आगरा। कोई ताज की खूबसूरती का मुरीद है, तो कोई पेठा की मिठास पर फिदा है। अजमेर शरीफ से जियारत कर लौट रहे जायरीन ताजनगरी से अपनी पसंदीदा चीजों को भी सहेज कर ले जा रहे हैं। कोठी मीना बाजार मैदान में जायरीनों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। 17 फरवरी से 24 फरवरी तक आयोजित जायरीनों के लिए रिलीफ कैंप का बुधवार को समापन हो जाएगा।

इस बार कम आए जायरीन

संस्था बज्म ए खुद्दाम अबुल औलाई के उपाध्यक्ष हाजी इलियास वारसी बताते हैं कि इस बार जायरीनों की संख्या काफी कम है। पूर्व वर्षो में इन दिनों में 5.50 लाख तक जायरीन आ जाते थे। लेकिन, इस बार करीब 1.75 लाख जायरीन ही आए हैं। इसके पीछे कोरोना वायरस के साथ और भी कई वजह हैं। आगरा पहुंचने वाले जायरीन ताज देखने के साथ शहर की मिठास (पेठा) के दीवाने हैं। अधिकतर जायरीन इसे खरीदकर भी ले जाते हैं।

61 वर्ष से की जा रही खिदमत

उपाध्यक्ष हाजी इलियास बताते हैं कि शहर में जायरीनों के आने का सिलसिला तो काफी पुराना है। लेकिन, उनकी खिदमत करने की शुरूआत वर्ष 1960 में हुई। तब बिजलीघर स्थित रामलीला मैदान पर जायरीन पहुंचते थे। वहां उनको पानी पिलाया जाता था। उस दौरान करीब 200 से 300 बसें ही पहुंचती थीं। इसके बाद वक्त गुजरता गया और जायरीनों के लिए सुविधा बढ़ती गई। कोठी मीना बाजार में अब जायरीनों के ठहरने की प्रॉपर व्यवस्था है। यहां उनके ठहरने से लेकर सुबह नाश्ते के साथ रात के खाने-पीने की भी पूरी व्यवस्था की गई है।

कोरोना का डर

बज्म ए खुद्दाम औलाई के मीडिया प्रभारी करम इलाही बताते हैं गत वर्षो में एक दिन में 500 से 600 बसें आती थीं। यहां जायरीन 12 से 15 घंटे तक का स्टॉपेज लेते थे। लेकिन, इसबार कुछ तस्वीर बदली हुई है। कल 250 करीब बसें आईं थीं। मंगलवार को भी 100 करीब बसें आई हैं। अधिकतर जायरीनों की बस कुछ देर रुककर ही चली जाती हैं। इसके पीछे कोरोना भी वजह हो सकती है।

8000 टिकट बुक की गई

संस्था पदाधिकारी बताते हैं कि 17 फरवरी से जायरीनों का कोठी मीना बाजार में आना शुरू हो गया था। यहां से वह ताज देखने पहुंचते थे। लेकिन, कई जायरीन टिकट नहीं मिलने के चलते मायूस होकर लौट आते थे। ऐसे में संस्था की ओर से तीन दिन पहले कैंप स्थल पर ही ऑनलाइन टिकट की व्यवस्था की गई। अब तक यहां से करीब 8000 जायरीनों के ताज देखने के लिए टिकट की गई।

यहां से आते हैं जायरीन

बिहार

झारखंड

ओडिशा

नेपाल

गोरखपुर

अंबेडकर नगर

लखनऊ

सहारनपुर

अब तक आए जायरीन

1.75 लाख

पहले आते थे

5- 6 लाख

स्टॉपेज

12-15 घंटे

पेरेंट्स के साथ मोपेड पर किया 970 किमी का सफर

अंबेडकर नगर के रहने वाले रजा उल मुस्तफा 14 फरवरी को जियारत करने के लिए अजमेर शरीफ को निकले। यहां से 21 फरवरी को आगरा के लिए निकले। इस दौरान उनके साथ उनके पेरेंट्स हकीम सरफराज अहमद और मोहजमा खातून भी साथ थीं। पेरेंट्स को बस का सफर करने में दिक्कत महसूस होती थी। ऐसे में मुस्तफा ने पेरेंट्स के लिए अपनी मोपेड से यात्रा करने का फैसला किया। इस दौरान उन्होंने करीब 970 किमी का सफर मोपेड पर तय किया।

पिछली बार से इस बार जायरीन कुछ कम आए हैं। इसके पीछे वजह अजमेर में उर्स के आयोजन को लेकर स्थिति स्पष्ट न होना भी रही। जायरीन आने के लिए काफी समय पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं। आखिरी समय में अनुमति मिली, जिससे अधिकतर जायरीन अपनी तैयारी नहीं कर सके।

हाजी इलियास वारसी, उपाध्यक्ष, बज्मा ए खुद्दाम अबुल औलाई

कोठी मीना बाजार मैदान में जायरीनों के लिए सभी व्यवस्था की गई हैं। यहां जायरीनों के लिए मेडिकल कैंप भी लगाया गया है। जिसमें फ्री परामर्श देकर फ्री दवा का वितरण भी किया जा रहा है।

जाहिद हुसैन, महासचिव, बज्मा ए खुद्दाम अबुल औलाई

ताज की खूबसूरती को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इस स्मारक को देखकर इतना आनंद आता है कि मैं इसका प्रतीक अपने खरीदकर भी ले जा रहा हूं।

कल्लू विश्वकर्मा, वाराणसी

यहां व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हैं। जब भी यहां से गुजरते हैं तो बिना इस शहर की मिठास पेठा के यात्रा पूरी नहीं होती। इस बार भी यहां से पेठा लेकर जा रहे हैं।

बाबूलाल, वाराणसी

हम तो हर वर्ष आते हैं। यहां व्यवस्थाओं में हर बार सुधार ही नजर आया है। ताज और पेठा हमें हमें ताजनगरी की ओर खींच लाता है।

कमर जहां, कानपुर

Posted By: Inextlive