवा कारोबार से जुड़े सभी मामलों की इंवेस्टिगेशन एएसपी को सौंपने को कहा है। इससे जहां इंवेस्टिगेशन में तेजी आएगी, वहीं नकली दवा का गैंग चलाने वाले माफिया की पहचान भी उजागर हो सकेगी।

जुटाए जाएंगे प्रॉपर एविडेंस

आगरा जोन का चार्ज संभालने के साथ ही नकली दवा के प्रकरण को एडीजी राजीव कृष्ण ने अपनी प्रॉयरिटी में शामिल किया था। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की तह तक जाने के लिए इस पर वर्कआउट भी शुरू कर दिया है। बुधवार को इस संबंध में एडीजी ने पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें नकली दवा से जुड़े मामलों में अब तक पुलिस कार्रवाई और इंवेस्टिगेशन के स्टेटस के बारे में एडीजी को अपडेट दिया गया। साथ ही कई अहम जानकारियां भी सामने निकलकर आईं। इस पर एडीजी ने निर्णय लिया कि इस पूरे मामले की जांच किसी एक अधिकारी को सौंपी जाए। जिससे इंवेस्टिगेशन में तेजी लाई जा सके, इसके साथ ही दवा माफिया के खिलाफ प्रॉपर एविडेंस जुटाकर स्ट्रॉन्ग केस तैयार किया जा सके। उन्होंने एसएसपी बबलू कुमार को नकली दवा से जुड़े सभी मामलों की इंवेस्टिगेशन एएसपी को सौंपने के निर्देश दिए।

हेल्थ इश्यूज पर गंभीरता

एडीजी ने बताया कि पब्लिक हेल्थ से जुड़े इश्यूज को पुलिस गंभीरता से लेगी। पब्लिक हेल्थ से जुड़े जिन इश्यूज में पुलिस को पॉवर है, उनमें एक्शन लिया जाएगा। एक्सपायरी दवा की री-पैकिंग और प्रतिबंधित दवाओं (शिड्यूल एक्स टाइप) की बिक्री कर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। अवैध दवाओं का कारोबार करने वालों के लाइसेंस व अन्य लेनदेन के मामलों पर कार्रवाई उससे संबंधित विभाग के अधिकारी करेंगे।

अब तक क्या होता था?

शहर के विभिन्न एरियाज में नकली दवा के कारोबार का भंडाफोड़ हो चुका है। अब तक जिस थाना क्षेत्र में नकली दवा का अवैध कारोबार पकड़ा जाता था, वहां के स्थानीय थाने में मुकदमा दर्ज किया जाता था। संबंधित विभाग के साथ स्थानीय थाना पुलिस अधिकारी मामले की जांच करते थे। दवा माफिया इसी का फायदा उठाते थे। एक एक थाना क्षेत्र को छोड़ कुछ दिनों बाद दूसरे में सक्रिय हो जाते थे।

अब क्या होगा?

शहरभर में कहीं भी नकली दवा का अवैध कारोबार पकड़ा जाए, लेकिन मामले की इंवेस्टीगेशन एएसपी करेंगे। इससे अब तक पुलिस से आंख-मिचौली करने वाले दवा माफिया पुलिस की नजर से नहीं बच सकेंगे। माफिया अब थाना बदले या फिर शहर वह पुलिस की नजर से नहीं बच सकेंगे।

क्या फायदा होगा?

सेंट्रलाइज्ड इंवेस्टीगेशन होगी तो एविडेंस को अच्छे से जुटाजा जा सकेगा। साथ ही नकली दवा से जुड़े पूरे सिंडिकेट की गहराई तक जाने में आसान होगी। एडीजी राजीव कृष्ण ने बताया कि किसी भी मामले में इंवेस्टिगेशन का अहम रोल होता है। हर छोटी-बड़ी इंफॉर्मेशन को कलेक्ट किया जाता है। इंवेस्टीगेशन के दौरान ही एविडेंस जुटाए जाते हैं। जो आरोपी को सजा दिलाने और केस को अंजाम तक पहुंचाने में अहम साबित होते हैं।

क्यों पड़ी जरूरत

हाल ही में नशीली दवाओं के साथ नकली दवाओं का आगरा में भंडाफोड़ हुआ। प्रतिबंधित नशीली दवाओं की सप्लाई के मामले में पंजाब पुलिस ने आगरा में छापेमारी की थी। कई लोगों को भी पकड़ा था। एक्सपायरी की दवा पकड़ी गईं।

जरूरत पड़ने पर टीम भी बनेगी

एडीजी ने बताया कि अभी एएसपी को जांच सौंपी गई है। जरूरत पड़ने पर टीम भी बनाई जाएगी। सिर्फ आरोपियों को नहीं पकड़ना है, बल्कि नकली दवा के पूरे सिंडिकेट को एक्सपोज करना है। इसके लिए प्रॉपर इंवेस्टीगेशन जरूरी है। जिसमें नकली दवा के इस सिंडिकेट के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा स्ट्रॉन्ग एविडेंस जुटाए जा सकें। सिर्फ गुर्गो ही नहीं, बल्कि दवा माफिया भी पुलिस की गिरफ्त में हों।

ओटीसी ड्रग्स

हम बुनियादी तौर पर आसान शब्दों में समझे, तो दवाइयों को ओटीसी, शेड्यूल एच, शेड्यूल एक्स, शेड्यूल एच वन आदि कैटेगिरी में बांटा गया है। इन्हें ओवर दि काउंटर दवाई कहा जाता है। इसका मतलब इसे बिना डॉक्टर की सलाह के आसानी से खरीदा और सेवन किया जा सकता है। यह दवा किसी भी मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है। जिसे बिना किसी पर्ची के सीधा बेचा जा सकता है।

शेड्यूल एच

ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के नियम अंतर्गत ही शेड्यूल एच दवाओं का निर्माण और बिक्री की जाती है। शेड्यूल एच की दवाओं को बिना डॉक्टर की सलाह या बिना पर्चे के नहीं खरीदा जा सकता है। वर्ष 2006 में 536 दवाओं को शेड्यूल एच में जगह दी गई। शेड्यूल एच दवाओं के लेबल पर आरएक्स लिखा होता है। लाल अक्षरों में चेतावनी भी लिखी होती है।

शेड्यूल एक्स

इस कैटेगरी में नार्कोटिक और साइकोट्रोफिक दवाएं आती हैं। ये दवाएं सीधे दिमाग पर प्रभाव करती हैं। इसके चलते गलत खुराक व ओवरडोज के कारण यह घातक भी साबित हो सकती है। इस कैटेगरी की दवा खरीदने के लिए डॉक्टर की पर्ची जरूरी है। इसकी कॉपी विक्रेता को 2 सालों तक संभाल के रखनी होगी। इन दवाओं के लेबल पर ऊपर की बाईं ओर एक्सआरएक्स लिखा होता है।

शेड्यूल एच 1

इस कैटेगरी में थर्ड और फोर्थ जेनरेशन की एंटीबायोटिक्स, एंटी ट्यूबरक्लोसिस व साइकोट्रोफिक ड्रग्स जैसी नशीली और आदत बनाने वाली दवाएं शामिल हैं। इन कैटिगरी की दवाओं की बिक्री के लिए विक्रेता को डॉक्टर का नाम, पता, रोगी की जानकारी और खपत की गई दवा की मात्रा के साथ दवा का नाम का रिकॉर्ड मेंटेन करना पड़ता है। इस रिकॉर्ड को 3 सालों तक विक्रेता को संभाल कर रखना होता है।

वर्जन

पब्लिक हेल्थ से जुड़े इश्यूज को गंभीरता से लिया जा रहा है। नकली दवा से जुड़े सभी मामलों की जांच एएसपी करेंगे। लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

- राजीव कृष्ण, एडीजी आगरा जोन

अब तक ये हुई बड़ी कार्रवाई

-फरवरी में राजौरा बंधुओं का एक्सपायरी दवा के काले कारोबार पर छापा मारा

-पंजाब पुलिस द्वारा बीते दिनों अरोड़ा बंधुओं पर कार्रवाई की गई।

-दिसंबर 2019 में कमलानगर व विजयनगर के गोदामों से 20 लाख रुपये की नशीली दवाएं बरामद हुई थीं

-सितंबर 2019 में ग्वालियर की टीम ने फ्रीगंज में 225 रुपये की दवाईयां जब्त की थी।

-अगस्त 2019 में सिकंदरा के दवा गोदामों में से दो करोड़ की दवा ड्रग विभाग ने जब्त की थी।

-जुलाई 2019 में यमुनापार से 20 लाख रुपये की दवाएं बरामद हुई थीं

Posted By: Inextlive