लॉकडाउन से सीखकर किया जा सकता है प्रकृति का संरक्षण
विश्व प्रकृति दिवस पर विशेष
-लॉकडाउन के दौरान आगरा ने देखी प्रकृति की खूबसूरती -डब्लूएचओ के मानकों के स्तर तक पहुंच गई थी लॉकडाउन में शहर की हवाआगरा। आज विश्व प्रकृति दिवस है। इसे हर वर्ष 3 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य प्रकृति को काफी पीछे छोड़ता जा रहा है। वह विकास की अंधाधुंध रफ्तार में प्रकृति को भूल गया है और यह भी भूल रहा है कि वह भी प्रकृति की ही देन है। लेकिन, कोविड-19 वायरस ने दुनिया में आने के बाद खुद को शक्तिशाली समझने वाले मनुष्य को हकीकत से वाकिफ करा दिया है। कोरोना वायरस के कारण लोगों को घरों के भीतर रहना पड़ा और दुनिया थम गई, लेकिन इस बीच प्रकृति दोबारा से अपने यौवन पर आई। आगरा में ही नदियां साफ हुईं और शहर में हरियाली को बढ़ावा मिला। सबसे बड़ी बात आगरा की हवा अपने आप ही शुद्ध हो गई। लॉकडाउन के दौरान आगरा में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 50 के नीचे तक पहुंच गई थी, लेकिन दोबारा से लोगों ने रफ्तार पकड़ी और हवा फिर से दूषित होने लगी है।
लॉकडाउन से लेनी होगी सीखपर्यावरणविद् श्रवण कुमार बताते हैं कि आगरा की हवा पिछले कुछ साल से लगातार दूषित रहती है, लेकिन लॉकडाउन में आगरा की एयर क्वॉलिटी में रिकॉर्ड बदलाव देखने को मिले थे। उस दौरान वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मानकों के अनुसार शहर में हवा की गुणवत्ता हो गई थी, जो आगरा में कल्पना करना भी मुश्किल है। वे कहते हैं कि हमें लॉकडाउन से सीखने की जरूरत है और आगरा से एयर पॉल्यूशन को खत्म करने के लिये सरकार को कोई ठोस प्लान लाना चाहिए। वहीं अन्य पर्यावरण कार्यकर्ता बृज खंडेलवाल बताते हैं कि हमें अब पॉल्यूशन को साफ करने के लिये वैज्ञानिक तरीके से सोचने की जरूरत है। वे कहते हैं कि मनुष्य विकास करे लेकिन प्रकृति का भी संरक्षण करे। उन्होंने बताया कि टेक्नोलॉजी का यूज करके आगरा की हवा को स्वच्छ बनाया जा सकता है, ताकि आगरा में लोग स्वस्थ रह सकें।
प्राकृति संसाधनों के दोहन को रोकना होगालोकस्वर संस्था के राजीव गुप्ता बताते हैं कि प्रकृति के संरक्षण के लिये हमें प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को रोकना होगा, ताकि प्रकृति बची रहे और मनुष्य स्वस्थ रहे। उन्होंने बताया कि हमें प्रकृति को संरक्षण के लिये कारखानों से निकलने वाले विषैले पदार्थो का सही निस्तारण करना होगा। प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा, जंगल को काटना बंद और नशीली गैसों का उत्पादन बंद करना होगा। जमीन का पानी के स्तर को बढ़ाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग करने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना होगा।
लॉकडाउन में सबसे साफ रही थी हवा एक्यूआई पीएम 10 मई 2020 50 80 मई 2019 187 231 मई 2018 179 218 मई 2017 169 203 मई 2016 170 246 वन्य जीवों के संरक्षण के लिये करेंगे जागरूक शहर में इस समय वन्य जीव संरक्षण सप्ताह चल रहा है। दो अक्टूबर से आठ अक्टूबर तक वन्य संरक्षण सप्ताह मनाया जाता है। जैव विविधता के अध्ययन एवं संरक्षण पर कार्य करने वाली संस्था बायोडायवíसटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी वन्यजीव सप्ताह के अंतर्गत वन्यजीवों के बचाव के लिये जागरुक करने के लिये कार्यक्रम आयोजित करेगी। संस्था के सचिव डॉ। विजय शर्मा ने बताया कि संस्था वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला, कानूनी जानकारी, शहरी जैव विविधता संरक्षण जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। यह कार्यक्रम अलग-अलग तीन दिनों में जोधपुर झाल, पालीवाल पार्क एवं नेचर पार्क जगदम्बा डिग्री कालेज में आयोजित होंगे। इन कार्यक्रमों में विषय विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक शामिल होंगे।कब कब आयोजित होंगे कार्यक्रम
4 अक्तूबर को जोधपुर झाल पर इसके आसपास के क्षेत्रीय गावों के लोगों को जीव संरक्षण का प्रशिक्षण कार्यशाला 7 अक्तूबर को पालीवाल पार्क का भ्रमण, शहरी जैव विविधता अध्ययन एवं उसके संरक्षण की आवश्यकता 8 अक्तूबर को जगदम्बा डिग्री कालेज फाउंड्री नगर आगरा के नेचर पार्क में गोष्ठी, बायोडायवíसटी, ह्यूमन थ्रेट एंड कंजर्वेशन विषय